MWL महासचिव अल-इस्सा बोले, लड़कियों की शिक्षा का विरोध करने वाले सही रास्ते पर नहीं
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बशीर चौधरी, इस्लामाबाद
इस्लामाबाद में शनिवार को आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्कूल गर्ल्स सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर मुस्लिम वर्ल्ड लीग (MWL) के महासचिव और अध्यक्ष, शेख डॉ. मुहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-इस्सा, ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “लड़कियों की शिक्षा का विरोध करने वाले अल्पसंख्यक सही रास्ते पर नहीं हैं.” उन्होंने यह भी कहा कि इस्लाम महिलाओं की शिक्षा का समर्थन करता है. इस संबंध में किसी प्रकार का भेदभाव इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ है.
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सम्मेलन का उद्देश्य और आयोजन
यह दो दिवसीय सम्मेलन लड़कियों की शिक्षा के महत्व पर ध्यान केंद्रित करता है. मुस्लिम वर्ल्ड लीग की एक पहल है. इसका उद्घाटन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व में हुआ. उद्घाटन समारोह में दुनियाभर के शिक्षा मंत्री, राजनयिक, शिक्षाविद, और विशेष अतिथि के रूप में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने भाग लिया.
डॉ. अल-इस्सा ने कहा, “इस सम्मेलन का उद्देश्य इस्लाम में लड़कियों की शिक्षा की सच्ची अवधारणा को उजागर करना और इस विषय पर मौजूद गलत धारणाओं को दूर करना है.”
सम्मेलन के दौरान विद्वानों की बैठक
सम्मेलन के उद्घाटन से पहले विद्वानों की एक विशेष बैठक आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न विचारधाराओं के इस्लामी विद्वानों ने हिस्सा लिया. इस बैठक में सभी विद्वान इस बात पर सहमत हुए कि जिस प्रकार पुरुषों के लिए शिक्षा अनिवार्य है. उसी प्रकार महिलाओं के लिए भी यह आवश्यक है.
महासचिव ने कहा, “हम इस मंच से यह संदेश देना चाहते हैं कि इस्लाम महिलाओं की शिक्षा का समर्थन करता है. शिक्षा के बिना समाज का विकास संभव नहीं है.”
महिलाओं की शिक्षा के प्रति इस्लाम का दृष्टिकोण
महासचिव ने स्पष्ट किया कि इस्लाम में महिलाओं की शिक्षा पर कोई प्रतिबंध नहीं है . इस्लामी शिक्षाएं महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए समान शिक्षा की वकालत करती हैं. उन्होंने कहा, “जो लोग महिलाओं की शिक्षा का विरोध कर रहे हैं, वे अल्पसंख्यक हैं . सही रास्ते पर नहीं हैं. उनका इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है.”
उन्होंने आगे कहा कि सम्मेलन में दिए गए सभी भाषणों और विचारों को दुनिया भर में प्रसारित किया जाएगा ताकि उन लोगों को हतोत्साहित किया जा सके जो इस्लाम की गलत व्याख्या करके महिलाओं की शिक्षा का विरोध करते हैं.
सम्मेलन के प्रभाव और अंतरराष्ट्रीय सहयोग
सम्मेलन के अंत में ‘इस्लामाबाद घोषणापत्र’ जारी किया जाएगा, जिसमें महिलाओं की शिक्षा के महत्व और इस्लामी दृष्टिकोण को विश्व स्तर पर प्रचारित किया जाएगा. इसके अलावा, कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं. इनमें ओआईसी (इस्लामिक सहयोग संगठन) और मुस्लिम वर्ल्ड लीग के बीच एक समझौता भी शामिल है, जिसके तहत महिलाओं की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी.
डॉ. अल-इस्सा ने कहा, “हम चाहते हैं कि इस सम्मेलन का प्रभाव दूरगामी हो और हमारी आने वाली पीढ़ियां इससे लाभान्वित हों.”
महिलाओं की शिक्षा के लिए नए अवसर
उन्होंने यह भी बताया कि महिलाओं को शिक्षा के अधिकार से वंचित करने की किसी भी प्रकार की कोशिश अस्वीकार्य है. सम्मेलन के दौरान, यह स्पष्ट किया गया कि इस्लाम महिलाओं को किसी भी क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करने की अनुमति देता है.
महासचिव ने कहा, “कुछ लोग महिलाओं की शिक्षा और विशेषज्ञता को लेकर संदेह व्यक्त करते हैं. यह सम्मेलन उनकी शंकाओं को दूर करने का एक प्रयास है. हमने स्पष्ट किया है कि इस्लाम में महिलाओं की शिक्षा का समर्थन किया गया है और यह समाज के लिए अनिवार्य है.”
महिला शिक्षा पर व्यापक समर्थन
महासचिव ने बताया कि सम्मेलन में महिला शिक्षा के महत्व पर जो भाषण दिए गए, वे वैश्विक स्तर पर इस्लाम के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देंगे. उन्होंने कहा, “इस्लाम में महिलाओं की शिक्षा के खिलाफ कोई भी तर्क अस्वीकार्य है.”
महासचिव का संदेश
अंत में, डॉ. अल-इस्सा ने यह स्पष्ट किया कि यह सम्मेलन किसी एक देश या समुदाय को लक्षित नहीं करता है. उन्होंने कहा, “हमारा संदेश सभी के लिए है. हम शिक्षा के महत्व को वैश्विक मंच पर रखना चाहते हैं ताकि यह स्पष्ट हो सके कि इस्लाम महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए समान शिक्षा का समर्थन करता है.”
इस्लामाबाद में आयोजित यह सम्मेलन महिलाओं की शिक्षा के प्रति इस्लामी दृष्टिकोण को उजागर करने का एक प्रभावशाली मंच बनकर उभरा है. सम्मेलन के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि मुस्लिम बहुल देशों को महिलाओं की शिक्षा के अधिकारों की रक्षा के लिए सामूहिक प्रयास करने चाहिए.
महासचिव ने कहा, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सम्मेलन में प्रस्तुत विचार और घोषणाएं न केवल इस्लामिक दुनिया में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रभाव डालें.”इस सम्मेलन से उम्मीद की जा रही है कि यह लड़कियों की शिक्षा के प्रति सकारात्मक परिवर्तन लाने का catalyst बनेगा और उन गलत धारणाओं को समाप्त करेगा जो महिलाओं की शिक्षा को रोकती हैं..