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अफगान लड़कियों की शिक्षा पर बात नहीं की तो अंतर्राष्ट्रीय स्कूल गर्ल्स कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य अधूरा : मलाला

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,इस्लामाबाद

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने रविवार को अंतर्राष्ट्रीय स्कूल गर्ल्स कॉन्फ्रेंस के दूसरे और अंतिम दिन अपनी प्रभावशाली आवाज़ के साथ अफगान लड़कियों की शिक्षा के अधिकार के लिए एक भावनात्मक और दृढ़ अपील की. इस्लामाबाद में आयोजित इस सम्मेलन में उन्होंने जोर देकर कहा कि तालिबान के 100 से अधिक दमनकारी कानून महिलाओं के अधिकारों को दबाने और उन्हें शिक्षा से वंचित करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं.

मलाला ने अपने संबोधन में कहा, “अगर हम यहां अफगान लड़कियों की शिक्षा के बारे में बात नहीं करेंगे तो इस सम्मेलन का उद्देश्य अधूरा रह जाएगा.” उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि तालिबान महिलाओं को इंसान नहीं मानता और उनके अपराधों को सांस्कृतिक और धार्मिक औचित्य के पीछे छिपाने की कोशिश करता है. उन्होंने शिक्षा अधिकारियों से अपील की कि वे तालिबान को कानूनी दर्जा न दें.

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मलाला ने अपने दिल के करीब पाकिस्तान को रखते हुए कहा, “मैंने अपनी यात्रा पाकिस्तान से शुरू की और मेरा दिल हमेशा पाकिस्तान में रहेगा. पाकिस्तानी लड़कियों को भी दुनिया के रंगों में हिस्सा लेने की जरूरत है.” उन्होंने चिंता व्यक्त की कि दुनिया भर में 120 मिलियन लड़कियां स्कूल नहीं जा सकती हैं, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान से आता है. उन्होंने हर लड़की के 12 साल तक स्कूल जाने के अधिकार पर जोर दिया.

मलाला ने गाजा में शिक्षा प्रणाली पर हुए विनाश को लेकर भी अपनी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा, “इजरायल ने गाजा में संपूर्ण शिक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया है. विश्वविद्यालयों पर बमबारी की गई. 90 प्रतिशत से अधिक स्कूल नष्ट कर दिए गए. यहां तक कि स्कूल भवनों में शरण लेने वाले नागरिकों पर भी हमला किया गया.”
उन्होंने कहा कि वह अंतर्राष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाना जारी रखेंगी.

सम्मेलन के मुख्य बिंदु

मुस्लिम वर्ल्ड लीग और पाकिस्तान सरकार द्वारा आयोजित यह सम्मेलन मुस्लिम देशों में शिक्षा, विशेष रूप से बालिकाओं की शिक्षा, को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया. दूसरे दिन की प्रमुख गतिविधियों में ‘महिलाओं की प्रभावी भूमिका’ विषय पर पैनल चर्चा शामिल थी. ओआईसी समाचार एजेंसियों के मीडिया सलाहकार जुबैर अल-अंसारी की अध्यक्षता में इस चर्चा के दौरान वक्ताओं ने लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिकता देने में मीडिया की भूमिका पर चर्चा की.

वक्ताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि शिक्षा कोई वैकल्पिक विषय नहीं है, बल्कि पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए यह अनिवार्य है. उन्होंने मीडिया मालिकों से अपील की कि वे फर्जी खबरों को रोकने और लड़कियों की शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने में अपनी भूमिका निभाएं..

सूचना प्रौद्योगिकी और महिला शिक्षा पर सत्र

सम्मेलन में स्वीडिश राजनयिक उल्रिका सैंडबर्ग की अध्यक्षता में एक विशेष सत्र आयोजित किया गया. इसमें वक्ताओं ने प्रौद्योगिकी के माध्यम से महिलाओं को बेहतर शिक्षा के अवसर प्रदान करने के महत्व पर बल दिया. उन्होंने कहा, “आज के सूचना प्रौद्योगिकी युग में ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं तक पहुंचना और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना संभव है.”

अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी समझौतों पर हस्ताक्षर

दूसरे दिन का एक और प्रमुख आकर्षण अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी समझौतों पर हस्ताक्षर था. इन समझौतों में यूनिसेफ, इंटरनेशनल इस्लामिक यूनिवर्सिटी चटगांव, यूनिवर्सिटी ऑफ इस्लामिक कॉल लीबिया, और मोहम्मद बिन जायद यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमैनिटीज जैसे संस्थानों की भागीदारी शामिल रही. इनका उद्देश्य मुस्लिम समुदायों में शिक्षा प्रणाली को मजबूत करना और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना है.

सम्मेलन का समापन इस्लामाबाद घोषणापत्र के साथ होगा, जो मुस्लिम देशों में शैक्षिक असमानताओं को समाप्त करने और बालिकाओं की शिक्षा को प्राथमिकता देने के लिए एक व्यापक रोडमैप प्रस्तुत करेगा.

समापन समारोह

सम्मेलन का समापन रविवार शाम को सीनेट के अध्यक्ष यूसुफ रजा गिलानी की अध्यक्षता में हुआ. उन्होंने अपने समापन भाषण में कहा, “लड़कियों की शिक्षा न केवल हमारे समाज को मजबूत बनाएगी, बल्कि यह हमारी अगली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त करेगी.”

अंतर्राष्ट्रीय स्कूल गर्ल्स कॉन्फ्रेंस ने महिला शिक्षा के महत्व और चुनौतियों पर केंद्रित बहस को एक नया आयाम दिया है. इसने वैश्विक नेताओं, शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं को एक मंच पर लाकर इस गंभीर मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित किया.