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गुरुग्राम के डॉ तुषार मेहता की मुसलमानों को ‘चोर’ ठहराने की कोशिश, सीआईएसएफ ने झूठ की खोली पोल

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

देश में मुसलमानों के खिलाफ बढ़ते सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के बीच गुरुग्राम के एक नामचीन डॉक्टर तुषार मेहता का मुसलमानों के प्रति झूठ और नफरत का चेहरा सामने आया है. एक मनगढ़ंत कहानी के जरिए उन्होंने दिल्ली एयरपोर्ट पर मुसलमानों को चोरी का दोषी ठहराया, लेकिन सीआईएसएफ की जांच और सीसीटीवी फुटेज ने उनकी साजिश को बेनकाब कर दिया.

घटना का विवरण

25 जनवरी को डॉक्टर तुषार मेहता ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि दिल्ली एयरपोर्ट पर जब वह चेकिंग ट्रे में अपनी एप्पल वॉच रख रहे थे, तो वहां मौजूद दो मुस्लिम व्यक्तियों ने उनकी घड़ी चुराने की कोशिश की. उन्होंने दावा किया कि संदेह होने पर उन्होंने एक व्यक्ति का पीछा किया और उसकी जेब से अपनी घड़ी निकाल ली. पोस्ट में उन्होंने इन व्यक्तियों के नाम शोएब और शाकिब बताए और कहा कि उनकी शिकायत को एयरपोर्ट पर तैनात सीआईएसएफ कर्मियों ने अनसुना कर दिया.

इस पोस्ट के वायरल होते ही सीआईएसएफ ने घटना की जांच शुरू की. 26 जनवरी को सीसीटीवी फुटेज की जांच में पाया गया कि डॉक्टर तुषार की कहानी झूठी थी. वीडियो में डॉक्टर तुषार को अपनी घड़ी पहनकर आराम से जाते हुए देखा गया. उनके साथ न तो कोई विवाद हुआ और न ही उन्होंने किसी सीआईएसएफ कर्मी से कोई शिकायत की.

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

  • वरिष्ठ पत्रकार विनोद कापड़ी ने ट्वीट किया, “नफरत फैलाने वाले डॉक्टर तुषार मेहता को ढूंढकर गिरफ्तार किया जाना चाहिए. यह आदमी देश और सुरक्षा एजेंसियों का दुश्मन है.”
  • मोहम्मद जुबैर, जो सोशल मीडिया पर फेक न्यूज को उजागर करने के लिए जाने जाते हैं, ने लिखा, “सीआईएसएफ और दिल्ली एयरपोर्ट द्वारा सच सामने लाए जाने के बाद डॉक्टर ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया.”
  • संकेत उपाध्याय ने सवाल उठाया, “क्या डॉक्टर तुषार मेहता को नहीं पता था कि एयरपोर्ट पर सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं? ऐसी झूठी कहानी गढ़ने की क्या जरूरत थी?”

मुसलमानों के प्रति नफरत का चेहरा उजागर

घटना के बाद, लोगों ने यह सवाल उठाया कि एक प्रतिष्ठित डॉक्टर मुसलमानों के प्रति इतनी नफरत क्यों पाल सकता है. डॉक्टर तुषार मेहता डीएएमएस संस्थान में एक प्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक शिक्षक हैं और उनके व्याख्यान छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. लेकिन उनकी इस हरकत से यह सवाल खड़ा हो गया है कि उन्होंने अपने मुसलमान मरीजों के साथ कैसा व्यवहार किया होगा ?

डॉ. सैयद फैजान अहमद ने लिखा, “एक अच्छे शिक्षक होने के बावजूद डॉक्टर तुषार ने इस दुष्प्रचार में भाग क्यों लिया? यह बहुत निराशाजनक है.”

देश में सांप्रदायिकता का बढ़ता प्रभाव

इस घटना को देश में बढ़ती सांप्रदायिकता और मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती नफरत के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसे भारतीय समाज में नफरत के खतरनाक स्तर तक पहुंचने का उदाहरण बताया.

नेहर-कौन? नामक ट्विटर हैंडल ने लिखा, “डॉक्टर तुषार मेहता जैसे लोग भारत में सामान्य हो गए हैं. ये वही लोग हैं जो बुलडोजर न्याय, लव जिहाद और अन्य सांप्रदायिक साजिशों का समर्थन करते हैं.”

कानूनी कार्रवाई की मांग

घटना उजागर होने के बाद डॉक्टर तुषार मेहता भूमिगत हो गए हैं. उन्होंने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स डिलीट कर दिए हैं. लोग उनकी गिरफ्तारी और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

विनोद कापड़ी ने लिखा, “यह मामला सिर्फ एक झूठी कहानी का नहीं है, बल्कि समाज में नफरत फैलाने का है. डॉक्टर तुषार मेहता पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.”

गुरुग्राम के डॉक्टर तुषार मेहता की घटना से यह साफ हो गया है कि कैसे एक वर्ग द्वारा सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा दिया जा रहा है.‘सांस्कृतिक युद्ध’ के तहत मस्जिद-दरगाह-मंदिर,तीन तलाक, यूसीसी, वक्फ बोर्ड को लेकर एक वर्ग के खफ्त ने देश में मुसलमानों के खिलाफ ऐसा माहौल बन गया है कि दूसरे धर्मो के आम आदमी भी इसे अपना दुश्मन समझने लगा है. अब स्थिति यह है कि तकरीबन हर व्यक्ति ‘मनोवैज्ञानिक बम’ लिए घूम रहा है और हर दरम मुसलमानों को दबाने, परेशान करने की फिराक में रहता है. इसका ताजा उदाहरण सामने है गुरूग्राम का डाॅक्टर तुषार मेहता.
यह न केवल समाज के लिए खतरनाक है, बल्कि ऐसे लोग देश की सुरक्षा और एकता के लिए भी बड़ा खतरा बन सकते हैं. अब देखना यह है कि कानून ऐसे नफरती और झूठे लोगों के खिलाफ क्या कदम उठाता है.

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