दिल्ली में मुस्लिम विरोधी राजनीति की शुरुआत,मुस्तफाबाद का नाम बदलने की मांग
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
दिल्ली में मुस्लिम विरोधी राजनीति के नए अध्याय की शुरुआत होते हुए दिखाई दे रही है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने राजधानी के मुस्लिम बहुल क्षेत्र मुस्तफाबाद का नाम बदलने की मांग उठाई है. इस पहल को देश में मुसलमानों के खिलाफ सांस्कृतिक युद्ध का हिस्सा माना जा रहा है.
नाम बदलने की मांग और राजनीतिक बयान
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुस्तफाबाद से जीत दर्ज करने वाले बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने इलाके का नाम बदलने का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र का नाम बदलकर ‘शिवपुरी’ या ‘शिव विहार’ रखा जाना चाहिए.
अपने बयान में बिष्ट ने कहा, “यह क्षेत्र 58 फीसदी बहुसंख्यकों का है, जबकि 42 फीसदी लोग अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं. विधानसभा का नाम अल्पसंख्यकों की पसंद का क्यों हो? यह बहुसंख्यकों के साथ अन्याय होगा. इसलिए मैं इस विधानसभा का नाम बदलकर बहुसंख्यकों की पसंद के अनुरूप करने का प्रस्ताव रखूंगा.”
बिष्ट ने यह भी कहा कि विधानसभा का पहला सत्र शुरू होते ही वे नाम परिवर्तन का प्रस्ताव पेश करेंगे. इसके अलावा, उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी हमला बोलते हुए कहा कि उनकी सरकार ने दिल्ली के राजस्व को नुकसान पहुंचाया है और विकास कार्यों को बाधित किया है. उन्होंने कहा, “इस बार विधानसभा में मैं कैग (CAG) की रिपोर्ट को पटल पर रखूंगा, ताकि केजरीवाल सरकार की नाकामियों को जनता के सामने लाया जा सके.”
मोहन सिंह बिष्ट: एक अनुभवी नेता
मोहन सिंह बिष्ट दिल्ली की राजनीति में एक अनुभवी नेता माने जाते हैं. 1998 में उन्होंने पहली बार करावल नगर विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी और 2015 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. हालांकि, 2015 में आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार कपिल मिश्रा ने उन्हें पराजित कर दिया था.
इसके बाद, 2020 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने बिष्ट को करावल नगर से हटाकर मुस्तफाबाद से चुनाव लड़ने का फैसला किया. बिष्ट ने इस निर्णय को पहले गलत ठहराया, लेकिन बाद में पार्टी की रणनीति के तहत उन्होंने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. दिलचस्प बात यह है कि करावल नगर में हिंदुत्ववादी छवि वाले कपिल मिश्रा अधिक लोकप्रिय हो गए थे, जिससे बीजेपी ने बिष्ट को दूसरी सीट पर भेज दिया.
विवादों में घिरे बिष्ट
मोहन सिंह बिष्ट का राजनीतिक करियर जहां एक ओर विकास कार्यों के लिए सराहा जाता है, वहीं वे कई विवादों का भी हिस्सा रहे हैं. 2020 में दिल्ली दंगों के दौरान एक महिला ने उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने भीड़ का नेतृत्व किया और उसकी दुकान जलाने में भूमिका निभाई. यह मामला काफी चर्चित हुआ.
नाम बदलने की राजनीति और सांस्कृतिक विवाद
मुस्तफाबाद का नाम बदलने की मांग ऐसे समय में उठी है जब देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहा है. कई शहरों, सड़कों और ऐतिहासिक स्थलों के नाम बदलने की घटनाएं पहले भी देखने को मिली हैं. विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति करार दिया है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की मांगें सिर्फ चुनावी लाभ के लिए की जाती हैं, जिससे मतदाताओं का ध्रुवीकरण संभव हो सके. हालांकि, बिष्ट और उनके समर्थकों का तर्क है कि यह केवल ऐतिहासिक पुनर्स्थापना की दिशा में उठाया गया कदम है.
दिल्ली के मुस्तफाबाद क्षेत्र का नाम बदलने की मांग एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि विधानसभा में इस पर कितना जोर दिया जाता है और क्या इसे सरकार द्वारा मंजूरी मिलती है. इस कदम के विरोध और समर्थन में विभिन्न दलों और संगठनों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, जिससे यह विवाद और भी गहरा सकता है.