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गाजा संकट: ट्रंप और इजरायल की मनमानी नीतियां, फिलिस्तीनियों के अस्तित्व पर संकट

विशेष रिपोर्ट | वाशिंगटन/तेल अवीव/गाजा

गाजा संकट अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की हालिया बयानबाजी और नीतियों से यह स्पष्ट हो गया है कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून, कूटनीतिक प्रयासों और मानवीय मूल्यों की पूरी तरह अनदेखी करते हुए अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में लगे हैं.

गाजा में युद्धविराम लागू हुए छह सप्ताह हो चुके हैं, लेकिन यह अब भी नाजुक स्थिति में है. हमास ने इजरायल पर संघर्ष विराम की शर्तों को लगातार तोड़ने का आरोप लगाया है और इसी कारण अगली बंधक रिहाई को स्थगित कर दिया है. वहीं, ट्रंप की नई ‘गाजा अधिग्रहण योजना’ न केवल फिलिस्तीनियों के अस्तित्व के लिए खतरा है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन भी है.


इजरायल पर युद्धविराम उल्लंघन का आरोप, हमास ने बंधक रिहाई टाली

गाजा में पिछले कुछ हफ्तों में इजरायली सेना की गतिविधियों को लेकर हमास ने नाराजगी जाहिर की है. हमास की सैन्य शाखा अल-क़स्साम ब्रिगेड के प्रवक्ता अबू ओबेदा ने कहा कि इजरायल संघर्ष विराम की शर्तों का पालन करने में विफल रहा है.

हमास के अनुसार, संघर्ष विराम के तहत गाजा पट्टी में विस्थापित फिलिस्तीनियों की वापसी होनी थी, लेकिन इजरायल इसे रोक रहा है. इसके अलावा, मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति की शर्त को भी इजरायल लगातार तोड़ रहा है. हाल ही में हुए हवाई हमलों और गोलीबारी से स्थिति और अधिक बिगड़ गई है.

हमास ने स्पष्ट किया है कि जब तक इजरायल अपने अतिक्रमण को नहीं रोकता, तब तक बंधकों की रिहाई को स्थगित किया जाएगा.


ट्रंप का विवादित बयान: “बंधकों को रिहा नहीं किया तो युद्धविराम समाप्त”

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने आक्रामक रुख का परिचय दिया है. उन्होंने कहा कि अगर बंधकों को समय पर रिहा नहीं किया गया तो वह गाजा में युद्धविराम समाप्त करवा देंगे। यह बयान स्पष्ट रूप से इजरायल को उकसाने वाला है, जो पहले ही हमास के साथ किसी भी तरह की वार्ता को गंभीरता से नहीं ले रहा था.

ट्रंप ने यहां तक कह दिया कि यदि जॉर्डन और मिस्र फिलिस्तीनी शरणार्थियों को स्वीकार नहीं करेंगे तो वह इन देशों को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता को रोक सकते हैं। यह एक स्पष्ट धमकी है, जिससे यह जाहिर होता है कि ट्रंप फिलिस्तीनियों को जबरन उनके घरों से निकालने के लिए राजनयिक दबाव बनाने की योजना बना रहे हैं.


ट्रंप की ‘गाजा अधिग्रहण योजना’: एक उपनिवेशवादी साजिश

ट्रंप ने हाल ही में गाजा संकट को लेकर अपनी ‘अधिग्रहण योजना’ पेश की, जिसमें उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनियों को गाजा में वापस लौटने का कोई अधिकार नहीं होगा. उन्होंने यह भी दावा किया कि वह गाजा को ‘एक खूबसूरत जगह’ में बदल देंगे और इसे एक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट की तरह विकसित करेंगे.

ट्रंप के अनुसार, वह गाजा के बाहर फिलिस्तीनियों के लिए छह नई बस्तियां बनाएंगे, जहां वे रह सकते हैं. यह बयान न केवल फिलिस्तीनियों के ऐतिहासिक भूमि अधिकारों का हनन करता है, बल्कि यह यहूदी उपनिवेशवादी परियोजना को खुला समर्थन देने जैसा है.उन्होंने मिस्र और जॉर्डन को यह प्रस्ताव दिया है कि वे फिलिस्तीनियों को अपने यहां शरण दें। लेकिन मिस्र, जॉर्डन, संयुक्त राष्ट्र और दुनिया के कई देशों ने इस योजना को तुरंत खारिज कर दिया है.


नेतन्याहू की ‘क्रांतिकारी योजना’: जबरन निष्कासन की साजिश

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप की इस योजना को ‘क्रांतिकारी’ बताया और इसकी सराहना की। यह इजरायल की उस दीर्घकालिक नीति के अनुरूप है, जिसमें वह फिलिस्तीनियों को उनकी ही जमीन से निष्कासित कर यहूदी बस्तियों का विस्तार करना चाहता है.

गौरतलब है कि पिछले साल ट्रंप ने गाजा को ‘मोनाको’ जैसा बनाने की बात कही थी, जबकि उनके दामाद जेरेड कुशनर ने सुझाव दिया था कि इजरायल गाजा से नागरिकों को हटाकर इस “महान भूमि” को विकसित कर सकता है.

नेतन्याहू ने जब से ट्रंप की योजना को समर्थन दिया है, तब से इजरायल में फिलिस्तीनी विरोधी कदम और तेज हो गए हैं.


अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: ट्रंप और नेतन्याहू की योजना को नकारा गया

ट्रंप की इस योजना को दुनिया भर में तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.

  • जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने इसे “अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन” करार दिया और जबरन विस्थापन को अस्वीकार्य बताया.
  • संयुक्त राष्ट्र ने भी चेतावनी दी है कि इस तरह की योजना से मध्य पूर्व में स्थायी संघर्ष उत्पन्न हो सकता है.
  • मिस्र और जॉर्डन ने इसे तुरंत खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि वे फिलिस्तीनियों को उनकी जमीन से उजाड़ने की किसी भी योजना का समर्थन नहीं करेंगे.
  • अरब लीग ने इसे एक “घोटाला” बताया और कहा कि यह फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ एक नया हमला है.

क्या ट्रंप और नेतन्याहू दुनिया को नए युद्ध की ओर धकेल रहे हैं?

गाजा संकट पहले ही मानवीय तबाही के चरम पर पहुंच चुका है, लेकिन ट्रंप और नेतन्याहू की हालिया रणनीतियां इसे और अधिक गंभीर बना सकती हैं.

  1. फिलिस्तीनियों को जबरन बाहर निकालने की योजना – यह न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का भी उल्लंघन है.
  2. इजरायल का युद्धविराम उल्लंघन – इससे संघर्ष बढ़ सकता है और भविष्य में कोई भी समझौता असंभव हो सकता है.
  3. अमेरिकी समर्थन से इजरायल की आक्रामकता को बढ़ावा – ट्रंप की बयानबाजी इजरायल को और अधिक निडर बना रही है, जिससे गाजा के हालात बदतर हो सकते हैं.
  4. अरब देशों पर आर्थिक दबाव – ट्रंप का यह कहना कि जॉर्डन और मिस्र को शरणार्थियों को लेना चाहिए या वे सहायता खो देंगे, एक राजनीतिक ब्लैकमेलिंग जैसा है.

निष्कर्ष

ट्रंप और नेतन्याहू की मनमानी नीतियां दुनिया को एक और बड़े युद्ध की ओर धकेल सकती हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह समय है कि वह अमेरिका और इजरायल पर दबाव बनाए और फिलिस्तीनियों के अधिकारों की रक्षा करे।

गाजा में पहले ही हजारों लोग बेघर हो चुके हैं, बुनियादी सुविधाएं नष्ट हो चुकी हैं, और अब ट्रंप और नेतन्याहू इसे पूरी तरह खत्म करने की योजना बना रहे हैं. क्या दुनिया इसे चुपचाप देखती रहेगी, या कोई ठोस कदम उठाएगी?