ब्रह्मांड को समझने की नई पहल: जामिया मिल्लिया इस्लामिया में 6वां वी. वी. नार्लीकर स्मारक व्याख्यान
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के सैद्धांतिक भौतिकी केंद्र ने 6वें वी. वी. नार्लीकर स्मारक व्याख्यान का सफलतापूर्वक आयोजन किया. यह वार्षिक कार्यक्रम प्रख्यात भारतीय सापेक्षवादी प्रो. विष्णु वासुदेव नार्लीकर की वैज्ञानिक विरासत का सम्मान करने के लिए समर्पित है, जिन्होंने सैद्धांतिक भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया. इस वर्ष के व्याख्यान के मुख्य वक्ता रमन अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रो. तरुण सौरदीप थे, जिन्होंने “ब्रह्मांडीय उत्पत्ति की खोज” विषय पर व्याख्यान दिया.
इस शैक्षणिक कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित संस्थानों के विद्वानों, संकाय सदस्यों, छात्रों और शोधार्थियों ने भाग लिया. यह व्याख्यान ब्रह्मांड की उत्पत्ति, ब्रह्मांडीय मुद्रास्फीति, ब्रह्मांडीय माइक्रोवेव पृष्ठभूमि और नवीनतम अवलोकन डेटा पर केंद्रित रहा, जो ब्रह्मांड के विकास को समझने में मदद करता है.
ब्रह्मांडीय उत्पत्ति और नवीनतम खोज
प्रो. तरुण सौरदीप ने अपने व्याख्यान में प्रारंभिक ब्रह्मांड, ब्रह्मांडीय संरचना और बिग बैंग के प्रभावों की गहराई से व्याख्या की. उन्होंने ब्रह्मांडीय माइक्रोवेव पृष्ठभूमि विषमताओं और गुरुत्वाकर्षण तरंगों की भूमिका को रेखांकित किया और बताया कि कैसे ये तत्व प्रारंभिक ब्रह्मांड की भौतिकी को स्पष्ट करते हैं.
उन्होंने अगले दशक में प्रस्तावित नए अवलोकन मिशनों पर भी प्रकाश डाला, जिनमें भू-आधारित और अंतरिक्ष-आधारित दूरबीनों के माध्यम से ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं. इन शोधों का उद्देश्य ब्रह्मांड की उत्पत्ति और उसके विकास की प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझना है.
कार्यक्रम की शुरुआत और मुख्य वक्ताओं का योगदान
सैद्धांतिक भौतिकी केंद्र के निदेशक प्रो. सुशांत घोष के स्वागत भाषण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई. उन्होंने अपने संबोधन में ब्रह्मांड विज्ञान और सैद्धांतिक भौतिकी के महत्व को रेखांकित किया और इस क्षेत्र में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के योगदान पर चर्चा की.
प्रो. ताबिश कुरैशी ने केंद्र की शोध गतिविधियों का संक्षिप्त परिचय दिया, जबकि प्रो. रथिन अधिकारी ने प्रो. वी. वी. नार्लीकर के योगदान और इस स्मारक व्याख्यान की विरासत पर प्रकाश डाला। प्रो. अंजन सेन ने मुख्य वक्ता का परिचय देते हुए प्रो. सौरदीप की उपलब्धियों और उनके शोध के प्रभाव की जानकारी दी.
व्याख्यान के बाद एक संवादात्मक प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों और शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और ब्रह्मांड विज्ञान से जुड़े महत्वपूर्ण सवालों पर चर्चा की.
व्याख्यान में शोधार्थियों की भागीदारी
इस शैक्षणिक आयोजन में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के लगभग 70 शोधार्थियों सहित नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों ने भाग लिया. उनकी सक्रिय भागीदारी ने वैज्ञानिक संवाद की आवश्यकता और सहयोगी शोध की महत्ता को दर्शाया.
वी. वी. नार्लीकर स्मारक व्याख्यान की विरासत
प्रख्यात वैज्ञानिक प्रो. वी. वी. नार्लीकर के सम्मान में स्थापित यह वार्षिक व्याख्यान श्रृंखला, विज्ञान के क्षेत्र में नवीनतम शोध और विचारों को साझा करने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करती है. इस मंच ने पूर्व में प्रो. एम. जी. के. मेनन, प्रो. सिराज-उल-हसन, प्रो. अजीत केम्भवी, प्रो. नरेश दाधीच और प्रो. पंकज जोशी जैसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों की मेजबानी की है.
जामिया का सैद्धांतिक भौतिकी केंद्र: शोध का प्रमुख संस्थान
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में स्थित सैद्धांतिक भौतिकी केंद्र सामान्य सापेक्षता, ब्रह्मांड विज्ञान, क्वांटम क्षेत्र सिद्धांत और उच्च ऊर्जा खगोल भौतिकी के क्षेत्र में अग्रणी शोध कार्य कर रहा है. 2015 में, इसे उत्कृष्ट शोध कार्य के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
वी. वी. नार्लीकर स्मारक व्याख्यान वैज्ञानिक संवाद को प्रोत्साहित करता है और युवा वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड के रहस्यों की खोज करने की प्रेरणा देता है. यह श्रृंखला न केवल वैज्ञानिक शोध और अवलोकनों को जोड़ने का कार्य कर रही है, बल्कि भावी पीढ़ियों को अंतरिक्ष और ब्रह्मांड विज्ञान में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित भी कर रही है.