जेएमआई में ‘डिजिटल बैंकिंग ‘ पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, पूर्व आरबीआई गवर्नर डॉ. रंगराजन ने रखे अपने विचार
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा “डिजिटल बैंकिंग और सतत वित्त: विकसित भारत की ओर कदम @2047” विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन 20 और 21 फरवरी 2025 को आयोजित हुआ, जिसमें पूर्व भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) गवर्नर डॉ. सी. रंगराजन ने उद्घाटन भाषण दिया।
इस सम्मेलन में डिजिटल बैंकिंग, सतत वित्त (सस्टेनेबल फाइनेंस), वित्तीय समावेशन और भविष्य के आर्थिक परिदृश्य पर विस्तार से चर्चा की गई। देश-विदेश के अर्थशास्त्रियों, बैंकिंग विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं ने इसमें भाग लिया और अपने विचार साझा किए।
सम्मेलन का उद्घाटन और मुख्य वक्ता
सम्मेलन का शुभारंभ प्रो. अशेरेफ इलियान, प्रमुख, अर्थशास्त्र विभाग, जेएमआई और सम्मेलन निदेशक द्वारा स्वागत भाषण के साथ हुआ। इसके बाद, आरबीआई के पूर्व गवर्नर डॉ. सी. रंगराजन ने उद्घाटन भाषण दिया।
उन्होंने अपने संबोधन में डिजिटल बैंकिंग के विकास, वित्तीय मध्यस्थता, केंद्रीय बैंक की भूमिका, और सतत वित्त में डिजिटल बैंकिंग की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत में बैंकिंग का डिजिटलीकरण 1980 के दशक में शुरू हुआ था, लेकिन 2000 के बाद इसमें तेजी आई। उन्होंने डिजिटल बैंकिंग के लाभों और सीमाओं पर भी चर्चा की, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और साइबर सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों को रेखांकित किया।
मुख्य भाषण (Keynote Address) प्रो. फौजिया जाबीन (निदेशक, रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल फ्यूचर्स, अबू धाबी यूनिवर्सिटी, यूएई) ने दिया। उन्होंने “यूएई से सतत मार्ग और सीख” विषय पर चर्चा की, जिसमें उन्होंने डिजिटल फाइनेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और सतत व्यवसाय मॉडल के महत्व को उजागर किया। उन्होंने बताया कि सतत वित्त केवल एक अच्छा विकल्प नहीं बल्कि राष्ट्रीय रणनीति का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।
सम्मेलन के अन्य प्रमुख अतिथियों में शामिल थे:
- प्रो. मोहम्मद मुस्लिम खान – डीन, फैकल्टी ऑफ सोशल साइंसेज, जेएमआई
- श्री कमरुल हसन बेग – चेयरमैन, जामिया कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड
- बीबी रंजीत कौर – चेयरपर्सन, रामगढ़िया कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड
सम्मेलन के संयोजक डॉ. वसीम अकरम ने इस आयोजन की थीम प्रस्तुत की और बताया कि यह सम्मेलन भारत की वित्तीय समावेशन रणनीति और 2047 तक विकसित भारत बनाने की दिशा में उठाए जा रहे कदमों पर केंद्रित है।
सम्मेलन के प्रमुख सत्र और चर्चा के विषय
पहला पूर्ण सत्र: डिजिटल बैंकिंग – अवसर और चुनौतियाँ
इस सत्र में डिजिटल बैंकिंग के वर्तमान और भविष्य के अवसरों पर चर्चा की गई। सत्र के प्रमुख वक्ता थे:
- डॉ. चरण सिंह – पंजाब और सिंध बैंक के पूर्व चेयरमैन और आईएमएफ के पूर्व अर्थशास्त्री
- डॉ. मनोरंजन शर्मा – मुख्य अर्थशास्त्री, इन्फोमेरिक्स रेटिंग
- प्रो. जस्टिन पॉल – विजिटिंग प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग, यूके
सत्र की अध्यक्षता प्रो. परमजीत, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स ने की।
दूसरा पूर्ण सत्र: जलवायु वित्त और सतत भविष्य
इस सत्र में पर्यावरण अनुकूल वित्तीय रणनीतियों और हरित बैंकिंग नीतियों पर चर्चा की गई। प्रमुख वक्ता थे:
- श्री उचिता डी. जोयसा – अध्यक्ष, ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी सॉल्यूशंस (GLOSS)
- श्री उचिता डी. जोयसा – कार्यकारी निदेशक, पर्यावरण और विकास केंद्र (CED), कोलंबो, श्रीलंका
- प्रो. इवान डियाज-रैनी – ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी, क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया
सत्र की अध्यक्षता प्रो. फौजिया जबीन ने की।
सम्मेलन में प्रस्तुत शोध पत्र और निष्कर्ष
इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में 40 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, जिनमें डिजिटल बैंकिंग, सतत वित्त, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और वित्तीय समावेशन से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर शोधकर्ताओं ने अपने निष्कर्ष साझा किए।
सम्मेलन के प्रमुख निष्कर्ष:
- डिजिटल बैंकिंग भारत की वित्तीय समावेशन रणनीति का अभिन्न अंग बन चुका है।
- 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए डिजिटल बैंकिंग को और अधिक सुरक्षित और समावेशी बनाने की आवश्यकता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग की पहुंच बढ़ाने और साइबर सुरक्षा उपायों को सख्त करने की जरूरत है।
- जलवायु वित्त और सतत बैंकिंग के जरिए दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता प्राप्त की जा सकती है।
- भारत और यूएई जैसे देशों के बीच सतत वित्तीय रणनीतियों को लेकर सहयोग को बढ़ावा देने की जरूरत है।
सम्मेलन का समापन और धन्यवाद ज्ञापन
21 फरवरी 2025 को सम्मेलन के समापन सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें श्री उचिता डी. जोयसा मुख्य अतिथि थे। उन्होंने अपने समापन भाषण में सतत वित्तीय नीतियों और डिजिटल बैंकिंग के भविष्य पर चर्चा की।
सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ. मोहम्मद काशिफ खान ने समापन रिपोर्ट प्रस्तुत की, जबकि डॉ. वसीम अकरम ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
यह सम्मेलन डिजिटल बैंकिंग और सतत वित्त के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों और भविष्य की चुनौतियों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ।
निष्कर्ष:
जामिया मिलिया इस्लामिया में आयोजित इस दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ने भारत के डिजिटल बैंकिंग क्षेत्र में उभरते रुझानों, वित्तीय समावेशन की जरूरतों और सतत वित्तीय विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयासों पर गहन विचार-विमर्श किया। विशेषज्ञों ने माना कि भारत 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, लेकिन इसके लिए डिजिटल बैंकिंग और सतत वित्त को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है।
इस तरह के आयोजन देश की वित्तीय समावेशन नीति को मजबूती देने और भारत को वैश्विक स्तर पर वित्तीय नेतृत्व की ओर अग्रसर करने में मदद करेंगे।