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महबूबुल हक की गिरफ्तारी: शिक्षा और राजनीति के टकराव का मामला

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य असम में यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मेघालय (USTM) के कुलपति डॉ. महबूबुल हक की हालिया गिरफ्तारी ने शिक्षा और राजनीति के जटिल संबंधों पर एक नई बहस छेड़ दी है। यह मामला न केवल अकादमिक स्वतंत्रता पर सवाल उठाता है, बल्कि राजनीतिक हस्तक्षेप और प्रशासनिक धारणाओं को भी उजागर करता है।

यूएसटीएम और महबूबुल हक का योगदान

डॉ. महबूबुल हक ने USTM की स्थापना कर उत्तर-पूर्व भारत के छात्रों को उच्च शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराए हैं। विश्वविद्यालय में 6,000 से अधिक छात्र नामांकित हैं और यह क्षेत्र में शैक्षिक और सामाजिक विकास का केंद्र बना हुआ है। इसके अलावा, उन्होंने पी.ए. संगमा इंटरनेशनल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की भी स्थापना की, जो क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था। उनके इस योगदान को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने सराहा है।

गिरफ्तारी और विवाद

22 फरवरी 2025 को असम पुलिस ने डॉ. हक को गुवाहाटी स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया। आरोप है कि वे बारहवीं कक्षा की परीक्षा में नकल कराने की सुविधा दे रहे थे। लेकिन बिना ठोस सबूतों और आरोप पत्र के गिरफ्तारी ने इस मामले को विवादास्पद बना दिया है।

कई शिक्षाविदों का मानना है कि असम सरकार शिक्षा क्षेत्र में बढ़ते मुस्लिम संस्थानों को निशाना बना रही है। हक की गिरफ्तारी को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।

सरकार का रुख और शिक्षा पर असर

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने USTM पर “नकली डिग्री और प्रमाणपत्र” प्रदान करने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी दावा किया कि विश्वविद्यालय में बड़े स्तर पर धोखाधड़ी चल रही थी।

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह जांच शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक थी। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम उच्च शिक्षा में स्वतंत्रता को बाधित कर सकता है और अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षिक प्रयासों को कमजोर कर सकता है।

राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप

कई शिक्षाविदों और नागरिक संगठनों का मानना है कि यह गिरफ्तारी एक राजनीतिक प्रतिशोध है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एस.वाई. कुरैशी, पूर्व दिल्ली उपराज्यपाल नजीब जंग और पूर्व डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह (सेवानिवृत्त) ने प्रधानमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है।

‘बाढ़ जिहाद’ और अन्य आरोप

मुख्यमंत्री सरमा ने यूएसटीएम पर ‘बाढ़ जिहाद’ का आरोप लगाया, जिसमें कहा गया कि विश्वविद्यालय बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के छात्रों को विशेष लाभ प्रदान कर रहा है। विश्वविद्यालय ने इस आरोप को निराधार बताते हुए खारिज किया है।

निष्कर्ष

डॉ. महबूबुल हक की गिरफ्तारी ने भारत के शिक्षा और राजनीतिक परिदृश्य में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह मामला वास्तव में परीक्षा में धांधली से जुड़ा है या फिर यह एक संस्थान और उसके नेतृत्व को कमजोर करने की कोशिश है? अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि केंद्र सरकार और न्यायपालिका इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और यह घटना भारत की शिक्षा प्रणाली के भविष्य को कैसे प्रभावित करती है।

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