पवित्र, धर्मनिरपेक्ष सड़क : चांदनी चौक, पुरानी दिल्ली
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गुलरूख जहीन
भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब की अनोखी मिसाल चांदनी चौक न केवल ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि यह धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक विविधता का अनूठा संगम भी है। दिल्ली के इस प्राचीन बाजार की सैर हमें सदियों पुराने इतिहास, वास्तुकला और धार्मिक सौहार्द्र से परिचित कराती है। साइकिल-रिक्शा की धीमी गति से गुजरते हुए या पैदल चलते हुए, यहां के मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च हमें धर्मनिरपेक्षता की जीवंत तस्वीर दिखाते हैं।
चांदनी चौक: ऐतिहासिक परिदृश्य
मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा 17वीं शताब्दी में बसाया गया चांदनी चौक तीन सौ वर्षों से अधिक समय से एक व्यस्त व्यापारिक केंद्र रहा है। इसका नाम संभवतः बाजार के केंद्र में स्थित जलाशय से पड़ा, जो पूर्णिमा की रात को चाँदनी में झिलमिलाता था। इस बाजार में भारत के कोने-कोने से व्यापारी आते थे, और यह मुगल राजधानी शाहजहानाबाद की व्यापारिक धमनी के रूप में कार्य करता था। आज भी इसकी संकरी गलियां और भीड़भाड़ वाला माहौल उस ऐतिहासिक विरासत को संजोए हुए है।
धार्मिक विविधता की मिसाल
चांदनी चौक में विभिन्न धर्मों के धार्मिक स्थल एक-दूसरे के निकट स्थित हैं, जो धर्मनिरपेक्षता की मिसाल पेश करते हैं।
श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर
लाल किले के समीप स्थित यह जैन मंदिर दिल्ली में जैन समुदाय का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित पूजा स्थल है। इसका निर्माण शाहजहाँ के शासनकाल के दौरान जैन व्यापारियों द्वारा किया गया था। हालांकि, उस समय मंदिर में शिखर बनाने की अनुमति नहीं थी, लेकिन आज यह एक भव्य मंदिर के रूप में स्थापित है।
गौरी शंकर मंदिर
जैन मंदिर के ठीक बगल में स्थित गौरी शंकर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण मराठा सैनिक अप्पा गंगाधर ने करवाया था। यह मंदिर हिंदू आस्था का केंद्र है और यहां भक्त शिवलिंग की पूजा कर सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करते हैं।

गुरुद्वारा सीस गंज साहिब
यह ऐतिहासिक गुरुद्वारा सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर की शहादत स्थल पर बना है। 1675 में, औरंगजेब के आदेश पर गुरु तेग बहादुर का सिर कलम कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने जबरन धर्म परिवर्तन का विरोध किया था। यह गुरुद्वारा सिख इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय समेटे हुए है।
सुनहरी मस्जिद
गुरुद्वारे के ठीक सामने स्थित सुनहरी मस्जिद अपने स्वर्ण गुंबद के लिए प्रसिद्ध है। इसे एक मुगल रईस ने बनवाया था। इस मस्जिद का ऐतिहासिक महत्व भी है, क्योंकि यहीं से नादिर शाह ने दिल्ली के नरसंहार का आदेश दिया था।

सेंट्रल बैपटिस्ट चर्च
यह चर्च उत्तर भारत का सबसे पुराना ईसाई मिशनरी केंद्र है। 19वीं शताब्दी में स्थापित यह चर्च धर्मनिरपेक्ष चांदनी चौक की एक और अनूठी पहचान है।
फतेहपुरी मस्जिद
चांदनी चौक के अंत में स्थित फतेहपुरी मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ की पत्नी फतेहपुरी बेगम ने करवाया था। इसकी स्थापत्य कला और प्रांगण की शांति इसे एक खास धार्मिक स्थल बनाती है।
व्यापार और संस्कृति का संगम
चांदनी चौक केवल धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि व्यापार और संस्कृति का भी केंद्र है। यहां खारी बावली एशिया का सबसे बड़ा मसाला बाजार है, जहां मसालों, मेवों और जड़ी-बूटियों की खुशबू हर ओर फैली रहती है। किनारी बाजार, जहां शादी समारोह की सामग्री मिलती है, अपनी रंगीन दुकानों और सुनहरे ज़री के काम के लिए प्रसिद्ध है।
काबिल ए गौर
चांदनी चौक भारत की विविधता, सहिष्णुता और जीवंत सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यहां धर्म, भाषा और संस्कृति की सीमाएं धुंधली हो जाती हैं, और हर गली, हर मोड़ पर एक नया इतिहास जीवंत होता है। यह स्थान हमें याद दिलाता है कि भारत की आत्मा सदियों से धर्मनिरपेक्ष रही है और आने वाले समय में भी बनी रहेगी।