दुनिया भर में रमज़ान की मुबारकबाद, लेकिन भारत में खामोशी क्यों?
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
रमज़ान 2025 की शुरुआत हो चुकी है, और पूरी दुनिया से इस पवित्र महीने की शुभकामनाएं देने का सिलसिला जारी है। विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों, प्रमुख नेताओं, मशहूर हस्तियों, खेल जगत के सितारों और बड़े संस्थानों ने खुले दिल से रमज़ान की मुबारकबाद दी है। लेकिन भारत में, जहां एक बड़ा मुस्लिम समुदाय रहता है,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छोड़कर प्रमुख नेताओं, अभिनेताओं, व्यापारियों और अन्य हस्तियों की ओर से इस अवसर पर मुबारकबाद देने का उत्साह कहीं गायब सा दिख रहा है।
London was the first city in the Western world to host a Ramadan Lights display. It’s a powerful symbol of who we are as Londoners.
— Mayor of London, Sadiq Khan (@MayorofLondon) February 28, 2025
I’d like to extend my warmest wishes to Londoners and those around the world observing the holy month of Ramadan. Ramadan Mubarak. pic.twitter.com/QDLmHw2y2O
दुनिया के नेता रमज़ान की मुबारकबाद देने में आगे
#WATCH प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "रमजान का मुबारक महीना भी शुरू होने वाला है, मैं आप सभी को और सभी देशवासियों को रमजान की भी मुबारकबाद देता हूं।" pic.twitter.com/QED2neyDQB
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 28, 2025
दुनिया के कई बड़े नेताओं ने रमज़ान की शुरुआत पर खास संदेश जारी किए हैं। स्कॉटलैंड के पूर्व प्रथम मंत्री हमजा यूसुफ ने न केवल रमज़ान की शुभकामनाएं दीं, बल्कि उन्होंने अपने गैर-मुस्लिम साथियों के लिए एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें रमज़ान की बुनियादी जानकारी दी गई है। इसी तरह, लंदन के मेयर सादिक खान ने भी रमज़ान की रोशनी और महत्व को लेकर एक भावनात्मक संदेश दिया। उन्होंने लंदन में रमज़ान लाइट्स को पश्चिमी दुनिया में अपनी तरह का पहला कदम बताया और कहा कि यह लंदन की विविधता का प्रतीक है।
Wishing all Muslims in the UK, the Commonwealth and around the world a blessed and peaceful Ramadan.#RamadanMubarak pic.twitter.com/VboI2aexfz
— The Royal Family (@RoyalFamily) February 28, 2025
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी रमज़ान की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह महीना आत्मनिरीक्षण, आध्यात्मिकता और भाईचारे का है। उन्होंने खासतौर पर उन सभी लोगों को शुभकामनाएं दीं जो अपने दोस्तों और परिवार के साथ इफ़्तार का आनंद ले रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी रमज़ान के मूल्यों पर जोर देते हुए करुणा, सहानुभूति और उदारता का संदेश दिया। उन्होंने खासतौर पर उन लोगों का जिक्र किया जो इस पवित्र समय को विस्थापन और हिंसा के बीच बिता रहे हैं।
Ramadan Mubarak to all our followers. A month full of blessings, reflection, and spiritual renewal. May this Ramadan bring peace, prosperity, and closeness to Allah. May Allah allow us to make the most of the month and allow us all to become the best versions of ourselves. Ameen.… pic.twitter.com/Pjw5BmIRzy
— Faithfull Ballers (@FaithfullBaller) February 28, 2025
खेल जगत से भी आईं शुभकामनाएं
खेल जगत के सितारे भी रमज़ान की बधाइयां देने में पीछे नहीं रहे। इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने अपने आधिकारिक हैंडल से ‘रमज़ान करीम’ का संदेश दिया, जबकि रियल मैड्रिड के फुटबॉलर एंटोनियो रुडिगर ने अपने सभी मुस्लिम प्रशंसकों और दोस्तों को रमज़ान की शुभकामनाएं दीं।
Ramadan Mubarak. pic.twitter.com/MMu7rXdaOp
— Anthony Albanese (@AlboMP) February 28, 2025
प्रसिद्ध हस्तियां और संस्थान भी शामिल
ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय ने रमज़ान की शुभकामनाएं दीं, जिससे यह संदेश गया कि शिक्षा जगत भी इस अवसर को महत्व देता है। सोशल मीडिया पर भी कई पत्रकारों, रेडियो जॉकी और प्रभावशाली लोगों ने रमज़ान की मुबारकबाद दी। रेडियो जॉकी सायमा ने ट्विटर पर लिखा, “अल्लाह हम सभी को खुशी, स्वास्थ्य और शांति प्रदान करे। आमीन।” पत्रकार उमाशंकर सिंह और पूजा माथुर ने भी रमज़ान की शुभकामनाएं देते हुए गाजा शहर में लोगों के जज़्बे की तारीफ की।
To the Muslim communities in Scotland and across the world, I wish you a peaceful and blessed Ramadan.
— John Swinney (@JohnSwinney) February 28, 2025
Ramadan Mubarak. pic.twitter.com/f0gl5mptlJ
भारत में क्यों नहीं आईं प्रमुख हस्तियों की शुभकामनाएं?
जहां दुनिया भर से रमज़ान की शुभकामनाएं आ रही हैं, वहीं भारत में प्रमुख हस्तियों और नेताओं की खामोशी सवाल खड़े कर रही है। भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब का यह हिस्सा रहा है कि त्योहारों पर सभी समुदाय एक-दूसरे को बधाई देते हैं, लेकिन इस बार रमज़ान पर वह गर्मजोशी नहीं दिख रही। बॉलीवुड के सितारे, बड़े व्यापारी और राजनेता जो दिवाली, होली या ईद पर बधाइयां देने में सक्रिय रहते हैं, वे इस बार रमज़ान पर चुप हैं।
Ramadan Kareem🌙! Wishing those observing the Holy Month blessings and joy. pic.twitter.com/myMsXdccea
— England Cricket (@englandcricket) February 28, 2025
क्या बदल रहा है भारत का सामाजिक परिदृश्य?
Ramadan Mubarak to Everyone. Ameen pic.twitter.com/E3CsqORHu1
— Deepika Pushkar Nath (@DeepikaPNath) February 28, 2025
यह सवाल उठता है कि क्या भारत में समाज का स्वरूप बदल रहा है, जहां धार्मिक सौहार्द और आपसी भाईचारा प्रभावित हो रहा है? क्या यह किसी डर या राजनीतिक दबाव का परिणाम है, या फिर यह मात्र एक संयोग है? AIMIM दिल्ली ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से रमज़ान की मुबारकबाद दी और दुआ की कि अल्लाह सभी के रोज़े क़बूल करे और दुनिया में न्याय स्थापित हो। लेकिन मुख्यधारा की राजनीति में रमज़ान को लेकर वैसा उत्साह नहीं दिखा।
#Ramadan mubarak pic.twitter.com/k6ri6Pj4sI
— Joram van Klaveren (@JoramvKlaveren) February 28, 2025
रमज़ान: एकता और भाईचारे का संदेश
Ramadan Mubarak to all observing this month ☪#Ramadan2025 pic.twitter.com/CweU5eSY32
— University of Oxford (@UniofOxford) February 28, 2025
रमज़ान केवल उपवास और इबादत का महीना नहीं है, बल्कि यह सहिष्णुता, करुणा और आपसी भाईचारे का भी प्रतीक है। यह समय है जब समाज के सभी तबकों को मिलकर एकता और सद्भाव का संदेश देना चाहिए। दुनिया भर के नेताओं ने इस मौके पर मुसलमानों को शुभकामनाएं दीं, जिससे यह जाहिर होता है कि यह महीना किसी एक धर्म या समुदाय तक सीमित नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए प्रेम और शांति का संदेश देता है।
Ramadan embodies the values of compassion, empathy and generosity.
— António Guterres (@antonioguterres) March 1, 2025
To all those who will spend this sacred time amid displacement and violence, I wish to express a special message of support.
And I join those observing Ramadan to call for peace and mutual respect. pic.twitter.com/40Ac8aeWip
काबिल ए गौर
Ramadan Kareem to all. May Allah bestow happiness, health and peace upon all of us. Aameen 🤲🏻
— Sayema (@_sayema) February 28, 2025
जब पूरी दुनिया रमज़ान की मुबारकबाद दे रही है, तब भारत में प्रमुख हस्तियों की खामोशी सवाल खड़े करती है। क्या यह मात्र एक संयोग है, या फिर यह समाज में बढ़ते विभाजन का संकेत है? जो भी हो, रमज़ान के मूल संदेश को समझना और उसे आत्मसात करना ही इस पवित्र महीने का असली मकसद है।