रमजान से पहले इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की एडवाइजरी जारी,जमीयत ने संभल पीड़ितों को दी सहायता
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
पवित्र रमजान महीने के आगमन से पहले इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने 15 सूत्रीय एडवाइजरी जारी की है। इसमें उन्होंने देश की सलामती, भाईचारे और आपसी सौहार्द को मजबूत करने के लिए विशेष दुआ करने की अपील की है। इसके साथ ही रमजान के दौरान विशेष नियमों और परंपराओं का पालन करने की हिदायत दी गई है। उन्होंने सहरी और इफ्तार के दौरान शांति बनाए रखने और पड़ोसियों की भावनाओं का सम्मान करने पर जोर दिया है।
रमजान में शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखने की अपील
मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि रमजान इबादत और संयम का महीना है। इस दौरान रोजेदारों को अधिक से अधिक समय इबादत में बिताना चाहिए और समाज में सकारात्मकता फैलानी चाहिए। उन्होंने खासतौर पर इस बात पर जोर दिया कि सहरी के समय बेवजह शोर न किया जाए और मस्जिदों से बार-बार माइक पर ऐलान करने से बचा जाए। उन्होंने कहा कि इससे दूसरे लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो सकती है और भाईचारे की भावना को ठेस पहुंच सकती है।
इफ्तार और तरावीह के लिए विशेष निर्देश
मौलाना ने कहा कि इफ्तार और तरावीह के दौरान अनुशासन बनाए रखना आवश्यक है। तरावीह की नमाज एक महत्वपूर्ण सुन्नत है, इसलिए इसका पूरा ख्याल रखा जाए। इसके अलावा, नमाजियों की गाड़ियां उचित स्थान पर पार्क करने की हिदायत दी गई है, ताकि ट्रैफिक व्यवस्था प्रभावित न हो। उन्होंने यह भी अपील की कि इफ्तार पार्टियों में गरीबों को विशेष रूप से शामिल किया जाए और हर मस्जिद में सामूहिक इफ्तार का प्रबंध किया जाए।
सफाई और जकात पर जोर
इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की एडवाइजरी में रमजान के दौरान स्वच्छता बनाए रखने पर भी विशेष ध्यान देने की अपील की गई है। मस्जिदों, मोहल्लों और आसपास के इलाकों को साफ-सुथरा रखने की जरूरत पर बल दिया गया है। साथ ही, मालदार मुसलमानों को रमजान के दौरान अपनी जकात (दान) अदा करने और गरीबों की मदद के लिए आगे आने की सलाह दी गई है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक सक्षम व्यक्ति को अपनी संपत्ति का ढाई प्रतिशत गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना चाहिए।
जमीयत उलेमा गुजरात द्वारा संभल हादसे के शहीदों के परिवारों को रमजान से पहले आर्थिक सहायता
— Jamiat Ulama-i-Hind (@JamiatUlama_in) February 27, 2025
कोई भी व्यवस्था, कानून और न्याय को कुचलकर स्थिर नहीं रह सकती – मौलाना मोहम्मद हकीमुद्दीन कासमी
संभल, 27 फरवरी: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना मोहम्मद हकीमुद्दीन कासमी के नेतृत्व में… pic.twitter.com/1UX5d7Kb4I
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने संभल हादसे के पीड़ितों को दी सहायता
रमजान के मुबारक महीने से पहले, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भी एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए संभल हादसे के शहीदों के परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की। जमीयत उलेमा गुजरात के एक प्रतिनिधिमंडल ने महासचिव मौलाना मोहम्मद हकीमुद्दीन कासमी के नेतृत्व में पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और प्रत्येक परिवार को एक लाख रुपये की सहायता राशि दी। यह सहायता रमजान से पहले प्रभावित परिवारों की मदद करने और उनके साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए दी गई।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने पीड़ितों को न्याय दिलाने का संकल्प लिया
प्रतिनिधिमंडल में जमीयत उलेमा गुजरात के उपाध्यक्ष मौलाना अब्दुल कुद्दूस पालनपुरी, मौलाना अबुल हसन सिवानी (पालनपुर), मौलाना नदीम अहमद बदरखा और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल थे। इस अवसर पर जमीयत उलेमा संभल के अध्यक्ष हाफिज मोहम्मद शाहिद, महासचिव मौलाना नदीम अख्तर कासमी और स्थानीय पदाधिकारी भी उपस्थित थे।
गौरतलब है कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के विशेष निर्देश पर, घटना के कुछ ही दिनों बाद केंद्रीय कार्यालय की ओर से प्रत्येक शहीद के परिवार को पहले ही पांच-पांच लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जा चुकी है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद लगातार पीड़ितों के संपर्क में है और उनकी हरसंभव सहायता सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है।
जमीयत का संदेश: इंसाफ के लिए संघर्ष जारी रहेगा
मौलाना अब्दुल कुद्दूस पालनपुरी ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद हमेशा से ही पीड़ितों और जरूरतमंदों के साथ खड़ी रही है और आगे भी अपने धार्मिक और राष्ट्रीय कर्तव्यों को निभाती रहेगी। उन्होंने कहा कि रमजान का यह मुबारक महीना हमें इंसाफ और भाईचारे की सीख देता है, इसलिए हमें हर जरूरतमंद के साथ खड़ा होना चाहिए।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना मोहम्मद हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि संगठन की राहत गतिविधियां केवल आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह पीड़ित परिवारों के दुख को साझा करने और उन्हें न्याय दिलाने के लिए भी प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यवस्था, कानून और न्याय को कुचलकर स्थिर नहीं रह सकती। जमीयत उलेमा-ए-हिंद यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी कि पीड़ितों को न्याय मिले और उनकी आवाज बुलंद हो।
काबिल ए गौर
रमजान का पवित्र महीना न केवल इबादत और आत्मशुद्धि का समय होता है, बल्कि समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने का भी अवसर प्रदान करता है। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया और जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से जारी दिशानिर्देशों और राहत प्रयासों से स्पष्ट होता है कि यह महीना मानवता, सेवा और भाईचारे का संदेश देता है। इस रमजान, हर व्यक्ति को इबादत के साथ-साथ समाज में सद्भाव बनाए रखने और जरूरतमंदों की मदद करने की दिशा में भी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।