अफ़गान महिलाओं के समर्थन में संयुक्त राष्ट्र का बड़ा कदम, पेरिस में होगा वैश्विक सम्मेलन
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,पेरिस
अफ़गान महिलाओं और लड़कियों की स्थिति पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) और संयुक्त राष्ट्र महिला प्रभाग (UN Women) ने दो महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों की घोषणा की है। ये सम्मेलन अफ़गान महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा, स्वतंत्रता और उनके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों पर केंद्रित होंगे।
यूनेस्को का सम्मेलन: अफ़गान महिलाओं की स्थिति पर वैश्विक जागरूकता बढ़ाने की पहल
यूनेस्को ने कहा है कि वह 7 मार्च 2025 को पेरिस में एक उच्च-स्तरीय सम्मेलन आयोजित करेगा, जिसका उद्देश्य अफ़गान महिलाओं और लड़कियों की दयनीय स्थिति को उजागर करना और उनके अधिकारों के समर्थन में वैश्विक स्तर पर जागरूकता फैलाना है।
यूनेस्को की आधिकारिक घोषणा में कहा गया:
“अफ़गानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उनके अधिकारों को प्रतिबंधित किया गया है और शिक्षा तक उनकी पहुँच सीमित कर दी गई है। इस सम्मेलन का लक्ष्य दुनिया भर के नीति-निर्माताओं, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार संगठनों को एक मंच पर लाकर इस संकट पर चर्चा करना और समाधान खोजना है।”
अफ़गान महिला कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया
इस सम्मेलन को लेकर अफ़गान महिला कार्यकर्ताओं ने भी अपनी राय व्यक्त की है।
महिला अधिकार कार्यकर्ता तफ़सीर सियाहपोश ने कहा:
“इस्लामिक अमीरात से हमारा प्राथमिक अनुरोध यही है कि वे महिलाओं और लड़कियों के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसरों पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाएं। हमें उम्मीद है कि नया शैक्षणिक वर्ष महिलाओं के लिए खुले दरवाजों के साथ शुरू होगा।”
पूर्व राजनयिक अज़ीज़ मारेज ने कहा:
“इस्लाम और मानव समाज में महिलाओं को दिए गए अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए। महिलाओं के बिना किसी भी देश की प्रगति और विकास संभव नहीं है।”
संयुक्त राष्ट्र महिला प्रभाग का सम्मेलन: अफ़गान महिलाओं की भागीदारी पर जोर
यूनेस्को के सम्मेलन के अलावा, संयुक्त राष्ट्र महिला प्रभाग (UN Women) ने भी 13 मार्च 2025 को एक अलग सम्मेलन आयोजित करने की घोषणा की है। इस बैठक में अफ़गान महिलाओं की सीधी भागीदारी होगी, जिससे वे अपने जीवन को प्रभावित करने वाली नीतियों को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभा सकेंगी।
संयुक्त राष्ट्र महिला प्रभाग के अनुसार, इस सम्मेलन में अफ़गान महिलाओं के साथ संवादात्मक चर्चाएँ, नीति-निर्माण पर विचार-विमर्श, और इस्लामिक अमीरात के वाइस एंड वर्चुएशन मंत्रालय के कानूनों पर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
यूएन महिला प्रभाग ने कहा:
“हम इस बैठक के माध्यम से यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अफ़गान महिलाओं के बारे में केवल चर्चा न हो, बल्कि वे स्वयं अपनी समस्याओं और उनके समाधान पर बात करें।”
हालाँकि, महिला अधिकार कार्यकर्ता लामिया शिरज़ई ने इस तरह की बैठकों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा:
“संयुक्त राष्ट्र ने अफ़गानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों पर कई बैठकें की हैं, लेकिन उनमें वास्तविक अफ़गान महिला प्रतिनिधियों की भागीदारी बेहद कम रही है। ऐसी बैठकों से ज़मीनी हकीकत में कोई बदलाव नहीं आया है।”
अफ़गानिस्तान में महिलाओं की स्थिति: एक गहरी चिंता का विषय
अफ़गानिस्तान में तालिबान शासन के बाद से महिलाओं और लड़कियों पर लगातार कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। स्कूलों, कॉलेजों और नौकरियों में उनकी भागीदारी लगभग न के बराबर हो गई है।
- शिक्षा पर प्रतिबंध:
लड़कियों के लिए छठी कक्षा से ऊपर की शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। - रोजगार के अवसरों में कटौती:
सरकारी और कई निजी संस्थानों में महिलाओं के काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। - सार्वजनिक जीवन में भागीदारी पर रोक:
महिलाओं को बिना पुरुष अभिभावक के यात्रा करने की अनुमति नहीं है, और उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर विशेष ड्रेस कोड का पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है।
संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इन प्रतिबंधों की कड़ी आलोचना की है।
इस्लामिक अमीरात की प्रतिक्रिया
अब तक तालिबान शासन (इस्लामिक अमीरात) ने इन बैठकों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालाँकि, वे बार-बार यह दावा करते रहे हैं कि उन्होंने शरिया कानून के तहत महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित रखा है।
तालिबान नेतृत्व ने पहले कहा था:
“हम इस्लामिक सिद्धांतों के अनुसार महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेंगे, लेकिन हमारी प्राथमिकता शरिया कानून का पालन करना है।”
काबिल ए गौर
अफ़गान महिलाओं की वर्तमान स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है। संयुक्त राष्ट्र और यूनेस्को जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन उनके अधिकारों को बहाल करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। आगामी दो सम्मेलन इस मुद्दे को वैश्विक मंच पर लाने का प्रयास करेंगे, जिससे अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाया जा सके।
हालाँकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि तालिबान शासन इस पर कैसी प्रतिक्रिया देता है और क्या इन बैठकों के परिणामस्वरूप अफ़गान महिलाओं के जीवन में कोई वास्तविक सुधार देखने को मिलेगा।
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