जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति को लेकर बढ़ा विवाद, सांसद रूहुल्लाह मेहदी ने जताई नाराजगी
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति को लेकर चल रहे विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है। श्रीनगर से सांसद और तीन बार विधायक रह चुके रूहुल्लाह मेहदी इस मुद्दे पर बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि पूर्व में लिए गए फैसलों को लागू नहीं किया जा रहा है, जिससे छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। उन्होंने इस विषय पर एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक लंबा-चौड़ा नोट लिखकर सरकार की कथनी और करनी पर सवाल उठाए हैं।
सांसद ने सरकार को वादा याद दिलाया
रूहुल्लाह मेहदी ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा,
“मुझे उम्मीद है कि रिपोर्ट जमा करने के लिए कोई विशेष समयसीमा तय नहीं की गई है, यह केवल एक लिपिकीय त्रुटि होगी या फिर विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच कोई गलतफहमी होगी। @CM_JnK को इसे स्पष्ट करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है, तो यह उन छात्रों के साथ विश्वासघात है जिन्होंने अपनी चुनी हुई सरकार पर भरोसा किया था। जब एक चुनी हुई सरकार अपने लोगों को धोखा देती है, तो इससे बड़ी राजनीतिक तबाही नहीं हो सकती।”
उन्होंने आगे लिखा,
“छात्रों को सीएम से आश्वासन मिलने के बाद मैंने इस मामले पर बात नहीं की थी क्योंकि मुझे उम्मीद थी कि सरकार दिए गए समय में अपना काम करेगी। लेकिन इस जवाब ने मुझे चौंका दिया है। मैं इस पर चुप नहीं बैठूंगा। सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर तुरंत स्पष्टता दे।”
सरकार का जवाब और आरक्षण समीक्षाधीन
जम्मू-कश्मीर सरकार ने 10 दिसंबर 2024 को आरक्षण नीति की समीक्षा के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। इसमें स्वास्थ्य मंत्री सकीना इत्तू, वन मंत्री जावेद अहमद राणा, और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सतीश शर्मा को शामिल किया गया था। हालांकि, सरकार ने अब तक इस समिति के लिए कोई निश्चित समयसीमा तय नहीं की है।
इस मामले पर सरकार का आधिकारिक बयान आया, जिसमें कहा गया है कि “कैबिनेट सब-कमेटी का गठन किया गया है जो विभिन्न पक्षों की शिकायतों की समीक्षा कर रही है। हालांकि, रिपोर्ट जमा करने की कोई तय समयसीमा नहीं रखी गई है।”
पिछले दो वर्षों में आरक्षण से लाभान्वित जनसंख्या
सरकार ने यह भी बताया कि बीते दो वर्षों (1 अप्रैल 2023 से वर्तमान तक) में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के तहत कितने लोग लाभान्वित हुए हैं:
क्षेत्र | SC | ST |
---|---|---|
जम्मू डिवीजन | 67,112 | 4,59,493 |
कश्मीर डिवीजन | 79,813 | – |
कुल | 67,112 | 5,39,306 |
इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर में आरक्षित श्रेणी (ALC/AB/RBA) के तहत लाभान्वित गांवों की संख्या भी दी गई है:
क्षेत्र | ALC | RBA |
जम्मू | 118 | 1,379 |
कश्मीर | 100 | 1,229 |
कुल | 284 | 2,608 |
संसद में पास हुए संशोधन विधेयक
सरकार ने हाल ही में संसद में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किए हैं।
इन विधेयकों का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 करना है। इनमें से 7 सीटें अनुसूचित जाति (SC) और 9 सीटें अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित की गई हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से विस्थापित लोगों को भी इसमें प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान किया गया है।
I hope this line saying “no specific timeline has been been fixed for submitting the report” in the reply is some clerical error or some miscommunication between the department and the Chief Minister’s office. @CM_JnK should clarify this.
— Ruhullah Mehdi (@RuhullahMehdi) March 15, 2025
If it is not, it then is a blatant lie… pic.twitter.com/CX4neWctRQ
सांसद के ट्वीट पर सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
रूहुल्लाह मेहदी के ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर जोरदार बहस छिड़ गई। एक्स (Twitter) पर लोग अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहे हैं:
- Ùm Àr: “जवाबदेही और पारदर्शिता एक जिम्मेदार सरकार की आधारशिला हैं। यदि छात्रों को उनके आरक्षण संबंधी चिंताओं के बारे में आश्वासन दिया गया था, तो अस्पष्टता या देरी के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।”
- यासिर 𝕏: “JKNC केवल छात्रों की भावनाओं के साथ खेल रहा है। हर बार जब कोई उम्मीद होती है, तो वे देरी करते हैं या धोखा देते हैं। अब एक बड़ा विरोध ही एकमात्र रास्ता बचा है।”
- पी. राजपूत: “पुंछ और राजौरी को नियंत्रण रेखा के पास एक नया केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाना चाहिए और 100% आरक्षण दिया जाना चाहिए। बाकी पूरे राज्य में केवल योग्यता के आधार पर चयन किया जाना चाहिए।”
क्या होगा आगे?
सांसद रूहुल्लाह मेहदी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इस मुद्दे को हल्के में नहीं लेंगे और इस मामले को वहीं से उठाएंगे, जहां उन्होंने छोड़ा था। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और छात्रों की चिंताओं को दूर करने के लिए क्या कदम उठाती है।
सरकार के बयान के बाद भी विरोध के सुर थमे नहीं हैं। छात्रों और अन्य संगठनों द्वारा जल्द ही विरोध प्रदर्शन की संभावना जताई जा रही है। अब देखना यह है कि सरकार इस मामले पर कोई ठोस कदम उठाती है या नहीं।