रावलपिंडी की ऐतिहासिक मरकज़ी मस्जिद, जहां रमज़ान में बिखरती है इबादत की रोशनी
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,रावलपिंडी (पाकिस्तान)
रमज़ान का पवित्र महीना आते ही पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर की मरकज़ी जामिया मस्जिद एक आध्यात्मिक केंद्र में तब्दील हो जाती है। यह मस्जिद न सिर्फ इबादतगाह है बल्कि एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर भी है, जहां रमज़ान के दौरान हज़ारों श्रद्धालु जुटते हैं।
मरकज़ी जामिया मस्जिद: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मरकज़ी जामिया मस्जिद की नींव 1896 में अमानुल्लाह खान और पीर मेहर अली शाह ने रखी थी। अमानुल्लाह खान आगे चलकर अफगानिस्तान के राजा बने, जबकि पीर मेहर अली शाह इस्लामाबाद के गोलरा शरीफ के एक प्रसिद्ध धार्मिक नेता थे।
मस्जिद का निर्माण मुगल और स्थानीय स्थापत्य कला का बेहतरीन मिश्रण है। इसके तीन विशाल गुंबद, कई मीनारें, खूबसूरत भित्तिचित्र और जटिल नक्काशीदार मेहराब इसकी भव्यता को दर्शाते हैं।

रमज़ान में मस्जिद की विशेष भूमिका
रमज़ान के दौरान यह मस्जिद हज़ारों नमाज़ियों और रोज़ेदारों के लिए एक आध्यात्मिक आश्रय बन जाती है। यहां रोज़ाना फजर से लेकर तरावीह तक की विशेष नमाज़ों का आयोजन होता है और विशाल प्रांगण में इफ्तार की व्यवस्थाएं की जाती हैं।
विशेष रमज़ान सुविधाएं:
✔ 7000 से अधिक नमाज़ियों के बैठने की व्यवस्था
✔ तरावीह की विशेष नमाज़
✔ इफ्तार और सहरी का मुफ्त इंतज़ाम
✔ आखिरी 10 दिनों में एतिकाफ़ की विशेष व्यवस्था
“मस्जिद की शांति आत्मिक शरण देती है”
50 के दशक के उत्तरार्ध में जन्मे पाकिस्तानी व्यवसायी शेख साजिद महमूद के लिए यह मस्जिद एक आध्यात्मिक केंद्र है। वे कहते हैं,
“मैं इस मस्जिद में प्रार्थना करने वाली दूसरी पीढ़ी से हूं। यह स्थान मुझे गहरी आध्यात्मिक शांति देता है।”
वकास इकबाल, जो एक स्थानीय जौहरी हैं, कहते हैं,
“रमज़ान के दौरान यहाँ आने से एक अलग ही सुकून मिलता है। खुला प्रांगण इसे और भी खास बनाता है, जहां गर्मी हो या सर्दी, कभी तंगी महसूस नहीं होती।”

मरकज़ी जामिया मस्जिद की वास्तुकला और विरासत
मस्जिद की शानदार वास्तुकला मुगल काल की भव्यता को दर्शाती है।
🔹 भित्तिचित्र और हाथ से बने डिजाइन: मस्जिद की दीवारों पर बने भित्तिचित्र पुष्पीय पैटर्न और ज्यामितीय समरूपता को दर्शाते हैं।
🔹 विशाल प्रांगण: मस्जिद का विशाल प्रांगण रमज़ान के दौरान सामूहिक इबादत और इफ्तार के लिए उपयुक्त माहौल प्रदान करता है।
🔹 स्थानीय और मुगल शैली का मिश्रण: मस्जिद की डिजाइन स्थानीय वास्तुकला और मुगल कालीन नक्काशी का अनूठा संगम प्रस्तुत करती है।
मुफ्ती सियालवी: मस्जिद से “गहरा संबंध”
मस्जिद में नमाज़ की अगुवाई करने वाले मुफ्ती मुहम्मद सिद्दीक-उल-हसनैन सियालवी का कहना है कि उनका इस मस्जिद से गहरा रिश्ता है। वे बताते हैं,
“यह रावलपिंडी डिवीजन की सबसे बड़ी मस्जिद है, जिसमें रमज़ान के दौरान विशेष प्रबंध किए जाते हैं। तरावीह, एतिकाफ़ और इफ्तार की उत्कृष्ट व्यवस्थाएं होती हैं।”
मस्जिद का रखरखाव और संरक्षण
मरकज़ी जामिया मस्जिद का प्रबंधन पंजाब औकाफ़ और धार्मिक मामलों के विभाग के अधीन है। प्रशासन सुनिश्चित करता है कि हर 10-15 साल में मस्जिद की मरम्मत और रखरखाव किया जाए, ताकि इसकी ऐतिहासिक सुंदरता बनी रहे।
काबिल ए गौर
रावलपिंडी की मरकज़ी जामिया मस्जिद सिर्फ एक इबादतगाह नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक धरोहर और सांस्कृतिक प्रतीक भी है। रमज़ान के दौरान यह रोज़ेदारों के लिए एक आध्यात्मिक शरण प्रदान करती है, जहां हजारों लोग आत्मिक सुकून पाने के लिए आते हैं।
क्या आपने कभी इस ऐतिहासिक मस्जिद का दौरा किया है? हमें कमेंट में बताएं!