भारत में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का खेल: उत्तर बनाम दक्षिण में धार्मिक सौहार्द की असल तस्वीर
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
पिछले कुछ वर्षों से देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का खेल तेज़ी से बढ़ा है, खासकर उत्तर भारत में। सोशल मीडिया और खासकर इंस्टाग्राम पर साझा किए गए वीडियो और समाचारों ने इस मुद्दे को और ज्यादा हवा दी है। इस बात पर भी बहस शुरू हो गई है कि हिंदू-मुस्लिम के बीच बढ़ता भेदभाव और सांप्रदायिक तनाव केवल उत्तर भारत में ही देखने को मिल रहा है, जबकि दक्षिण भारत में इस तरह की परिस्थितियां कम हैं।
उत्तर भारत में सांप्रदायिक सौहार्द की स्थिति
उत्तर भारत में पिछले दस-बारह सालों में धार्मिक तनावों में बढ़ोतरी देखी गई है। खासकर मुसलमानों के खिलाफ सांस्कृतिक युद्ध छेड़े जाने की घटनाओं में इज़ाफा हुआ है। कुछ कट्टरपंथी संगठनों ने मुसलमानों को डिमोरलाइज करने, उनके धार्मिक स्थलों को तोड़ने और इस्लामिक संस्कृति और निशानियों को मिटाने का अभियान छेड़ रखा है। इन घटनाओं ने देशभर में सांप्रदायिक सौहार्द को नष्ट करने की कोशिशें तेज़ कर दी हैं।
दक्षिण भारत में सांप्रदायिक सौहार्द की तस्वीर
दूसरी ओर, दक्षिण भारत में स्थित तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में धार्मिक सौहार्द की तस्वीर कुछ अलग है। इन राज्यों में हिन्दू-मुस्लिम के बीच सामंजस्य और समझदारी की मिसालें लगातार सामने आती हैं। हाल ही में पांडिचेरी से एक ऐसी खबर आई, जो इस सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल को और मजबूत करती है।
पांडिचेरी में मुसलमानों ने अपने हिंदू और अन्य धर्मों के दोस्तों और स्थानीय आटो चालकों के साथ रोज़ा इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। यह आयोजन पांडिचेरी के काली मंदिर के सामने हुआ, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं आईं। एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसे “संब्रित फैमली” नामक इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर किया गया था।
इस वीडियो पर लोग इस आयोजन को सच्चे भाईचारे और गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक मान रहे हैं। तमिलनाडु और केरल के लोग इस तरह के आयोजनों को देखकर अन्य राज्यों के लोगों के लिए एक मिसाल पेश कर रहे हैं। कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस वीडियो के बाद टिप्पणी की है कि “इंडिया विदाउट बीजेपी” (बिना बीजेपी के भारत) और “तमिलनाडु और केरल के लोग एक जैसी समझ रखते हैं”, जो यह दर्शाता है कि दक्षिण भारत में धार्मिक सद्भाव और सहिष्णुता ज्यादा प्रबल है।
उत्तर भारत बनाम दक्षिण भारत: धार्मिक तनाव की असल तस्वीर
उत्तर भारत में जहां धार्मिक युद्ध और सांप्रदायिक तनाव की खबरें आए दिन सुनने को मिलती हैं, वहीं दक्षिण भारत में ऐसे प्रयासों का मुकाबला करने के लिए अलग ही सामाजिक ताना-बाना बना हुआ है। पांडिचेरी में मुसलमानों द्वारा हिंदू दोस्तों के साथ रोज़ा इफ्तार का आयोजन इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि दक्षिण भारत में विभिन्न धर्मों के लोग एक दूसरे का आदर करते हैं और एक दूसरे के साथ अच्छे संबंध बनाए रखते हैं।
कुछ लोगों का कहना है कि उत्तर भारत में सांप्रदायिक सौहार्द को जानबूझकर बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है, वहीं दक्षिण भारत में लोग आपसी समझ और सहिष्णुता के साथ रहते हैं। मिस्टर असलम ने इस वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे दक्षिण और उत्तर भारत के बीच का अंतर बताया है। एक यूज़र ने लिखा, “तमिलनाडु के लोग सोने के दिल वाले हैं”, जो इस पूरे विवाद का सार है कि यहां लोग धर्म से ऊपर जाकर मानवता के रास्ते पर चलते हैं।
सामूहिक प्रतिक्रिया और सामाजिक संदेश
इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर साढ़े छह हजार से अधिक प्रतिक्रियाएं प्राप्त की हैं, जिनमें लोगों ने यह माना कि सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का खेल सिर्फ उत्तर भारत में नहीं हो रहा, बल्कि इस वीडियो के जरिए उन लोगों के मुंह पर एक करारा तमाचा मारा गया है जो समाज में धार्मिक असहमति फैलाने की कोशिश करते हैं।
पांडिचेरी के इस सकारात्मक उदाहरण ने यह संदेश दिया है कि यदि हम अपनी संस्कृति, धर्म और सभ्यता को समझें और आदर दें तो सांप्रदायिक तनाव कम किया जा सकता है। यह उदाहरण देशभर में फैले सांप्रदायिक तनाव के बीच एक ताजगी का अहसास दिलाता है, कि नफरत से ऊपर उठकर अगर हम इंसानियत को प्राथमिकता दें, तो सच में हम एक बेहतर समाज की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
काबिल ए गौर
देशभर में सांप्रदायिक सौहार्द की स्थिति पर हो रही बहस के बीच पांडिचेरी का यह वीडियो यह साबित करता है कि अगर लोग एक दूसरे के धर्म और संस्कृति का आदर करें, तो आपसी भाईचारे और समझदारी को बढ़ावा दिया जा सकता है। हालांकि उत्तर भारत में कुछ कट्टरपंथी विचारों ने धार्मिक तनाव बढ़ाया है, लेकिन दक्षिण भारत में इस तरह की घटनाओं की कमी नहीं है। इस तरह के सकारात्मक उदाहरणों को लेकर हम सबको एकजुट होने की जरूरत है, ताकि हम एक मजबूत और सामंजस्यपूर्ण भारत की दिशा में आगे बढ़ सकें।