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क्या रक्तदान से रोज़ा टूट जाता है? जानिए इस्लामी नज़रिया

गुलरूख जहीन

रमज़ान के दौरान रोज़ा रखते हुए रक्तदान करना कई लोगों के लिए एक सवाल बना रहता है। इस्लामी विद्वानों के अनुसार, रोज़े के दौरान बड़ी मात्रा में रक्तदान करने से शरीर पर कपिंग (हिजामा) जैसा प्रभाव पड़ सकता है, जिससे रोज़े पर असर पड़ सकता है। इस वजह से, जब तक कोई आपातकालीन स्थिति न हो, तब तक रोज़ेदार को रक्तदान करने से बचना चाहिए।

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क्या रक्तदान करने से रोज़ा टूट जाता है?

अगर रोज़ा फ़र्ज़ है और किसी को बड़ी मात्रा में रक्तदान करने की ज़रूरत पड़ती है, तो यह तभी जायज़ होगा जब प्राप्तकर्ता को तत्काल खून की ज़रूरत हो और वह इफ्तार तक इंतज़ार न कर सके। ऐसे मामले में, अगर डॉक्टर यह तय करें कि दान किया गया रक्त किसी ज़रूरतमंद के लिए जीवनरक्षक साबित होगा, तो रोज़ेदार को अपने रोज़े को तोड़कर रक्तदान करने की अनुमति होगी।

रक्तदान करने के बाद, अगर रोज़ेदार को कमजोरी महसूस होती है, तो उसे खाने-पीने की अनुमति होगी, लेकिन बाद में इस दिन की क़ज़ा (रोज़े की भरपाई) करनी होगी।

रक्त परीक्षण और रोज़े पर प्रभाव

रक्त परीक्षण (ब्लड टेस्ट) से रोज़ा नहीं टूटता क्योंकि इसमें बहुत कम मात्रा में रक्त लिया जाता है और यह शरीर को कमजोर नहीं करता। प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान शेख इब्न बाज़ ने कहा कि ब्लड टेस्ट से रोज़ा प्रभावित नहीं होता, क्योंकि यह रोज़ा तोड़ने वाले कार्यों में शामिल नहीं है। इसी तरह, शेख इब्न उसैमीन ने भी इस बात की पुष्टि की कि रक्त की थोड़ी मात्रा लेने से रोज़ा नहीं टूटता।

रक्तदान कब करें?

रमज़ान के दौरान रक्तदान करना एक नेक कार्य माना जाता है, क्योंकि इससे ज़रूरतमंदों की जान बचाई जा सकती है। हालांकि, यह सलाह दी जाती है कि रक्तदान इफ्तार के बाद किया जाए, ताकि व्यक्ति को कमजोरी न हो और उसे पानी व भोजन करने का अवसर मिल सके।

अगर कोई आपात स्थिति हो और रक्तदान ज़रूरी हो, तो इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार रोज़ेदार को अपना रोज़ा तोड़कर रक्तदान करने की अनुमति है। बाद में, उसे इस रोज़े की क़ज़ा करनी होगी।

रमज़ान और उपवास का महत्व

रमज़ान आत्मसंयम और आध्यात्मिक शुद्धि का महीना है। इसमें मुसलमान सुबह फ़ज्र से लेकर सूर्यास्त तक रोज़ा रखते हैं, जिसमें खाने-पीने और अन्य भौतिक इच्छाओं से दूर रहना शामिल है। रोज़े का उद्देश्य आत्म-संयम, ईश्वर के प्रति नज़दीकी और नेक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेना है।

हलाल स्नैक्स और रक्तदान केंद्र

रक्तदान करने के बाद ब्लड सेंटर द्वारा दिए जाने वाले स्नैक्स के बारे में भी सवाल उठते हैं। कई ब्लड वर्क्स केंद्र ऐसे स्नैक्स प्रदान करते हैं, जिनमें से कुछ हलाल हो सकते हैं। हलाल भोजन में शराब, सूअर का मांस या इससे बने उत्पाद नहीं होने चाहिए। कुछ स्नैक्स जैसे किशमिश (सनमेड), ट्रॉपिकाना जूस, और कुछ प्रकार के आलू चिप्स हलाल होते हैं, जबकि डोरिटोस जैसे स्नैक्स में इस्तेमाल किया जाने वाला पनीर हलाल नहीं होता।

काबिल ए गौर

रोज़े के दौरान रक्तदान करने का फैसला परिस्थिति पर निर्भर करता है। अगर रक्तदान से किसी की जान बच सकती है और दानकर्ता के लिए इफ्तार तक इंतजार करना संभव नहीं है, तो इस्लामी दृष्टिकोण से इसे जायज़ माना गया है। हालांकि, बिना किसी आवश्यक कारण के बड़ी मात्रा में रक्तदान करने से बचना चाहिए। रक्त परीक्षण जैसे छोटे ब्लड सैंपल से रोज़े पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

रमज़ान न केवल आत्मसंयम और इबादत का महीना है, बल्कि ज़रूरतमंदों की मदद करने का भी समय है। ऐसे में, रक्तदान एक महान कार्य है, जिसे उपयुक्त समय पर किया जाना चाहिए।