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बीड मस्जिद विस्फोट: विजय राम और श्रीराम अशोक पर यूएपीए, ‘आतंकी साजिश’ का मामला दर्ज, जांच में नया मोड़

मुंबई | मुस्लिम नाउ ब्यूरो
महाराष्ट्र के बीड जिले की एक मस्जिद में ईद-उल-फितर की पूर्व संध्या पर हुए जिलेटिन विस्फोट के मामले ने अब गंभीर मोड़ ले लिया है। पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार दो आरोपियों पर आतंकी साजिश और आतंकवादी कृत्य के तहत यूएपीए और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कठोर धाराएं लगा दी हैं।

घटना की पृष्ठभूमि: ईद से ठीक पहले मस्जिद में धमाका

दिनांक 30 मार्च, 2025 को बीड जिले की जियोराई तहसील के अर्ध मसला गांव स्थित एक मस्जिद में उस समय हलचल मच गई जब वहां जिलेटिन की छड़ों से विस्फोट हुआ। यह घटना ईद-उल-फितर से ठीक पहले हुई, जब इलाके में जुलूस के दौरान दो समूहों के बीच विवाद की खबर सामने आई थी।

हालांकि, इस विस्फोट में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन मस्जिद की आंतरिक संरचना को नुकसान पहुंचा।


गिरफ्तारी और पहली धाराएं

पुलिस ने घटना के कुछ ही घंटों में स्थानीय निवासी विजय राम गव्हाणे (22) और श्रीराम अशोक सागड़े (24) को गिरफ्तार कर लिया।
प्रारंभिक जांच के आधार पर, पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई धाराएं लगाई थीं, जिनमें शामिल थीं:

  • धारा 298: किसी धर्म विशेष के पूजा स्थल को नुकसान पहुंचाना
  • धारा 299: जानबूझकर धार्मिक भावनाएं आहत करना
  • धारा 196: दो समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना

जांच में बड़ा अपडेट: अब UAPA और BNS की ‘आतंकवाद’ से जुड़ी धाराएं शामिल

अब इस केस में आतंकवाद रोधी कानून के तहत गंभीर धाराएं जोड़ी गई हैं। बीड पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार:

“जांच में नए साक्ष्यों के आधार पर अब BNS की धारा 113 (आतंकी कृत्य) और UAPA की धारा 15, 16 और 18 को जोड़ा गया है, जो आतंकवादी गतिविधियों, सजा और साजिश से संबंधित हैं।”

इन धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज होने से यह स्पष्ट हो गया है कि घटना को ‘आतंकी साजिश’ के रूप में देखा जा रहा है, न कि केवल सांप्रदायिक विवाद के परिणामस्वरूप।


यूएपीए के तहत बेल मुश्किल, हिरासत में हैं आरोपी

यूएपीए (Unlawful Activities Prevention Act) की धाराएं बेहद सख्त मानी जाती हैं। एक बार इन धाराओं के तहत गिरफ्तारी हो जाने पर जमानत मिलना अत्यंत कठिन हो जाता है।
अधिकारियों ने पुष्टि की है कि दोनों आरोपी फिलहाल पुलिस हिरासत में हैं और पूछताछ जारी है।

बीड मस्जिद विस्फोट मामला अब सिर्फ एक स्थानीय सांप्रदायिक घटना नहीं रह गया, बल्कि यह एक राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकी साजिश से जुड़ा गंभीर केस बन चुका है। कानून प्रवर्तन एजेंसियां इसे संवेदनशील आतंकवादी घटना के रूप में देख रही हैं। आने वाले दिनों में NIA (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) या अन्य केंद्रीय एजेंसियों की संलिप्तता भी संभव मानी जा रही है।

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