वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ कालीकट में विशाल प्रदर्शन, जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष जेबी मोतसिम खान की चेतावनी
मुस्लिम नाउ ब्यूरो | कालीकट
वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ देशभर में उठ रहे विरोध स्वर कालीकट (केरल) में एक विशाल जनसभा के रूप में मुखर हुए। बुधवार, 9 अप्रैल 2025 को दोपहर 3 बजे, स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन (SIO) केरल और सॉलिडैरिटी मूवमेंट द्वारा आयोजित इस सभा में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने भाग लिया। इस आयोजन को जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष जेबी मलिक मोतसिम खान एसबी ने संबोधित किया। उन्होंने इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर सीधा हमला बताया और सरकार को चेतावनी दी कि यदि इसे वापस नहीं लिया गया, तो देशभर में व्यापक आंदोलन छेड़ा जाएगा।
JB Malik Motasim Khan sb, Vice President of Jamaat-e-Islami Hind, addresses a massive protest gathering against the Waqf Amendment Act organized by SIO in collaboration with the Solidarity Movement held in Calicut on Wednesday, April 9, 2025, at 3 PM.@siokerala@solidarityymkl pic.twitter.com/0PHREzhpHq
— Jamaat-e-Islami Hind (@JIHMarkaz) April 9, 2025
“यह कानून मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सामाजिक पहचान को मिटाने की साजिश है,” मोतसिम खान ने अपने भाषण में कहा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मुस्लिम संस्थाओं और वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल कर उन्हें कमजोर करना चाहती है।
सभा में वक्ताओं ने इस बात पर चिंता जताई कि वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को खत्म कर केंद्र सरकार सीधे हस्तक्षेप करना चाहती है, जिससे समुदाय की हजारों संस्थाएं और सामाजिक योजनाएं प्रभावित होंगी।
एसआईओ केरल के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, “यह विधेयक न केवल वक्फ संपत्तियों को छीनने की कोशिश है, बल्कि एक बड़े सांस्कृतिक हमले का हिस्सा है, जिसके तहत मुस्लिम युवाओं को उनके इतिहास, संपत्ति और अस्मिता से काटा जा रहा है।”
सॉलिडैरिटी मूवमेंट के प्रतिनिधियों ने भी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए और कहा कि मुस्लिम समाज को पहले से ही हाशिए पर धकेला जा रहा है और अब उसके संस्थानों को भी खत्म किया जा रहा है।
सभा में महिला संगठनों, युवाओं और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी भाग लिया। प्रदर्शन के दौरान शांतिपूर्ण मार्च निकाला गया और सरकार से तुरंत वक्फ संशोधन अधिनियम को रद्द करने की मांग की गई।

प्रमुख मांगें इस प्रकार रहीं:
- वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधनों को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए।
- वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता की गारंटी दी जाए।
- समुदाय के धार्मिक और सामाजिक अधिकारों की रक्षा की जाए।
- मुस्लिम संस्थाओं को बदनाम करने की साजिशें बंद की जाएं।
निष्कर्ष: कालीकट की यह सभा इस बात का संकेत है कि देश का मुस्लिम समाज अपने अधिकारों को लेकर सजग हो चुका है। जहां एक ओर सरकार विधायी शक्ति के बल पर संस्थागत बदलाव करना चाह रही है, वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समाज सड़कों पर उतर कर अपने हक की लड़ाई लड़ने को तैयार है। कालीकट की यह आवाज अब देशभर में गूंजने लगी है।