जीडीसी गंदेरबल में डॉ. बी.आर. अंबेडकर जयंती पर संगोष्ठी, संवैधानिक मूल्यों की विरासत पर विमर्श
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,,श्रीनगर
गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज (GDC), गंदेरबल की राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) इकाई द्वारा भारतीय संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर गुरुवार को एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय था—“राष्ट्र निर्माण और संवैधानिक विकास में डॉ. बी.आर. अंबेडकर की भूमिका”, जो कि भारत के सामाजिक, राजनीतिक और संवैधानिक इतिहास में उनके योगदान को रेखांकित करता है।
प्रेरक उद्घाटन: प्रिंसिपल डॉ. फौजिया फातिमा का मार्गदर्शन
कार्यक्रम का आयोजन कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो. (डॉ.) फौजिया फातिमा के संरक्षण और अध्यक्षता में हुआ। उन्होंने उद्घाटन सत्र में कहा:
“डॉ. अंबेडकर न केवल संविधान निर्माता थे, बल्कि वह वंचित वर्गों के लिए आवाज़ और समावेशी भारत की आधारशिला भी थे। उनकी दृष्टि ने देश को लोकतांत्रिक मूल्यों, समानता और न्याय की ओर मार्गदर्शन दिया।”
उद्घाटन भाषण: समर्पण और श्रद्धांजलि का मिश्रण
कार्यक्रम की शुरुआत उर्दू विभाग की विभागाध्यक्ष और एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी-I डॉ. जमशीदा अख्तर के गर्मजोशी भरे स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने डॉ. अंबेडकर के योगदान को याद करते हुए कहा:
“डॉ. अंबेडकर एक समाज सुधारक, विचारक और न्यायविद थे, जिन्होंने भारत के संविधान में न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे स्तंभों को स्थापित किया। उनका दृष्टिकोण आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना स्वतंत्रता के समय था।”
डॉ. अख्तर ने कार्यक्रम का संचालन भी किया और प्रतिभागियों को विषय के विविध पहलुओं से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मुख्य वक्ता प्रो. गुल मोहम्मद वानी: अंबेडकर की वैचारिक विरासत का विश्लेषण
संगोष्ठी का मुख्य आकर्षण रहे प्रसिद्ध शिक्षाविद और संवैधानिक विषयों के विशेषज्ञ प्रो. (डॉ.) गुल मोहम्मद वानी, जिन्होंने डॉ. अंबेडकर की संविधानवाद, लोकतांत्रिक शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय और राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर आधारित स्थायी विरासत को विस्तार से प्रस्तुत किया।

उन्होंने कहा:
“अंबेडकर का जीवन संघर्ष, बौद्धिकता और सामाजिक समानता का जीवंत प्रतीक है। हमें उनके विचारों से केवल प्रेरणा ही नहीं, बल्कि अपने जीवन में उसे आचरण में लाने की आवश्यकता है।”
डॉ. वानी ने छात्रों को नागरिक जिम्मेदारी निभाने और संवैधानिक नैतिकता को अपनाने का आह्वान भी किया।
छात्रों की भागीदारी: विचार और संवाद की जीवंतता
इस संगोष्ठी में कॉलेज के एनएसएस स्वयंसेवकों, संकाय सदस्यों, और छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। उन्होंने डॉ. अंबेडकर के जीवन, संघर्ष और विचारधारा पर आधारित विचार प्रस्तुत किए, जिससे आयोजन बौद्धिक विमर्श का केंद्र बन गया।
धन्यवाद प्रस्ताव: डॉ. मंशा निसार की आभारपूर्ण प्रस्तुति
कार्यक्रम का समापन एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी-II डॉ. मंशा निसार के औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने कहा:
“यह संगोष्ठी केवल डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने का माध्यम नहीं, बल्कि युवा मस्तिष्कों में संवैधानिक चेतना और सामाजिक उत्तरदायित्व के बीज बोने का एक प्रयास है।”
निष्कर्ष: अंबेडकर की विचारधारा आज भी प्रासंगिक
इस संगोष्ठी ने यह स्पष्ट किया कि डॉ. बी.आर. अंबेडकर की सोच केवल एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए एक जीवंत दिशा है। गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, गंदेरबल ने एक सशक्त मंच प्रदान कर छात्रों को न्याय, समानता और लोकतंत्र के मूल्यों को समझने और उन्हें आत्मसात करने का अवसर दिया।