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शेख हमदान की भारत यात्रा: पीएम मोदी, जयशंकर और राजनाथ को तोहफे में क्या भेंट किया गया ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, दुबई
दुबई के क्राउन प्रिंस और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के उप प्रधानमंत्री एवं रक्षा मंत्री शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम की हालिया भारत यात्रा सिर्फ कूटनीतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और भावनात्मक रूप से भी अत्यंत ऐतिहासिक रही। इस यात्रा के दौरान शेख हमदान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर, और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को जो अनमोल और प्रतीकात्मक उपहार भेंट किए, उन्होंने दोनों देशों के बीच गहरे और ऐतिहासिक संबंधों को नई ऊंचाई दी।


🇮🇳🤝🇦🇪 भारत-यूएई रिश्तों की झलक इन ऐतिहासिक तोहफों में

शेख हमदान द्वारा भेंट किए गए उपहार न केवल सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से समृद्ध हैं, बल्कि ये पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे भारत-यूएई संबंधों की जीवंत मिसाल भी हैं। आइए, जानते हैं कि उन्होंने किसे, क्या और क्यों भेंट किया — और इन उपहारों के पीछे छुपे गहरे मायने क्या हैं।


🕊️ प्रधानमंत्री मोदी को मिला इतिहास से जुड़ा “बिश्त”

शेख हमदान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जो स्मृति चिन्ह भेंट किया, वह सिर्फ एक वस्त्र नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक विरासत है।

  • यह वस्त्र था — एक काले रंग का बिश्त, जो उनके दादा, दिवंगत शेख राशिद बिन सईद अल मकतूम द्वारा 1974 में भारत यात्रा के दौरान पहना गया था।
  • एक विशाल कांच के केस में सहेजा गया यह बिश्त एक ब्लैक एंड व्हाइट फ़ोटो के साथ प्रस्तुत किया गया, जिसमें शेख राशिद को वही वस्त्र पहने देखा जा सकता है।
  • इस भावुक क्षण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “यह मेरे लिए बहुत कीमती उपहार है।”
    जवाब में, शेख हमदान ने मुस्कुराते हुए अरबी में कहा, “यह आपके कद की तुलना में छोटा है।”

🧕🏻 बिश्त क्या है?

अरब संस्कृति में पुरुषों द्वारा पहना जाने वाला यह पारंपरिक बाहरी वस्त्र गौरव, गरिमा और औपचारिकता का प्रतीक होता है। आजकल इसे विशेष अवसरों पर ही पहना जाता है, जैसे शादियों, धार्मिक त्योहारों या राजकीय आयोजनों में।


📜 विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर को मिला ऐतिहासिक अखबार का पहला पन्ना

नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में डॉ. एस जयशंकर से मुलाकात के दौरान शेख हमदान ने उन्हें एक विरल ऐतिहासिक दस्तावेज़ भेंट किया — अरबी दैनिक ‘अल इत्तिहाद’ का 1984 में प्रकाशित पहला पन्ना

  • इस ऐतिहासिक अखबार की मुख्य रिपोर्ट में शेख हमदान के पिता, शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम के उस साहसिक प्रयास का वर्णन था, जिसमें उन्होंने इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 421 के 73 बंधकों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित की थी।
  • यह घटना भारत-यूएई के मजबूत सुरक्षा और कूटनीतिक रिश्तों की नींव मानी जाती है।
  • तस्वीरों और वीडियो में डॉ. जयशंकर और शेख हमदान को उस अखबार को ध्यान से पढ़ते और उसकी ऐतिहासिक महत्ता पर चर्चा करते हुए देखा गया।

⚔️ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भेंट किया गया शेख जायद का ‘खंजर’

अपनी मुलाकात में राजनाथ सिंह को शेख हमदान ने एक पारंपरिक अमीराती खंजर भेंट किया, जिसे उनके परदादा और यूएई के संस्थापक शेख जायद बिन सुल्तान अल नाहयान का विशेष प्रतीक माना जाता है।

  • यह चांदी से बना हुआ सहेली खंजर है, जो पारंपरिक रूप से यूएई की पहचान और राजसी शौर्य का प्रतीक है।
  • यह खंजर एक विशिष्ट लकड़ी के बॉक्स में सजा हुआ था, जिसमें शेख जायद और उनके किले की तस्वीर उकेरी गई थी।

⚔️ अरबी खंजर: एक सांस्कृतिक धरोहर

सहेली खंजर यूएई की सांस्कृतिक विरासत का अनमोल हिस्सा है। कभी आत्मरक्षा और शिकार के लिए इस्तेमाल होने वाला यह खंजर, आज केवल औपचारिक और विरासत संबंधी आयोजनों में पहना जाता है। यह संवेदनशीलता, साहस और विरासत का प्रतीक है।


🔎 इन उपहारों का कूटनीतिक महत्व

इन तीनों उपहारों में एक बात समान है — ये केवल भौतिक वस्तुएं नहीं, बल्कि भारत और यूएई के बीच पीढ़ीगत संबंधों, सांस्कृतिक सम्मान और राजनीतिक साझेदारी के प्रतीक हैं।

  • बिश्त ने राजनीतिक मित्रता और पारिवारिक विरासत को दर्शाया।
  • अखबार के पन्ने ने सुरक्षा सहयोग और साहसिक नेतृत्व को याद दिलाया।
  • खंजर ने संरक्षण, परंपरा और गौरव की झलक दी।

🌐 भारत-यूएई संबंध: एक नई ऊंचाई की ओर

शेख हमदान की यह यात्रा और उपहारों का चयन यह दर्शाता है कि भारत और यूएई के संबंध सिर्फ राजनयिक मंचों तक सीमित नहीं, बल्कि संवेदनाओं, साझा इतिहास और सांस्कृतिक जुड़ाव से गहराई से जुड़े हैं।

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