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भारतीय पुलिस सेवा में मुस्लिम प्रतिनिधित्व केवल 4%, 200 नए IPS अधिकारियों में मात्र 8 मुस्लिम, मिला कैडर


अशफाक कायमखानी | जयपुर

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा वर्ष 2023 में चयनित भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारियों को उनके राज्य कैडर का आवंटन कर दिया गया है। कुल 200 नवचयनित आईपीएस अधिकारियों में मुस्लिम समुदाय से केवल 8 उम्मीदवार शामिल हैं, जो कि महज 4% का प्रतिनिधित्व दर्शाता है। यह आंकड़ा देश की सबसे प्रतिष्ठित सिविल सेवा में मुस्लिमों की कम भागीदारी की ओर एक बार फिर ध्यान आकर्षित करता है।

कौन कहां से, किस राज्य को मिला कैडर?

मिली जानकारी के अनुसार, चयनित 8 मुस्लिम अधिकारियों को निम्नलिखित राज्यों का कैडर मिला है:

  1. अरफा उस्मानी (रैंक – 12)
    मूल निवासी – उत्तर प्रदेश
    कैडर – महाराष्ट्र
    कोटा – चाइल्ड ऑफ सर्विसमैन
  2. सयम रज़ा (रैंक – 54)
    मूल निवासी – बिहार
    कैडर – बिहार
    कोटा – जनरल
  3. एमडी ताबिश हसन (रैंक – 86)
    मूल निवासी – उत्तर प्रदेश
    कैडर – बिहार
    कोटा – जनरल
  4. गुलाम मायाद्दीन (रैंक – 89)
    मूल निवासी – जम्मू-कश्मीर
    कैडर – मणिपुर
    कोटा – जनरल
  5. दानिश प्रभानी (रैंक – 92)
    मूल निवासी – उत्तर प्रदेश
    कैडर – मणिपुर
    कोटा – जनरल
  6. एमडी आसीम मुजतबा (रैंक – 101)
    मूल निवासी – कर्नाटक
    कैडर – महाराष्ट्र
    कोटा – जनरल
  7. मोहम्मद आफताब आलम (रैंक – 112)
    मूल निवासी – उत्तर प्रदेश
    कैडर – उत्तर प्रदेश
    कोटा – जनरल
  8. अफज़ल अली (रैंक – 135)
    मूल निवासी – बिहार
    कैडर – पश्चिम बंगाल
    कोटा – चाइल्ड ऑफ सर्विसमैन

जातीय प्रतिनिधित्व में असंतुलन?

UPSC जैसे प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी चयन तंत्र के बावजूद मुस्लिम समुदाय का IPS जैसी महत्वपूर्ण सेवा में इतना कम प्रतिनिधित्व सामाजिक और शैक्षणिक स्तर पर गहरी पड़ताल की माँग करता है। चयनित कुल 200 अफसरों में मुस्लिम समुदाय से केवल 8 होना न केवल चिंताजनक है, बल्कि यह शैक्षिक जागरूकता, मार्गदर्शन की कमी और सामाजिक संसाधनों के अभाव को भी उजागर करता है।

ट्रेनिंग के बाद राज्य में होगी पोस्टिंग

सभी चयनित IPS अधिकारी अब हैदराबाद स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (SVPNPA) में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद अपनी वरीयता, रैंक और आरक्षण नीति के अनुसार संबंधित राज्य कैडर में नियुक्त किए जाएंगे।

समुदाय के लिए आत्ममंथन का समय

मुस्लिम समुदाय को यदि प्रशासनिक सेवाओं में अपना प्रतिनिधित्व बढ़ाना है तो केवल प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि सक्रिय शैक्षिक रणनीति, मार्गदर्शन केंद्र और प्रतियोगी तैयारी की संस्कृति को बढ़ावा देना होगा। कोचिंग, मेंटरिंग और रोल मॉडल्स की मौजूदगी इसमें निर्णायक भूमिका निभा सकती है।


काबिल ए गौर
देश की कानून व्यवस्था की रीढ़ कही जाने वाली IPS सेवा में मुस्लिम समुदाय की भागीदारी आज भी सीमित है। हर साल UPSC के जरिए सैकड़ों अधिकारी चुने जाते हैं, लेकिन उनका धार्मिक व जातीय प्रतिनिधित्व भारतीय समाज की विविधता को समुचित रूप में नहीं दर्शा पाता। यह आंकड़ा एक गंभीर सामाजिक संवाद और रणनीतिक हस्तक्षेप की ओर संकेत करता है।