सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की वैधता पर सुनवाई आज, याचिकाओं पर विचार
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📍 मुस्लिम नाउ ब्यूरो,,नई दिल्ली
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होने जा रही है। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन भी शामिल हैं, मामले की सुनवाई करेगी।
🔎 वक्फ संशोधन अधिनियम क्यों है विवादों में?
वक्फ अधिनियम, 1995 में किए गए संशोधनों के तहत कई नए प्रावधान जोड़े गए हैं, जिन पर मुस्लिम समुदाय, धार्मिक संगठन और विपक्षी दल गंभीर आपत्ति जता रहे हैं। इनका कहना है कि यह कानून इस्लामी सिद्धांतों, संविधान के मौलिक अधिकारों, और अल्पसंख्यक समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता के विरुद्ध है।
🧾 कौन-कौन पहुंचे सुप्रीम कोर्ट?
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ याचिका दायर करने वालों में शामिल हैं:
- कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद
- AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
- जमीअत उलमा-ए-हिंद (मौलाना अरशद मदनी गुट)
- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB)
- एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR)
- आप नेता अमानतुल्लाह खान
- सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI)
- तैय्यब खान सलमानी, अंजुम कादरी और अन्य सामाजिक कार्यकर्ता
इन याचिकाओं में कहा गया है कि वक्फ अधिनियम, 2025 का संशोधन संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29, 30 और 300A का स्पष्ट उल्लंघन करता है।
🏛️ सरकार और समर्थकों की दलील
वहीं दूसरी ओर, केंद्र सरकार और कई भाजपा शासित राज्य जैसे हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम और उत्तराखंड इस कानून का समर्थन कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि यह संशोधन गरीब मुसलमानों के हित में है और इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि यह कानून वक्फ की संपत्तियों में सरकार का हस्तक्षेप नहीं करता, बल्कि यह “सबका साथ, सबका विकास” की नीति के अनुरूप है।
🙅♂️ हिंदू सेना ने क्या कहा?
हिंदू सेना ने इस अधिनियम के समर्थन में हस्तक्षेप याचिका दाखिल की है। हिंदू सेना के अध्यक्ष ने तर्क दिया कि पुराना वक्फ अधिनियम (1995) गैर-मुस्लिमों के अधिकारों का उल्लंघन करता था। उनका आरोप है कि वक्फ बोर्ड ने कई गैर-मुस्लिम संपत्तियों पर भी कब्जा किया है और नया कानून इसे रोकने की दिशा में एक अहम कदम है।
📜 विपक्ष का तीखा रुख
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने वक्फ अधिनियम 2025 को “संविधान के मूल ढांचे पर हमला” बताया है। कांग्रेस का आरोप है कि इस कानून का उद्देश्य देश को धार्मिक आधार पर ध्रुवीकृत करना और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सीमित करना है।
कांग्रेस एमएलसी आमिर अली खान ने भी हाल ही में बयान दिया कि यह कानून धर्म के अधिकारों का खुला उल्लंघन करता है और वक्फ संपत्तियों की पहचान और संरक्षण को खतरे में डालता है।
🔍 वक्फ की कानूनी और धार्मिक पृष्ठभूमि
‘वक्फ’ एक इस्लामिक अवधारणा है, जिसके अंतर्गत कोई मुसलमान अपनी संपत्ति को धार्मिक या जनकल्याण के कार्यों जैसे मस्जिद, स्कूल, अस्पताल आदि के लिए स्थायी रूप से समर्पित करता है। यह संपत्ति वक्फ घोषित होते ही ‘अलाह की संपत्ति’ मानी जाती है, जिसे बेचा, बदला या निजी स्वामित्व में नहीं लिया जा सकता।
🔚 निष्कर्ष
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर जहां एक ओर धार्मिक और सामाजिक संगठन गंभीर आपत्ति दर्ज करा रहे हैं, वहीं सरकार और समर्थक संगठन इसे सुधारात्मक कदम मान रहे हैं। अब सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं, जो तय करेगा कि यह संशोधन संविधान के अनुरूप है या नहीं।
📌 इस मुद्दे से जुड़े हर अपडेट के लिए जुड़े रहें — यह मामला सिर्फ एक कानून नहीं, बल्कि देश के संवैधानिक ढांचे और धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ा बड़ा सवाल बन चुका है।