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डॉ. अंबेडकर ने अंधकार में प्रकाश फैलाया – जामिया मिल्लिया इस्लामिया में अंबेडकर जयंती पर असम के राज्यपाल

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

— जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) विश्वविद्यालय ने भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती के अवसर पर 13 अप्रैल को एक प्रभावशाली और भावनात्मक समारोह का आयोजन किया। इस ऐतिहासिक अवसर पर असम के माननीय राज्यपाल श्री लक्ष्मण प्रसाद आचार्य मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के FTK-Centre for Information Technology ऑडिटोरियम में किया गया, जिसमें डॉ. अंबेडकर के योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी गई और उनके विचारों पर गहराई से विचार विमर्श किया गया।


कार्यक्रम की शुरुआत: राष्ट्रगान और जामिया तराना के साथ भावभीनी श्रद्धांजलि

समारोह की शुरुआत सभागार में राष्ट्रगान की गूंज के साथ हुई, जिसके बाद जामिया के गायन मंडल ने ‘जामिया तराना’ की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। इसके पश्चात संविधान निर्माता डॉ. बी. आर. अंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।

इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मजहर आसिफ, रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी, जेएनयू के प्रख्यात समाजशास्त्री प्रोफेसर विवेक कुमार, और असम सरकार के सलाहकार प्रो. हरबंश दीक्षित सहित कई गणमान्य अतिथि शामिल हुए।


असम के राज्यपाल का संबोधन: “अंधकार में प्रकाश फैलाने वाले महामानव”

मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने कहा, “डॉ. अंबेडकर केवल एक नेता या संविधान निर्माता नहीं थे, वे भारत के सामाजिक पुनर्जागरण के अग्रदूत थे। उन्होंने अंधकार में प्रकाश फैलाया और करोड़ों वंचितों को अधिकारों और सम्मान की राह दिखाई।”

राज्यपाल ने डॉ. अंबेडकर के जीवन, संघर्ष और उनके विचारों की वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए युवाओं को उनके आदर्शों पर चलने की प्रेरणा दी।


कुलपति का स्वागत भाषण: “जामिया एक विचारधारा है”

जामिया के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने भोजपुरी और असमिया के संयोजन से अपने दिल को छू लेने वाले स्वागत भाषण में कहा,

“जामिया सिर्फ एक विश्वविद्यालय नहीं है, यह एक विचारधारा है — तहज़ीब, संस्कार और संस्कृति की मिसाल।”

उन्होंने कहा कि जामिया का उद्देश्य केवल शिक्षा देना नहीं, बल्कि इंसान बनाना है। उन्होंने जामिया की विरासत को महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर और अली बंधुओं जैसे महान राष्ट्रवादी नेताओं से जोड़ा, जिन्होंने इस संस्थान को सामाजिक समरसता और समावेशीता का प्रतीक बनाया।

प्रो. आसिफ ने यह भी घोषणा की कि,

“यह समारोह सिर्फ एक शुरुआत है। जामिया हर वर्ष डॉ. अंबेडकर जयंती को और भी अधिक उत्साह, ऊर्जा और भागीदारी के साथ मनाएगा।”


मुख्य वक्ता प्रोफेसर विवेक कुमार का चिंतनशील संबोधन

जेएनयू के स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज के प्रोफेसर विवेक कुमार ने अपने विद्वत्तापूर्ण भाषण में दो महत्वपूर्ण प्रश्नों को उठाया:

  1. शैक्षणिक प्रणाली में डॉ. अंबेडकर के विचारों का मूल्यांकन कैसे किया जाना चाहिए?
  2. हम डॉ. अंबेडकर को केवल दलितों के मसीहा या संविधान निर्माता तक सीमित करने से कैसे बचें?

उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर को एक ‘ज्ञान निर्माता’ (Knowledge Producer) के रूप में देखा जाना चाहिए, जिनके विचार ऐतिहासिक, पाठ्य, विकासात्मक, तुलनात्मक और अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण थे।

प्रो. कुमार ने विद्यार्थियों को यह याद दिलाया कि डॉ. अंबेडकर ने अपने विचारों की नींव ऐतिहासिक तथ्यों, पुरातात्विक स्रोतों और गहन अध्ययन पर रखी। उन्होंने ज्ञान निर्माण की ‘ज्ञानमीमांसा’ पर बात करते हुए अंबेडकर के दृष्टिकोण को आज के युवाओं के लिए मार्गदर्शक बताया।


श्रद्धांजलि से राष्ट्र निर्माण तक – एक साझा संकल्प

इस अवसर पर रजिस्ट्रार प्रो. महताब रिज़वी, प्रो. रविंस, डॉ. अमित वर्मा, डॉ. कपिल और डॉ. अरुणेश ने अपने-अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. अंबेडकर की सोच आज भी समाज के हाशिए पर खड़े लोगों के लिए आशा की किरण है।

कार्यक्रम में मौजूद छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने डॉ. अंबेडकर के विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया और उनके दिखाए मार्ग पर चलने की प्रतिज्ञा ली।


डॉ. अंबेडकर की विरासत को जीवंत बनाए रखने की प्रतिज्ञा

इस ऐतिहासिक समारोह ने न केवल डॉ. अंबेडकर के योगदान को सम्मानित किया, बल्कि यह भी दर्शाया कि शिक्षा, समानता और सामाजिक न्याय के उनके सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने इस आयोजन के माध्यम से यह संदेश दिया कि विश्वविद्यालय केवल डिग्री देने वाला संस्थान नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का स्तंभ है।

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