वक्फ संशोधन बिल के विरोध बीच श्रीनगर में मीरवाइज के निकाह में शामिल हुए ओवैसी, राजनीतिक हलचल बढ़ी
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,श्रीनगर/नई दिल्ली
जब देश भर में वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर बहस तेज़ है और मुस्लिम समुदाय असमंजस की स्थिति में है, ऐसे समय में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का श्रीनगर दौरा और मीरवाइज उमर फारूक के निकाह समारोह में शिरकत करना सिर्फ एक निजी यात्रा नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक नजरिए से कई मायनों में अहम माना जा रहा है।
🔥 वक्फ अधिनियम और कश्मीर: एक संवेदनशील पृष्ठभूमि
केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर देशभर में मुस्लिम संगठनों ने विरोध की कमान संभाल ली है। इसे वक्फ संपत्तियों के नियंत्रण को केंद्र के हाथ में सौंपने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। ओवैसी जहां इसके विरुद्ध देशव्यापी अभियान चला रहे हैं, वहीं कश्मीर में भी इस विधेयक को लेकर राजनीतिक और सामाजिक तनाव की स्थिति बनी हुई है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में इस विधेयक को लेकर तीखी झड़पें हो चुकी हैं और कई स्थानीय नेताओं ने इसे मुस्लिम समाज के हितों के खिलाफ बताया है।
🤝 ओवैसी और मीरवाइज की मुलाकात: क्या सिर्फ एक निजी मुलाकात थी?
सूत्रों की मानें तो श्रीनगर में मीरवाइज उमर फारूक ने इस्लामी परंपराओं के अनुसार एक सादगीपूर्ण निजी समारोह में निकाह किया, जिसमें चुनिंदा मेहमानों को आमंत्रित किया गया था। इसी कार्यक्रम में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हुए।
हालांकि ओवैसी की इस यात्रा को “व्यक्तिगत” बताया गया है, लेकिन मौजूदा राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को देखते हुए इसे मात्र सामाजिक मुलाकात मान लेना आसान नहीं है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात देश के दो प्रभावशाली मुस्लिम चेहरों के बीच भविष्य की किसी रणनीतिक साझेदारी की भूमिका बन सकती है।
📌 370 हटने के बाद की संवेदनशील स्थिति और मीरवाइज की भूमिका
अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से मीरवाइज उमर फारूक की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जाती रही है। केंद्र सरकार को आशंका रहती है कि मीरवाइज की सार्वजनिक उपस्थिति घाटी के संवेदनशील माहौल को प्रभावित कर सकती है। यही वजह है कि श्रीनगर की जामा मस्जिद में कई बार प्रमुख धार्मिक आयोजनों पर रोक लगाई जाती रही है।
ऐसे में ओवैसी का उनके साथ मंच साझा करना, भले ही निजी समारोह में हो, राजनीतिक और सामाजिक संदेश देने वाला कदम माना जा सकता है।

📣 मुस्लिम संगठनों की देशव्यापी लामबंदी
देश के कई मुस्लिम संगठन वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर एकजुट हो रहे हैं। उनका प्रयास है कि इसे एक जनआंदोलन का रूप दिया जाए, जिससे संसद और समाज दोनों पर दबाव बनाया जा सके।
ओवैसी इस मुहिम के सबसे मुखर नेताओं में से एक हैं, और मीरवाइज का समर्थन या उनके साथ खड़ा होना, इस आंदोलन को नया आयाम दे सकता है।

🧾एक समारोह, कई सियासी संकेत
हालांकि ओवैसी की यह यात्रा पूरी तरह से निजी और सामाजिक संदर्भ में की गई बताई जा रही है, लेकिन इसके राजनीतिक निहितार्थों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आने वाले दिनों में यह देखा जाना दिलचस्प होगा कि क्या मीरवाइज उमर फारूक भी वक्फ अधिनियम के विरोध में सामने आते हैं, और क्या ओवैसी इस सामाजिक रिश्ते को राजनीतिक मोर्चे पर बदलते हैं।