पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत का बड़ा फैसला: सिंधु जल संधि निलंबित, अटारी सीमा बंद, पाकिस्तानियों को भारत छोड़ने के आदेश
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,,नई दिल्ली/श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के 24 घंटे के भीतर भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कई बड़े फैसलों की घोषणा की है। इनमें सबसे अहम है सिंधु जल संधि का तत्काल प्रभाव से निलंबन, अटारी-वाघा सीमा की बंदी, और सार्क वीज़ा छूट योजना के तहत आए पाकिस्तानियों को 48 घंटे में देश छोड़ने के निर्देश।
यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट समिति सुरक्षा (CCS) की आपात बैठक में लिया गया, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश सचिव भी उपस्थित रहे।
🛑 क्या है मामला?
मंगलवार को पहलगाम में सेना की वर्दी पहने आतंकी पर्यटकों से भरी एक बस पर अंधाधुंध गोलियां बरसाने लगे। इस हमले में अब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी है और 17 से अधिक घायल हैं। पीड़ितों में एक नेपाली नागरिक को छोड़कर बाकी सभी भारत के विभिन्न राज्यों से थे।
🇮🇳 भारत का जवाब: तत्काल और निर्णायक कार्रवाई
भारत सरकार द्वारा लिए गए अहम फैसले:
- सिंधु जल संधि निलंबित:
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई इस जल संधि को भारत ने अब तक निभाया था। लेकिन इस हमले को सीमा-पार आतंकवाद से जोड़ते हुए इसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, “जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, यह संधि लागू नहीं होगी।“ - अटारी सीमा चौकी बंद:
भारत-पाकिस्तान के बीच मुख्य भूमि संपर्क मार्ग अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद कर दिया गया है। जो लोग वैध वीजा पर भारत आए हैं, उन्हें 1 मई 2025 तक भारत छोड़ना होगा। - पाकिस्तानी उच्चायोग में कटौती:
भारत में पाक उच्चायोग में रक्षा कर्मियों को एक सप्ताह के भीतर लौटने के लिए कहा गया है। इसके अलावा, उच्चायोग स्टाफ की संख्या कम की जाएगी। - सार्क वीज़ा योजना पर रोक:
भारत सरकार ने कहा कि अब पाकिस्तानियों को सार्क वीज़ा के तहत भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।
💣 हमले की पड़ताल और कड़ी सुरक्षा
सेना ने पहलगाम और आसपास के क्षेत्रों में सघन तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। अब तक दो आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। यह हमला वर्ष 2000 के बाद नागरिकों पर सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है।
🌍 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और राजनयिक हलचल
- अमेरिका:
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी को “पूर्ण समर्थन” का आश्वासन दिया। - चीन और यूरोपीय संघ:
दोनों ने हमले की निंदा करते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ एकजुटता जताई। - पाकिस्तान की प्रतिक्रिया:
विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत खान ने हमले की निंदा तो की लेकिन किसी भी संलिप्तता से साफ इनकार किया। उन्होंने कहा, “हम मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हैं।“
🧾 पृष्ठभूमि: सिंधु जल संधि क्या है?
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई यह संधि सिंधु नदी प्रणाली के जल बंटवारे से जुड़ी है। इसमें तीन पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का अधिकार पाकिस्तान को और तीन पूर्वी नदियों (सतलुज, ब्यास, रावी) का भारत को दिया गया।
अनुच्छेद XII के तहत, यह संधि तभी समाप्त हो सकती है जब दोनों देश आपसी सहमति से इसे खत्म करें।
📌 विश्लेषण: क्यों ये फैसला ऐतिहासिक है?
भारत ने पहली बार सिंधु जल संधि को इस तरह स्पष्ट रूप से निलंबित किया है। यह पाकिस्तान को साफ संदेश है कि सीमा-पार आतंकवाद का समर्थन अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
साथ ही, अटारी सीमा की बंदी और उच्चायोग स्टाफ की कटौती दर्शाती है कि भारत अब राजनयिक रूप से भी पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति पर चल रहा है।
🔚 निष्कर्ष
पहलगाम हमला भारत की संप्रभुता पर सीधा हमला है। सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया और नीतिगत फैसले संकेत देते हैं कि भारत अब “नरम प्रतिक्रिया” के बजाय कठोर और परिणामकारक नीति की ओर बढ़ रहा है। आने वाले दिनों में भारत की रणनीति और वैश्विक प्रतिक्रिया इस पूरे घटनाक्रम को नई दिशा दे सकती है।