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पहलगाम की घटना का दर्द: रिश्तों की सरहदें, टूटते सपने और मजबूरी का मातम

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

पहलगाम की त्रासदी केवल उन परिवारों तक सीमित नहीं रही जिनके प्रियजन इस हिंसा का शिकार हुए। इसने उन हजारों दिलों को भी गहरी चोट पहुंचाई है जो सीमाओं के आर-पार बसे अपने रिश्तों को बड़ी मुश्किलों से जोड़ पाए थे। भारत-पाकिस्तान के बीच फैली तनाव की नई लहर ने न सिर्फ राजनीतिक रिश्तों को झकझोरा है, बल्कि आम लोगों की निजी खुशियों को भी कुचल डाला है।

टूटते वीज़ा, बिछड़ते रिश्ते

पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान ने वीजा सुविधाएं पूरी तरह बंद कर दी हैं। इससे वे लोग भी प्रभावित हुए हैं जिनका हिंसा या राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था। रिश्तेदारों से मिलने आए मेहमानों को अब आदेश मिला है कि वे तत्काल अपने-अपने देश लौट जाएं।

इस निर्णय ने कई दिल दहला देने वाली कहानियां सामने ला दी हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ऐसी ही एक मार्मिक कहानी है मरियम और आमिर की।

एक अधूरा सपना: मरियम और आमिर की कहानी

रुह-ए-इस्लामाबाद, पाकिस्तान की रहने वाली मरियम की शादी 2022 में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर निवासी आमिर से हुई थी। शादी के बाद तीन साल तक वीज़ा न मिल पाने के कारण मरियम भारत नहीं आ सकीं। जनवरी 2025 में आमिर पाकिस्तान गए और कई कोशिशों के बाद फरवरी में मरियम को शॉर्ट-टर्म वीजा मिला।

पहली बार बहू के घर आगमन से आमिर का पूरा परिवार उत्साह और खुशी से झूम उठा। इस खुशी को दोगुना कर दिया मरियम की गर्भावस्था की खबर ने। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।

पहलगाम की घटना के बाद भारतीय सरकार के निर्देश पर मरियम को तुरंत पाकिस्तान लौटने का आदेश मिला। अभी कुछ हफ्ते पहले तक जो मरियम अपने बच्चे के साथ पति की छांव में सपने बुन रही थी, आज बेबस और टूटी हुई सरहद के उस पार भेजी जा रही है।

मरियम ने एक साधारण लड़की की तरह अपने जीवन को संवारने के सपने देखे थे। अब वह अपने अजन्मे बच्चे के साथ पति का साथ छोड़ने को मजबूर है। वह लौटना नहीं चाहती, मगर जमीनी हकीकत और सरकारी आदेशों ने उसकी इच्छाओं पर विराम लगा दिया है।

सैकड़ों कहानियां, एक सा दर्द

मरियम की तरह ही न जाने कितने रिश्तेदार, बुजुर्ग और परिवार बेमन से लौटने को विवश हैं। बीबीसी द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में एक पाकिस्तानी बुजुर्ग का दर्द छलकता है जो गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) में अपने बचपन के दोस्तों से मिलने आया था। वह बताता है कि गांव में दावत के दौरान ही उसे आदेश मिला कि अब उसे तुरंत भारत छोड़ना होगा।

सीमा पर ऐसी दर्दभरी विदाई के अनगिनत दृश्य सामने आ रहे हैं — कहीं बूढ़े माता-पिता अपने बेटों से बिछड़ते दिखते हैं, तो कहीं दादी-पोतों को छोड़कर जाते हुए टूटती नजर आती हैं।

रिश्तों पर राजनीति का साया

भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते पहले ही नाजुक थे। लेकिन हर बार जब राजनैतिक तनाव बढ़ता है, तो सबसे ज्यादा चोट उन दिलों पर लगती है जो सरहदों के पार भी रिश्तों की डोर थामे हुए हैं। आम लोग जो महज प्यार, संबंध और मानवीय भावनाओं के लिए सीमाएं पार करते हैं, वे सबसे पहले इस कड़वाहट का शिकार बनते हैं।

सरहदें देशों को बांट सकती हैं, मगर दिलों को नहीं। बावजूद इसके, हर बार जब गोलियों की गूंज सुनाई देती है, तो दिलों के तार भी कांप उठते हैं। पहलगाम की घटना इसका ताजा प्रमाण है।

अंत में…

मरियम जैसी हजारों कहानियों का दर्द न तो किसी सरकारी फाइल में दर्ज होगा, न ही किसी राजनीतिक मंच पर गूंजेगा। ये वे जख्म हैं जो इंसानियत के सीने में चुपचाप रिसते रहेंगे।

सरकारों को चाहिए कि सुरक्षा और कूटनीति के बीच आम लोगों के मानवीय रिश्तों का भी ख्याल रखा जाए। ताकि मरियम जैसी बेटियों के सपने बार-बार चकनाचूर न हों, और मोहब्बत की ये नाजुक डोर राजनीति के भंवर में टूटने से बच सके।

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