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वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ राष्ट्रव्यापी बत्ती गुल : ओवैसी की 30 अप्रैल को रात 9 बजे लाइट बंद करने की अपील

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‘मुस्लिम नाउ’ विशेष रिपोर्ट | नई दिल्ली से

बोर्ड ने 30 अप्रैल को रात 9:00 से 9:15 बजे तक देशवासियों से अपने घरों और दुकानों की बत्तियां बुझाने की अपील की है। यह कदम प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर उठाया जा रहा है ताकि सरकार को यह संदेश दिया जा सके कि देश का एक बड़ा धार्मिक समुदाय इस कानून से गहरी असहमति रखता है।


क्यों विरोध में है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड?

AIMPLB का कहना है कि नया वक्फ अधिनियम मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता और वक्फ संपत्तियों के अधिकारों का खुला उल्लंघन करता है।

बोर्ड का आरोप है कि:

  • विधेयक संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है, जो हर धार्मिक समुदाय को अपने धार्मिक मामलों के संचालन और संपत्ति के स्वामित्व का अधिकार देता है।
  • ‘एक बार वक्फ, हमेशा वक्फ’ की सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई मान्यता को यह विधेयक कमजोर करता है।
  • वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति, और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के लिए मुस्लिम होने की अनिवार्यता को समाप्त करना — ये दोनों प्रावधान समुदाय के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप के बराबर माने जा रहे हैं।
  • यह विधेयक वक्फ संपत्तियों को सरकारी या निजी संपत्ति में परिवर्तित करने की सुविधा देता है, जो वक्फ के मूल उद्देश्य — धर्म और परोपकार — को पूरी तरह नष्ट कर सकता है।

असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व में प्रचार

AIMPLB के इस आंदोलन का प्रचार-प्रसार कार्य हैदराबाद से सांसद और AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को सौंपा गया है। ओवैसी ने सोशल मीडिया के माध्यम से इस अभियान को ज़ोरशोर से उठाया है और वीडियो संदेशों, पोस्टरों व ट्वीट्स के माध्यम से लोगों से ‘बत्ती गुल’ आंदोलन में भाग लेने की अपील की है।

उन्होंने कहा:

“मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि विवादास्पद वक्फ विधेयक के विरोध में 30 अप्रैल को रात 9:00 से 9:15 तक 15 मिनट के लिए अपनी दुकानों और घरों की लाइट बंद कर दें।”


पहलगाम हमला और आंदोलन का पुनः आरंभ

गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद AIMPLB ने तीन दिनों के लिए अपना विरोध-आंदोलन स्थगित कर दिया था, लेकिन अब आंदोलन में फिर से तेजी आ गई है। बोर्ड का कहना है कि वह वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए हर लोकतांत्रिक तरीका अपनाएगा।


वक्फ संपत्ति की संवैधानिक और धार्मिक अहमियत

वक्फ संपत्ति एक धार्मिक दायित्व होती है, जो समाज में मस्जिदों, दरगाहों, मदरसों और कब्रिस्तानों जैसी संस्थाओं के लिए दी जाती है। यह ‘सदका-ए-जारिया’ के अंतर्गत आती है — एक ऐसा दान जो स्थायी होता है और जिसे ना बेचा जा सकता है, ना स्थानांतरित किया जा सकता है। लेकिन AIMPLB का मानना है कि नया वक्फ अधिनियम इस स्थायित्व को समाप्त करता है।


विरोध की तुलना: टीटीडी मामला

वक्फ अधिनियम में किए गए बदलावों की तुलना हाल ही में तिरुपति बालाजी मंदिर (टीटीडी) द्वारा गैर-हिंदू कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने वाले प्रस्ताव से की जा रही है। AIMPLB का तर्क है कि जब हिंदू धार्मिक संस्थाओं में विशुद्ध धार्मिकता और प्रशासनिक नियंत्रण बरकरार है, तो मुस्लिम संस्थाओं पर सरकारी नियंत्रण क्यों?


आगे की रणनीति

AIMPLB ने चेताया है कि अगर सरकार ने इस विधेयक को वापस नहीं लिया, तो विरोध प्रदर्शन की श्रृंखला और तेज की जाएगी।

संभावित भविष्यवाणी की जा रही है कि यह मुद्दा मुस्लिम समुदाय के लिए एक राष्ट्रीय अस्मिता का प्रश्न बनता जा रहा है। आंदोलन का असर राजनीतिक रूप से भी दूरगामी हो सकता है, खासकर चुनावी माहौल में।


निष्कर्ष:
30 अप्रैल की रात, भारत में लाखों घरों की बत्तियां बुझेंगी — यह कोई बिजली कटौती नहीं होगी, बल्कि एक धर्म, एक अधिकार और एक वक्फ विरासत की पुकार होगी। AIMPLB का ‘बत्ती गुल’ आंदोलन एक प्रतीक है उस असहमति का, जो एक समुदाय सरकार से महसूस कर रहा है — और एक चेतावनी भी, कि धार्मिक अधिकारों को कमजोर करना लोकतंत्र को कमजोर करना है।


क्या आप इस ‘बत्ती गुल’ अभियान में शामिल होंगे?

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