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भारत-पाक में बढ़ा तनाव: मोदी ने दी सेना को जवाबी कार्रवाई की पूरी छूट,पाकिस्तान के भी गंभीर आरोप

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,,नई दिल्ली


जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। 23 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 पर्यटकों की नृशंस हत्या के बाद भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर बड़ा निर्णय लेने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने भाग लिया।


बैठक में लिया गया निर्णय: भारत तय करेगा प्रतिक्रिया का स्वरूप, लक्ष्य और समय

प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों को कार्रवाई के स्वरूप, समय और लक्ष्यों को तय करने की पूर्ण परिचालन स्वतंत्रता दी गई है। उन्होंने सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमताओं में पूर्ण विश्वास जताते हुए दोहराया कि भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के खिलाफ किसी भी दुस्साहस का सख्त जवाब दिया जाएगा।

इस बैठक से एक दिन पहले, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी प्रधानमंत्री से उनके आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर मुलाकात की थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर में CDS द्वारा लिए गए निर्णयों की जानकारी साझा की गई थी।


पाकिस्तान का पलटवार: भारत पर लगाए गंभीर आरोप, पेश किए ‘सबूत’

उधर, पाकिस्तान ने भी अपनी परंपरागत रणनीति अपनाते हुए उल्टा भारत पर सीमापार आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाया है। रावलपिंडी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ ने कहा:

“भारत न केवल पाकिस्तान बल्कि पूरे क्षेत्र में आतंकवाद फैला रहा है।”

उन्होंने भारतीय सेना के कथित सेवारत अधिकारियों और जेसीओ पर पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप लगाया और व्हाट्सएप चैट, ऑडियो टेप और वीडियो क्लिप जैसी सामग्रियों को सबूत के तौर पर प्रस्तुत किया।

शरीफ ने दावा किया कि भारत द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के तहत पाकिस्तान में कई सैन्य वाहन हमले कराए गए, जिनमें जलालपुर जट्टान (30 नवंबर 2024) और कोटली (मार्च 2025) शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इन हमलों के बदले कथित आतंकवादियों को लाखों पाकिस्तानी रुपये दिए गए।


भारत का रुख: पाकिस्तान को कड़ा संदेश, सिंधु जल संधि को किया निलंबित

भारत सरकार ने पहलगाम हमले के बाद कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक और सामरिक दोनों स्तरों पर प्रतिक्रिया दी है। प्रमुख कदमों में शामिल हैं:

  • सिंधु जल संधि के कार्यान्वयन को निलंबित करना
  • भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश
  • इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से कर्मचारियों की संख्या में कटौती

साथ ही, विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर सरकार का समर्थन करते हुए कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ किसी भी निर्णायक कार्रवाई में वे साथ खड़े रहेंगे


पाकिस्तानी प्रतिक्रियाएं: युद्ध की आशंका, फिर सफाई

पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने ब्रिटिश समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने अपनी सीमाओं पर सैन्य तैनाती बढ़ा दी है और “स्थिति के अनुसार कुछ रणनीतिक निर्णय लिए गए हैं।” उन्होंने एक पाकिस्तानी चैनल जियो न्यूज से बातचीत में “अगले कुछ दिनों में युद्ध” जैसी बात कही, जिससे दक्षिण एशिया में तनाव और बढ़ गया।

हालांकि, बाद में उन्होंने सफाई दी कि उनके बयान की गलत व्याख्या हुई है और पाकिस्तान युद्ध नहीं चाहता, बल्कि पहलगाम हमले की “निष्पक्ष और पारदर्शी जांच” के लिए सहयोग को तैयार है।


पहलगाम हमला: भारत के शांति प्रयासों को चुनौती

सुरक्षा विश्लेषकों के मुताबिक, यह हमला जम्मू-कश्मीर में चुनावों की सफलता, पर्यटन में बढ़ोतरी और सामान्य स्थिति बहाली की प्रक्रिया को विफल करने का एक प्रयास है। कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) को दी गई जानकारी में बताया गया कि इस हमले के पीछे सीमापार साजिश है और इसका उद्देश्य भारत में अस्थिरता फैलाना है।


निष्कर्ष: क्या भारत-पाक फिर से संघर्ष की ओर?

सभी घटनाक्रम इस ओर संकेत कर रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते एक बार फिर तनाव और टकराव के मोड़ पर हैं। भारत अब कूटनीतिक जवाब के साथ-साथ सामरिक विकल्पों पर भी गंभीरता से विचार कर रहा है। वहीं, पाकिस्तान दुनिया के सामने खुद को निर्दोष साबित करने में लगा है।

क्या भारत जवाबी सैन्य कार्रवाई करेगा?
क्या क्षेत्र एक और टकराव के दौर में प्रवेश कर रहा है?

अगले कुछ दिन इस परिभाषा को तय करेंगे कि दक्षिण एशिया की शांति कितनी टिकाऊ है, और आतंकवाद के खिलाफ भारत कितना निर्णायक कदम उठाएगा।

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