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पाकिस्तान ने कहां छुपा रखे हैं अपने परमाणु हथियार ? चर्चा तेज

मुस्लिन नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली,नई दिल्ली/इस्लामाबाद


पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए हैं। इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए हैं। इसके जवाब में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने भारत पर हमले की आशंका जताई और सार्वजनिक रूप से परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की चेतावनी दी। उनके इस बयान के बाद पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा और लोकेशन को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता और चर्चाएं तेज हो गई हैं।

पाकिस्तान के परमाणु हथियार कहां संग्रहित हैं?

2023 में फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) द्वारा जारी एक विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के पास वर्ष 2023 तक लगभग 170 परमाणु हथियार थे। यह संख्या भारत के मुकाबले थोड़ी कम थी, जिसके पास उसी वर्ष करीब 180 परमाणु हथियार होने का अनुमान लगाया गया था।

FAS की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों को उच्च सुरक्षा वाले गुप्त ठिकानों पर रखता है, जिनका सही स्थान सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन सैन्य गतिविधियों और उपग्रह छवियों के आधार पर कुछ प्रमुख ठिकानों का अनुमान लगाया गया है:

  • मशरू एयरबेस, कराची के पास: यह पाकिस्तान का एक प्रमुख सैन्य अड्डा है, जिसे रणनीतिक रूप से परमाणु हथियारों के संभावित भंडारण स्थल के रूप में देखा जाता है।
  • सर्गोधा एयरबेस (Punjab Province): यह मिराज-III लड़ाकू विमानों का केंद्र है, जिनका उपयोग परमाणु हथियारों के प्रक्षेपण के लिए किया जा सकता है।
  • काहूटा परमाणु संयंत्र, रावलपिंडी के पास: पाकिस्तान का प्रमुख यूरेनियम संवर्धन केंद्र, जहां हथियार-ग्रेड फ्यूल तैयार होता है।
  • तरबेला और झांगर, जहां कुछ मोबाइल लॉन्च यूनिट्स को रखने की आशंका है।

किस प्रणाली से दागे जा सकते हैं ये हथियार?

पाकिस्तान के पास परमाणु हथियारों को ले जाने के लिए निम्नलिखित प्रमुख प्रणालियां हैं:

  • शाहीन-3 बैलिस्टिक मिसाइल: सतह से सतह पर मार करने में सक्षम यह मिसाइल 2,750 किलोमीटर की दूरी तक हमला कर सकती है।
  • गजनवी और अब्दाली मिसाइलें: कम दूरी की परमाणु मारक क्षमता वाली मिसाइलें।
  • मिराज-II और मिराज-III लड़ाकू विमान: इन्हें परमाणु बम ले जाने और गिराने के लिए तैयार किया गया है।

राजनीतिक बयानबाजी और सामरिक चिंता

ख्वाजा आसिफ के बयान के बाद पाकिस्तान के भीतर और बाहर से तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं। भारत ने अभी तक औपचारिक रूप से इस बयान पर प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह ‘पहलगाम हमले’ का जवाब देगा और सीमा पार से हो रहे आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा।

वहीं, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई है। अतीत में भी अमेरिका सहित कई देशों ने आशंका जताई थी कि पाकिस्तान के हथियार चरमपंथी समूहों के हाथ न लग जाएं।

भारत की स्थिति

भारत ने आधिकारिक रूप से कभी परमाणु हथियारों की पहली पहल की नीति को छोड़ा नहीं है। भारत की “No First Use” नीति पर अब भी कायम रहने की बात कही जाती है। हालांकि, रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने समय-समय पर संकेत दिया है कि “परिस्थितियों के अनुसार” नीति में बदलाव संभव है।


📌 निष्कर्ष:

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री की परमाणु धमकी ने दक्षिण एशिया की सुरक्षा स्थिति को और अधिक संवेदनशील बना दिया है। जहां भारत जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है, वहीं परमाणु हथियारों की संभावित तैनाती और उनके स्थान को लेकर वैश्विक सुरक्षा एजेंसियों की नजरें पाकिस्तान पर टिकी हैं।

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