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वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ देशव्यापी बत्ती गुल आंदोलन सफल, मुसलमानों ने दिखाई एकजुटता

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और देश के तमाम प्रमुख इस्लामिक संगठनों के आह्वान पर 30 अप्रैल की रात पूरे देश में मुसलमानों ने ‘बत्ती गुल’ कार्यक्रम के ज़रिए वक्फ संशोधन विधेयक का शांतिपूर्ण और सशक्त विरोध दर्ज कराया। रात 9 बजे से 9:15 बजे तक देश के शहरों, कस्बों और गांवों में मुस्लिम घरों, मोहल्लों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों की लाइटें बंद रखी गईं। इस दौरान सामाजिक न्याय में विश्वास रखने वाले अन्य धर्मों के लोगों ने भी इस विरोध कार्यक्रम में सहभागिता की।

यह विरोध प्रदर्शन केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए वक्फ संशोधन विधेयक 2023 के विरोध में था, जिसे मुस्लिम समाज अपनी धार्मिक और सामुदायिक संपत्तियों पर हमले के तौर पर देख रहा है। बोर्ड और इससे जुड़े संगठनों का कहना है कि यह संशोधन मुसलमानों की धार्मिक आज़ादी, सामाजिक अधिकार और ऐतिहासिक धरोहरों के खिलाफ है।

बत्ती गुल आंदोलन बनाम दोहरे मापदंड

जहां एक ओर देश के लाखों मुसलमानों ने एकजुट होकर शांति पूर्ण विरोध दर्ज कराया, वहीं कुछ समूहों ने इसे पहलगाम आतंकी हमले के संदर्भ में “अनुचित” करार देने की कोशिश की। मगर आंदोलन के समर्थकों ने दो टूक कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस घटना के बाद सऊदी अरब से लौटकर पटना की रैली को संबोधित कर सकते हैं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री चारधाम यात्रा का उद्घाटन कर सकते हैं, और बॉलीवुड सितारे एक राजनीतिक परिवार के शादी समारोह में शिरकत कर सकते हैं, तो फिर मुस्लिम समुदाय को अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए 15 मिनट की शांतिपूर्ण प्रतीकात्मक कार्रवाई करने से क्यों रोका जा रहा है?

मुस्लिम समाज में फूट डालने की कोशिशें नाकाम

बोर्ड से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध को कमज़ोर करने के लिए कुछ ताकतें मुसलमानों के भीतर जातिगत, विचारधारात्मक और पंथीय मतभेदों को हवा देने की कोशिश कर रही हैं। अशराफ-पसमांदा, सूफी-वहाबी, बोहरा-सुन्नी जैसे मुद्दों के जरिए मुस्लिम समाज को बांटने का प्रयास किया गया, लेकिन इसका उल्टा असर हुआ। देशभर में मुसलमान पहले से कहीं अधिक संगठित होकर एक स्वर में इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं।

राजस्थान, बिहार, यूपी, महाराष्ट्र, तेलंगाना सहित देशभर में बत्ती गुल का व्यापक असर

राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों—शेखावाटी, मारवाड़, मेवाड़, हाड़ौती—में मुस्लिम बहुल इलाकों में अंधेरा छा गया। जयपुर से अशफाक कायमखानी ने बताया कि राज्य के कस्बों, शहरों और गांवों में मुस्लिम समुदाय ने इस आंदोलन को पूरी गंभीरता से अपनाया और बोर्ड की अपील का सम्मान करते हुए निर्धारित समय पर बिजली बंद रखी।

बिहार में पटना, गया, मुजफ्फरपुर सहित दर्जनों शहरों में मुस्लिम समाज ने बत्ती गुल अभियान को व्यापक समर्थन दिया। उत्तर प्रदेश के लखनऊ, मेरठ, सहारनपुर, वाराणसी, आज़मगढ़, कानपुर और इलाहाबाद सहित कई शहरों में समुदाय ने एकजुट होकर आंदोलन में भाग लिया।

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी बुझी हुई लाइट के साथ तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा करते हुए आंदोलन को समर्थन दिया। ओवैसी ने एक दिन पहले ही एक वीडियो संदेश में इस कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील की थी। महाराष्ट्र के नागपुर, औरंगाबाद तथा मालेगांव से भी बड़ी संख्या में मुसलमानों ने भाग लिया।

हरियाणा के नूंह, गुरुग्राम और फरीदाबाद से भी बत्ती गुल आंदोलन की खबरें आईं, जहां मुस्लिम समुदाय ने पूरी एकजुटता दिखाई।

सोशल मीडिया पर #LightOffForWaqf और #BattiGul ट्रेंड

सोशल मीडिया पर इस आंदोलन ने ट्रेंड करते हुए बड़ी संख्या में लोगों का ध्यान खींचा। Twitter (अब X), Instagram और Facebook पर #BattiGul और #LightOffForWaqf जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे थे। रज़ा अकैडमी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कई मुस्लिम नेताओं ने इस कार्यक्रम की सराहना की और सरकार से संशोधन विधेयक वापस लेने की मांग दोहराई।

आंदोलन की अगली रणनीति

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और इससे जुड़े संगठनों ने संकेत दिया है कि यदि सरकार इस विधेयक पर पुनर्विचार नहीं करती, तो आंदोलन को और व्यापक और निर्णायक बनाया जाएगा। विभिन्न राज्यों में जनसभाएं, संवैधानिक याचिकाएं, और सांविधानिक विरोध कार्यक्रमों की तैयारी की जा रही है।


निष्कर्षतः, वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में ‘बत्ती गुल’ आंदोलन केवल एक प्रतीकात्मक विरोध नहीं, बल्कि मुसलमानों की सामाजिक चेतना, एकजुटता और संविधान में विश्वास का स्पष्ट संकेत है। यह विरोध एक नई राजनीतिक और सामाजिक चेतना की ओर इशारा करता है, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय अब न सिर्फ सजग है, बल्कि संगठित भी।

क्या आप इस आंदोलन के स्थानीय असर या भविष्य की रणनीति पर और जानकारी चाहते हैं?

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