बिजनौर में मुस्लिम व्यापारी ने हिंदू युवती का किया कन्यादान, पेश की सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,बिजनौर
— उत्तर प्रदेश के बिजनौर में हिंदू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सौहार्द का एक प्रेरणादायक उदाहरण सामने आया है। यहां किरतपुर कस्बे के मोहल्ला काजियान निवासी मुस्लिम व्यापारी सफदर नवाज खान ने एक हिंदू युवती राखी का कन्यादान कर न सिर्फ एक मिसाल कायम की, बल्कि उसकी शादी का पूरा खर्च भी स्वयं वहन किया।
राखी, जो कि गौतम कुमार की पुत्री हैं, का विवाह लखीमपुर खीरी निवासी शिवम कुमार के साथ पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार संपन्न हुआ। विवाह समारोह में हवन, यज्ञ, और सात फेरे जैसी तमाम धार्मिक रस्मों को निभाया गया। दिलचस्प बात यह रही कि इस पूरे आयोजन की देखरेख मुस्लिम व्यापारी सफदर नवाज खान ने की, जिन्हें राखी और उसका परिवार ‘बड़े पापा’ कहकर संबोधित करता है।

हिन्दू-मुस्लिम एकता का जीवंत उदाहरण
सफदर नवाज खान, जो कबाड़ और लोहा व्यापार से जुड़े हैं, पिछले दो दशकों से अधिक समय से गौतम कुमार और उनके परिवार से जुड़े हुए हैं। गौतम उनके प्रतिष्ठान में 24 वर्षों से कार्यरत हैं और अपनी ईमानदारी व मेहनत से सफदर खान का विश्वास जीत चुके हैं। सफदर ने गौतम और उनके परिवार को हर संभव सहायता दी है—चाहे वह रहने के लिए मकान देना हो, बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाना हो या अब उनकी बेटी की शादी कराना।
शादी के दिन लखीमपुर खीरी से बारात किरतपुर पहुंची, जहां नगर के एक बैंक्वेट हॉल में धूमधाम से स्वागत किया गया। बारातियों का स्वागत हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों ने गले लगाकर और मिठाइयां खिलाकर किया, जिससे यह विवाह समारोह आपसी भाईचारे का प्रतीक बन गया।
“राखी मेरी बेटी के समान है” – सफदर नवाज खान
सफदर नवाज खान ने भावुक होकर कहा, “राखी मेरी बेटी के समान है। उसकी शादी कराना मेरा फर्ज था, और मैं चाहता था कि वह दिन उसकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन बने। यह विवाह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं है, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है।”
शादी में पंडित सुभाष खन्ना द्वारा वैदिक मंत्रों के साथ फेरे कराए गए। विवाह में खान ने दान-दहेज का सामान भी अपनी ओर से दिया।
दुल्हन राखी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, “बड़े पापा (सफदर नवाज खान) ने जो किया, वह पूरे समाज के लिए मिसाल है। उनकी दरियादिली और अपनापन कभी नहीं भूल सकती।”
गौतम कुमार ने भी भावुक स्वर में कहा, “सफदर भाई ने मेरी बेटी की शादी कराकर न केवल मेरी जिम्मेदारी को निभाया, बल्कि हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल भी पेश की।”

मानवता और मोहब्बत का संदेश
यह शादी केवल एक सामाजिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि धार्मिक सीमाओं को लांघती एकता, प्रेम और इंसानियत का उदाहरण बन गई है। स्थानीय समुदाय इस विवाह को लेकर गर्व और प्रसन्नता से भर गया है। सफदर नवाज खान का यह कार्य उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत है जो समाज में सौहार्द और सहयोग को बढ़ावा देना चाहते हैं।
जहां देश में कई बार सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं देखने को मिलती हैं, वहीं यह कहानी बताती है कि मानवीय रिश्ते और आपसी विश्वास हर दीवार को गिरा सकते हैं। सफदर नवाज खान का यह प्रयास समाज को यह सिखाता है कि मजहब इंसानियत से ऊपर नहीं हो सकता।