Culture

पाकिस्तानी ड्रामों पर भारत की डिजिटल सर्जिकल स्ट्राइक : कला के पुल पर राजनीति की दीवार

मुस्लिम नाउ ब्यूरो | नई दिल्ली

हाल ही में इंस्टाग्राम पर वायरल हुए एक वीडियो में एक लड़की अपनी मां के बारे में बताती है कि वह पाकिस्तानी ड्रामों की बहुत बड़ी प्रशंसक हैं और जबसे भारत सरकार ने पाकिस्तानी मनोरंजन चैनलों पर पाबंदी लगाई है, उनकी मां गहरे सदमे में हैं। यह सिर्फ एक अकेली प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि सोशल मीडिया पर हजारों की संख्या में भारतीय दर्शकों ने अपने दुख और नाराज़गी को साझा किया है।

भारत सरकार द्वारा पिछले दिनों HUM TV, ARY Digital और Geo Entertainment जैसे प्रमुख पाकिस्तानी मनोरंजन चैनलों को डिजिटल रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसके बाद से भारतीय दर्शकों को इन चैनलों के इंस्टाग्राम, यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया पेजों तक पहुंच नहीं मिल रही है। पेज खोलने पर उन्हें त्रुटि संदेश मिलता है:
“राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित सरकार के आदेश के कारण यह सामग्री वर्तमान में इस देश में उपलब्ध नहीं है।”

यह प्रतिबंध 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद सामने आया है, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहराया है, वहीं पाकिस्तान ने किसी भी संलिप्तता से इनकार किया है। इसके बाद भारत सरकार ने 16 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों और कई मीडिया आउटलेट्स पर भी प्रतिबंध लगा दिया।


भारतीय दर्शकों का ग़ुस्सा और ग़म

भारत में पाकिस्तानी ड्रामों की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। ‘ज़िंदगी गुलज़ार है’, ‘हमसफ़र’, ‘मेरे हमसफ़र’, ‘कैसी तेरी खुदगर्ज़ी’, ‘परीज़ाद’ और ‘मेरे पास तुम हो’ जैसे ड्रामों ने भारतीय दर्शकों का दिल जीत लिया है। अब जब ये सामग्री उपलब्ध नहीं है, तो सोशल मीडिया पर यूज़र्स ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं।

एक यूजर ने इंस्टाग्राम पर लिखा:
“अब मैं अपने पसंदीदा पाकिस्तानी शो कैसे देखूंगी? ये कितनी दयनीय सरकार है।”

एक अन्य यूजर ने रोते हुए इमोजी के साथ कहा:
“HUM TV अब इंडिया में नहीं दिखेगा, VPN ही आखिरी रास्ता बचा है।”

कुछ यूज़र्स ने HUM TV की निर्माता मोमिना दुरैद से नया ‘बदला’ ड्रामा लाने की मांग करते हुए मज़ाकिया अंदाज़ में कहा कि वे इसे क्राउडफंड भी कर सकते हैं और फ़वाद खान का “अपहरण” करके भारत लाने तक की बात कर डाली।


संस्कृति पर राजनीति की सेंसरशिप

पाकिस्तानी ड्रामों पर भारत में प्रतिबंध कोई नई बात नहीं है। जब-जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है, तब-तब सबसे पहले हमला कला, खेल और मनोरंजन पर होता है। पिछले एक दशक से यह ट्रेंड लगातार देखा गया है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तानी ड्रामों की लोकप्रियता केवल कहानी या अभिनय की वजह से नहीं है, बल्कि ये नाटक भारत और पाकिस्तान के बीच एक सांस्कृतिक पुल का कार्य करते हैं। इनमें रोज़मर्रा की ज़िंदगी, रिश्तों की सच्चाई और सामाजिक मुद्दों की गहराई दिखाई जाती है, जो दर्शकों को जोड़ती है।

कई विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की सेंसरशिप दरअसल आम लोगों के बीच सांस्कृतिक मेलजोल को खत्म करने की एक राजनीतिक कोशिश है।

“कला की कोई सीमा नहीं होती” — यह कहावत आज के भारत में सवालों के घेरे में है, जहां राजनीतिक नीतियों के चलते डिजिटल सीमाएं खड़ी की जा रही हैं।


सोशल मीडिया पर दो ध्रुवीय प्रतिक्रियाएं

हालांकि, जहां एक ओर लाखों लोग इस प्रतिबंध से निराश हैं, वहीं कुछ राष्ट्रवादी वर्ग इसे मोदी सरकार की ‘सख्त कार्रवाई’ बताकर समर्थन दे रहे हैं।

एक यूजर ने लिखा:
“ARY DIGITAL और HUM TV दोनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अब उनके ड्रामा उद्योग का क्या होगा?”

वहीं दूसरे ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा:
“पाकिस्तानी ड्रामा प्रेमियों का क्या होगा अब? बेरोज़गार हो गए होंगे!”


मीडिया और कंटेंट क्रिएटर्स पर भी शिकंजा

इस प्रतिबंध के दायरे में सिर्फ मनोरंजन चैनल ही नहीं, बल्कि पत्रकार, पॉडकास्टर और स्वतंत्र क्रिएटर्स भी आए हैं। ‘द पाकिस्तान एक्सपीरियंस’ जैसे पॉडकास्ट और ARY, Dawn, Samaa जैसे मीडिया नेटवर्क के यूट्यूब चैनल्स भी भारत में ब्लॉक कर दिए गए हैं।

भारत सरकार का दावा है कि ये चैनल “झूठे आख्यान” और “भड़काऊ सामग्री” फैला रहे थे, हालांकि इसका कोई सार्वजनिक साक्ष्य अब तक प्रस्तुत नहीं किया गया है।


निष्कर्ष: क्या कला का रास्ता हमेशा बंद रहेगा?

यह प्रतिबंध एक ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद की सारी संभावनाएं लगभग बंद हो चुकी हैं। खेल, कला और संस्कृति हमेशा से ऐसे माध्यम रहे हैं जो दोनों देशों के बीच जमी बर्फ को पिघला सकते हैं। लेकिन जब इन रास्तों को भी बंद कर दिया जाए, तो आम लोगों के पास जुड़ने का कोई माध्यम नहीं बचता।

क्या वीपीएन ही अब दोनों देशों की संस्कृति जोड़ने का एकमात्र रास्ता रह गया है?
या फिर हम वह समाज बन चुके हैं जो कला के जरिए संवाद करने के भी खिलाफ है?


यदि आपने भी अपने पसंदीदा पाकिस्तानी ड्रामे देखने बंद कर दिए हैं या आप VPN के जरिए इन्हें देख रहे हैं, तो अपनी राय हमें ज़रूर भेजें।

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