भारत ने कहा– OIC का बयान तथ्यहीन और भ्रामक, पाकिस्तानी दबाव में जारी हुआ
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मुस्लिम नाउ विशेष,नई दिल्ली
भारत सरकार ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले पर इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) द्वारा जारी बयान को कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सिरे से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय ने इस बयान को “बेतुका और भ्रामक” बताते हुए कहा कि यह पाकिस्तान के इशारे पर जारी किया गया है, जिसका उद्देश्य केवल ओआईसी को गुमराह करना है और भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना है।
ओआईसी के बयान में क्या था?
ओआईसी ने अपने आधिकारिक बयान में दक्षिण एशिया में बिगड़ते सुरक्षा हालात पर गहरी चिंता जताई और भारत व पाकिस्तान से संयम बरतने और सीधे संवाद फिर से शुरू करने की अपील की। संगठन ने यह भी कहा कि दोनों देशों को अपने मतभेदों को अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना चाहिए।
भारत की तीखी प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक आधिकारिक बयान में कहा:
“पाकिस्तान के इशारे पर ओआईसी द्वारा जारी किया गया बयान बेतुका है, जिसमें पहलगाम आतंकवादी हमले और इसके सीमा पार कनेक्शन की स्पष्ट सच्चाई से आंखें मूंद ली गई हैं।”
उन्होंने आगे कहा:
“यह एक बार फिर पाकिस्तान की रणनीति का हिस्सा है, जो लम्बे समय से सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करता आया है और अब वह ओआईसी जैसे संगठनों को अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए इस्तेमाल कर रहा है। हम भारत के आंतरिक मामलों में ओआईसी के किसी भी तरह के हस्तक्षेप को पूरी तरह खारिज करते हैं।”
पाकिस्तान की भूमिका पर फिर सवाल
भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस बात को रेखांकित करता रहा है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद उसकी संप्रभुता और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। पहलगाम में हुए हालिया आतंकवादी हमले को भी भारत ने स्पष्ट रूप से सीमा पार से प्रायोजित हमला बताया था, जिसमें निर्दोष लोगों की जान गई थी और सुरक्षाबलों को निशाना बनाया गया।
कश्मीर पर एजेंडा चला रहा है ओआईसी?
विशेषज्ञों का मानना है कि ओआईसी के अधिकांश सदस्य देश भले ही भारत से अच्छे राजनयिक और आर्थिक संबंध रखते हों, लेकिन संगठन के भीतर पाकिस्तान का प्रभाव इस हद तक है कि वह भारत विरोधी बयान दिलवाने में कामयाब रहता है।
ओआईसी का यह ताजा बयान न केवल भारत की संवेदनशील संप्रभुता को चुनौती देता है, बल्कि दक्षिण एशिया में संगठित कूटनीतिक संतुलन को भी बाधित करने वाला है।
भारत की नीति स्पष्ट: आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं
भारत ने साफ किया है कि वह आतंकवाद को लेकर ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ की नीति पर कायम है और किसी भी प्रकार के बाहरी हस्तक्षेप या भ्रामक बयानबाज़ी से उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं होगा।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि ओआईसी जैसे मंचों को आतंकवाद के मुद्दे पर तथ्यों के आधार पर बोलना चाहिए, न कि राजनीतिक दवाब के तहत।
विश्लेषणात्मक टिप्पणी:
ओआईसी का यह बयान उस समय आया है जब भारत ने जी-20, क्वाड और अन्य वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोग की बात की है।
ऐसे में, पाकिस्तान समर्थित बयान ओआईसी की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है।
भारत की विदेश नीति अब पहले से अधिक आक्रामक है और ओआईसी जैसे संगठनों की बयानबाज़ी को केवल कूटनीतिक औपचारिकता नहीं माना जा रहा, बल्कि उसे सीधे सार्वभौमिक हितों के खिलाफ हस्तक्षेप के रूप में लिया जा रहा है।