सांसद से यूट्यूबर बने इम्तियाज जलील: पत्रकारिता में नई पारी या सियासी मायूसी?
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
महाराष्ट्र के औरंगाबाद से सांसद रहे और कभी NDTV जैसे प्रतिष्ठित चैनल के पत्रकार रह चुके सैयद इम्तियाज जलील अब फिर से पत्रकारिता की ओर लौटने की तैयारी में हैं। उन्होंने हाल ही में अपना यूट्यूब चैनल लॉन्च किया है, और इसी के साथ यह अटकलें भी तेज हो गई हैं कि क्या वह अब औपचारिक रूप से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) और असदुद्दीन ओवैसी से नाता तोड़ने वाले हैं?
दरअसल, सक्रिय पत्रकारिता और पार्टी पॉलिटिक्स एकसाथ नहीं चल सकते। पत्रकारिता में विश्वसनीयता सर्वोपरि होती है और राजनीतिक संबद्धता इसपर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। ऐसे में सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या इम्तियाज अब AIMIM की सक्रिय राजनीति से किनारा करेंगे?
राजनीतिक पृष्ठभूमि और पत्रकारिता की वापसी
इम्तियाज जलील का राजनीतिक सफर भले ही संसदीय स्तर तक पहुंचा, लेकिन वह सियासत में कोई बड़ा प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहे। 2014 में उन्होंने औरंगाबाद से विधानसभा चुनाव जीता और फिर 2019 में लोकसभा चुनाव में AIMIM के टिकट पर शिवसेना के दिग्गज चंद्रकांत खैरे को हराकर संसद पहुंचे। हालांकि, उनकी राजनीतिक पहचान औरंगाबाद तक सीमित रही और अब पत्रकारिता में दोबारा लौटने की घोषणा उनकी सियासी पृष्ठभूमि को लेकर कई सवाल खड़े कर रही है।
उनके यूट्यूब चैनल की मंशा को लेकर भी अटकलें हैं — क्या वह इसे सच्ची पत्रकारिता का मंच बनाएंगे या अपनी राजनीतिक नाराज़गी और असंतोष को व्यक्त करने का माध्यम? यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता उन्हें किस रूप में स्वीकार करती है — एक निष्पक्ष पत्रकार के तौर पर या एक असफल राजनेता की नई कोशिश के रूप में।
पत्रकारिता और शिक्षा
इम्तियाज जलील ने पत्रकारिता की शुरुआत लोकमत और फिर NDTV के साथ की थी। उन्होंने डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म (2000), एम.कॉम और एमबीए की डिग्रियां हासिल की हैं। लंबे समय तक पत्रकारिता से जुड़े रहने के बाद वह AIMIM के टिकट पर राजनीति में आए।
सामाजिक-राजनीतिक योगदान
2015 में उन्होंने औरंगाबाद नगर निगम चुनाव में AIMIM को 25 सीटें दिलाई थीं। इसके बाद उन्होंने स्थानीय समस्याओं पर मुखरता से आवाज़ उठाई — जैसे कि औरंगाबाद के सरकारी अस्पताल में महंगे एमआरआई शुल्क को कम करवाना, महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष अस्पताल की मांग को लेकर PIL दायर करना आदि।
2019 के लोकसभा चुनाव में जलील ने जीत हासिल की लेकिन उसके बाद उनका कोई बड़ा राजनीतिक प्रभाव नहीं दिखा। वर्तमान में वह संसद की नागरिक उड्डयन मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति और आवास एवं शहरी मामलों की स्थायी समिति के सदस्य हैं।
Back to journalism! pic.twitter.com/RMYYJebReg
— Imtiaz Jaleel (@imtiaz_jaleel) June 10, 2025
व्यक्तिगत जीवन
- पूरा नाम: सैयद इम्तियाज जलील
- जन्म: 10 अगस्त 1968, औरंगाबाद, महाराष्ट्र
- पिता: डॉ. सैयद अब्दुल जलील (सिविल सर्जन)
- माता: ज़किया जलील
- पत्नी: रूमी फातिमा (विवाह – 8 जुलाई 1993)
- बच्चे: दो बेटे
- शिक्षा: एम.कॉम, एम.बी.ए., एम.एम.सी.जे.
- पता:
- स्थायी: मन्नत, प्लॉट नं. 2, पार्क लेन, एन-12, सिडको, औरंगाबाद-431001
- वर्तमान: 159, साउथ एवेन्यू, नई दिल्ली-110011
- फोन: 09545522228 / 09823090040
- ईमेल: imtiaz.jaleel@sansad.nic.in
निष्कर्ष
इम्तियाज जलील का पत्रकारिता में लौटना स्वागतयोग्य कदम हो सकता है बशर्ते वह सियासी द्वंद्व और पार्टीगत संबद्धताओं से ऊपर उठकर निष्पक्षता के साथ पत्रकारिता करें। अगर उनका मकसद सिर्फ राजनीतिक मायूसी से उपजे मंच का निर्माण है, तो शायद दर्शक उन्हें गंभीरता से न लें। लेकिन अगर वे अपनी पत्रकारिता के मूल्यों को पुनर्स्थापित करने की कोशिश करते हैं, तो यह वापसी उनके लिए पुनर्जन्म साबित हो सकती है।