Asaduddin Owaisi चले पश्चिम बंगाल, सेक्युलर पार्टियों के जड़ में डालेंगे मट्ठा !
बिहार विधानसभा एवं हैदराबाद नगर निगम चुनाव में सेक्युलर पार्टियों की बत्ती गुल करने के बाद असदुद्दीन ओवैसी अब पश्चिम बंगाल का रूख करने की तैयारी में हैं. अगले साल वहां विधानसभा चुनाव होने हैं और उसमें उतरने के लिए उन्होंने शनिवार को पश्चिम बंगाल के पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक की.
ओवैसी का कहना है कि बैठक हौंसला बढ़ाने वाली रही. हालांकि पश्चिम बंगाल (West Bengal) में उनकी पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) का कोई सियासी वजूद नहीं, न ही विधानसभा में उनका कोई सदस्य है. भारतीय जनता पार्टी को नाको चने चबवाने वाली सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने 2016 के विधानसभा चुनाव में 211 सीटें जीती थीं. बाद में भाजपा ने अपना सियासी कद खासा बढ़ा लिया. उसके सरगर्म होने से सूबे में धार्मिक ध्रुवीकरण में तेजी आई. इसके बूते लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 18 सीटें जीतीं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल के चुनावों में धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण बढ़ा है. विवादास्पद बयानों के लिए चर्चित विजय वर्गीय एवं तेजस्वी सूर्य सरीखे नेता पश्चिम बंगाल में खूंटा गाड़े बैठे हैं. प्रदेश में हिंसक घटनाओं में इज़ाफा हुआ है.
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा का ध्रुवीकरण के बगैर पश्चिम बंगाल के चुनावों में बेहतर प्रदर्शन असंभव है. 2011 की जनगणना में पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की तादाद 27.1 प्रतिशत दर्ज की गई . बाद के नौ वर्षों में यह तादाद और बढ़ी. टीएमसी सुप्रिमो तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सूबे का मुस्लिम वर्ग संतुष्ट है. उनका मानना है, देश के दूसरे हिस्से में भले हिंदू-मुसलमान के नाम पर नफरत फैलाई जा रही. ममता ऐसे लोगों से सख्ती से निपटती हैं. यहां भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं विजय वर्गीय पर हमला हो चुका है. घटना के तुरंत बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बंगाल का दौरा किया.
इन परिस्थितियों में के चुनाव में उतरने का मतलब है मुस्लिम मतदाताओं में फूट पड़ना. पश्चिम बंगाल में वाम, कांग्रेस एवं टीएमसी जैसी मजबूत सेक्युलर पार्टियाँ सक्रिय हैं. पिछले तमाम चुनाव में सूबे का मुसलमान इनके प्रति अपना भरोसा जताता रहा. ओवैसी के आने से मुस्लिम दिग्भ्रमित होंगे. वोट बटेगा. बिहार विधानसभा में ओवैसी की रणनीति से मुस्लिम विधायकों की संख्या घट गई. विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम के पांच विधायकों ने जीत दर्ज कीे, पर दस से पंद्रह सीटों पर सेक्युलर पार्टियों को नुक्सान पहुंचाया. बिहार में लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल सत्ता में आते-आते रह गई. ओवैसी की सियासी चालों से हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को भरपूर लाभ पहुंचा. उसने चार से सीधे 44 सीटों का छलांग लगाया. ओवैसी के गढ़ में भाजपा की जबर्दस्त जीत किसी खास तरफ इशारा करती है. ओवैसी के पश्चिम बंगाल के चुनाव में इंट्री से सेक्युलर पार्टियों का सत्ता से बाहर होना अभी से तय माना जा रहा.
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संपादक