News

चर्चित साहित्यकार मुशर्रफ आलम जौकी का कोरोना से निधन

बिहार के आरा निवासी तथा उर्दू व हिंदी साहित्य का जाना-पहचाना नाम मुशर्रफ आलम जौकी अब इस दुनिया में नहीं रहे. कोरोना के आफत ने उन्हें भी लील लिया. उनके निधन से बिहार के साहित्य जगत में मायूसी है.

इस चर्चित साहित्यकार की अनेक कहानी संग्रह, उपन्यास और आलोचना प्रकाशित हो चुके हैं. उनमें मुसलमान, लैंडस्केप के घोड़े, सिलसिला रोज वो शब, ले सांस भी आहिस्ता, बयान, पोकेमान की दुनिया आदि शामिल है.

कहानी संग्रह- प्रेम संबंधों की कहानी, बाजार की एक रात, मत रो शालिग्राम, फ्रिज में औरत, फिजिक्स कैमिस्ट्री अलजेब्रा, लेबोरट्री, इमाम बुखारी का नैपकिन, शाही गुलदान, सदी को अलविदा कहते हुए, गुलाम बख्‍श, बुखा इथोपिया, फरिश्‍ते भी मरते हैं, मंडी खूब पसंद किया गया.

जौकी की श्रेष्ठ कहानियांे में शुमार उकाब की आंखें, नीलामघर, जिबह, शहर चुप है, सुनामी में विजेता भी काफी पसंद की गईं. उनके नाटक एक सड़क अयोध्या तक, चार ड्रामे, गुडबॉय राजनीति, आखिरी बयान
भी चर्चित रहे हैं. उनके बाल साहित्य को भी याद किया जाता रहेगा.

गर्ज यह कि उन्हें साहित्य के सभी विधाओं में महारथ हासिल थी. वह कृष्‍ण चंद पुरस्कार, कथा-आजकल सम्मान, दिल्ली उर्दू अकादमी का इलेक्टॉनिक मीडिया सम्मान, सर सैयद सम्मान, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार पुरस्कार-2007 सहित कई सम्मान और पुरस्कार से नवाजे गए थे.

दिल्ली में रह रहते उन्हें कोविड हुआ और इसी बीमारी ने उनका काम तमाम कर दिया. कुछ देर पहले आई उनकी मौत की खबर से सभी आहत हैं. उनके निधन पर उर्दू के साहित्यकार एवं पत्रकार सैयद अहमद कादरी ने अफसोस जताते हुए कहा कि उन्हांेने अपना एक पुराना दोस्त खो दिया.