यूपी में कोरोना को मात देने वाले उठे हाथ
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उत्तर प्रदेश से कोरोना को लेकर खौफनाक तस्वीरें सामने आ रही हैं. मीडिया रिपोर्टस की मानें तो शवों के अंतिम संस्कार और दफनाने के लिए भी नंबर लगाना पड़ रहा है. नंबर आता भी है तो 24 घंटे और 48 घंटे बाद. बिना ऑक्सीजन के मरीज मर रहे हैं. अस्पतालों में बिस्तर नहीं. डरा देने वाली इन्ही तस्वीरों के बीच कुछ राहत भरे चेहरे भी इसी प्रदेश से उभरे हैं जिन्हें muslimnow.net सलाम करता हैं.
कोविड अस्पतालों के लिए 1 रुपए में ऑक्सीजन सिलेंडर
हमीरपुर जिले में सुमेरपुर इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित रिमझिम इस्पात फैक्ट्री के नाम से बड़ा ऑक्सीजन प्लांट है जिसमें 24 घंटे में एक हजार ऑक्सीजन सिलेंडर भरे जाते हैं. यह ऑक्सीजन प्लांट कोरोना अस्पतालों के लिए खोल दिया गया है.
छोटा सिलेंडर हो या बड़ा सिलेंडर, महज एक रुपए में मुहैय्या कराया जा रहा है. एक रुपए में ऑक्सीजन सिलेंडर की सूचना से बुंदेलखंड के कई जिलों से कोविड अस्पतालों के वाहन ऑक्सीजन के लिए पहुंच रहे हैं। फैक्ट्री के मैनेजर मनोज गुप्ता कहते हैं कि उन्हें बीते साल कोरोना हो गया था.
वे उन मरीजों का दर्द समझते हैं. हर तरफ ऑक्सीजन की किल्लत है और कोविड-19 मरीजों को इसकी सबसे अधिक जरूरत है. इसलिए उन्होंने एक रुपए में ऑक्सीजन सिलेंडर देने का निर्णय लिया है. वे कहते हैं कि मैं कोई दान नहीं कर रहा है बल्कि एक रुपए कीमत भी ले रहा हूं.
मनोज कहते हैं कि प्रदेश का कोई भी कोविड अस्पताल उनके यहां से ऑक्सीजन सिलेंडर ले सकता है. इसके लिए वे व्यक्तिगत तौर पर भी कोविड मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर दे रहे हैं. लेकिन इसके लिए कोरोना मरीज का पर्चा और आधार कार्ड लाना होगा.
लावारिस शवों के लिए कंधा बन रहीं वर्षा वर्मा
लखनऊ के गोमती नगर क्षेत्र की रहने वाली वर्षा वर्मा इन दिनों कोविड अस्पतालों के बाहर हाथों में पंफलेट लिए दिख जाएंगी.
उनके साथ एक एंबुलेंस भी रहती है. ऐसे समय में जब लोग एक-दूसरे के करीब आने से भी डरते हैं, तब वर्षा कोरोना से जंग लड़ रहे परिवारों को बेड, ऑक्सीजन, दवाएं मुहैया कराने के साथ ही वर्षा अंतिम संस्कार भी करा रहीं हैं. इसके लिए कोई चार्ज भी नहीं लिया जाता है. लखनऊ में 4 से ज्यादा एंबुलेंस उनके और उनकी टीम के द्वारा चलाया जा रही है.
कोरोना काल में वर्षा अब तक 75 शवों का अंतिम संस्कार करा चुकी हैं। वर्षा कहती हैं कि हम लावारिस शवों का कंधा बनते हैं. तीन साल में अब तक 500 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराया है. वर्षा एक कोशिश ऐसी भी नाम से स्वयं सेवी संस्था चलाती हैं.
वर्षा कहती हैं कि जिन परिवारों में सभी सदस्य पॉजिटिव हैं या धन अभाव के कारण जो लोग किसी अपने को खोने के बाद उनका अंतिम संस्कार नहीं करा पा रहे हैं, उन परिवारों की मदद हम लोग कर रहे हैं.
मेरी टीम ने एक गाड़ी को किराए पर लिया है जो पूरा दिन लोगों के अंतिम संस्कार की क्रिया को कराने में लोगों की मदद कर रही है. साल 2013 से वे अपनी संस्था के जरिए अब तक 7,500 बेटियों की शिक्षा में मदद कर चुकी हैं. मिशन शक्ति के तहत उन्होंने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, महिला सुरक्षा, महिला सेहत मुद्दों पर राजधानी में कार्यशाला का आयोजन कर लगभग 1,000 महिलाओं को जागरूक किया है.
इमदाद इमाम के लिए इंसानियत ही एक धर्म
समाज में धर्म-जाति के नाम पर भले ही भेद हो, लेकिन कोरोना संक्रमण में कोई भेद नहीं कर रहा है। लेकिन लखनऊ में गोलागंज निवासी इमदाद इमाम और उनकी 5 सदस्यीय टीम के लिए इंसानियत ही एक धर्म है। वे शवों का अंतिम संस्कार कराते हैं.
इमदाद इमाम बताते हैं उनके साथ जावेद, मेहंदी राजा, एहसान समेत अन्य युवा इस नेक काम में जुटे हुए हैं. बहुत से परिवारजन शव का अंतिम संस्कार करने में घबराते हैं. वह आगे नहीं आते हैं.
ऐसे लोगों की मदद हम कर रहे हैं. बिना किसी फायदे के इंसानियत का फर्ज है कि लोगों की मदद करना और अंतिम यात्रा में अगर उनके चार कंधे मिल जाएं तो उससे बड़ा तो कोई पुण्य ही नहीं हो सकता हैं. अब तक 500 शव को सुपुर्द-ए-खाक किया गया है.
इमदाद बताते हैं कि दुबग्गा में एक बुजुर्ग महिला इंतकाल हो गया. परिवार के सभी सदस्य घबरा गए. शव के सुपुर्द ए खाक को कोई राजी नहीं था. काफी वक्त गुजरा. जानकारी पर हम लोग पहुंचे। पीपीई किट का इंतजाम करने के बाद ऐशबाग कब्रिस्तान में ले जाकर शव को दफन किया गया.
हम ऐसे शव को दफनाने का काम करते हैं, जिनके लोग सहारा बनना नहीं चाहते हैं जिनके परिजन मुंह मोड़ कर चले जाते हैं.
एक कॉल पर दौड़ पड़ता है दरोगा
उत्तर प्रदेश पुलिस जहां कोरोना संक्रमण काल में फ्रंट लाइन में रहकर व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में लगी है. वहीं, दरोगा नितिन यादव राजधानी लखनऊ में एक कॉल पर संक्रमित मरीजों की मदद के लिए दौड़ पड़ते हैं. दरोगा नितिन यादव अपने निजी खर्चे पर अपने सहयोगियों की मदद से मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती होने तक ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध करा रहे हैं.
तेलीबाग स्थित निजी हॉस्पिटल में अचानक ऑक्सीजन खत्म होने की सूचना सोशल मीडिया के जरिए पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर के पास आई। मरीजों की सांस न रुके, इसके लिए दरोगा नितिन यादव ने तत्काल सहयोगियों की मदद से उस हॉस्पिटल में मौजूद 11 मरीजों की राहत पहुंचाने का काम किया.
उन्होंने सिलेंडर पहुंचाया और ऑक्सिजन सिलेंडर की रिफलिंग भी करवाई. दरोगा नितिन अब तक अपने परिचितों के सहयोग व निजी खर्चे पर अब तक 17 ऑक्सीजन सिलेंडर जरुरतमंदों तक पहुंचा चुके हैं जबकि 10 दिन के भीतर 50 संक्रमितों की मदद की है. नितिन यादव लखनऊ कमिश्नर के मीडिया सेल के PRO हैं.
वे कहते हैं कि यह सब मैं पुलिस में होने के नाते कर पा रहा हूं. इसलिए मैं यूपी पुलिस का बहुत बड़ा शुक्रगुजार हूं. हमारे अधिकारियों का सहयोग है जो मैं लोगों की मदद करने में आगे आ सका हूं.
बेसहारा आवारा कुत्तों का इलाज व खाना
कोरोना संक्रमण काल में जब इंसानों की हालत खराब है तो बेजुबानों का क्या हाल होगा? यह सोचने वाली बात है. लेकिन सड़क पर घूम रहे बेजुबानों के लिए नीलेश बाजपेयी आपदा के साथी हैं.
जब से कोरोना का संकट काल आया है तब से नीलेश स्ट्रीट डॉग व अन्य मवेशियों को खाना उपलब्ध करा रहे हैं. उन्हें मेडकिल सेवाएं भी देते हैं. नीलेश इंदु ग्रामोद्योग सेवा संस्थान चलाते हैं. उनकी टीम में सचिव ईशांक द्विवेदी के अलावा 12 सदस्य हैं.
नीलेश कहते हैं कि इस संक्रमण काल में स्ट्रीट डॉग व मवेशियों को इलाज नहीं मिल पा रहा है. अभी 2 दिन पहले की ही बात है. गोमती नगर के पास एक कुत्ते का एक्सीडेंट हो गया. वह तड़प रहा था.
हमारी एनजीओ को सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली. हमारी टीम वहां पहुंची और कुत्ते का इलाज करवाया और उसको वह इंजेक्शन उपलब्ध कराया, जो मौजूदा समय में मिल नहीं पा रहा था। हमारी वॉलंटियर्स की टीम इकट्ठा लोगों के घरों से बचा खाना इकट्ठा कर अलग-अलग क्षेत्रों में बेजुबानों को खाना खिलाती है. इतना ही नहीं, टीम लोगों को मास्क, सैनिटाइजर व अन्य चीजें भी उपलब्ध करवा रही है.