जमीयत उलमा:अब तो एक हो जाईए !
कोरोना में सबसे ज़्यादा सदमा जमीयत उलमा को पहुंचा है.राष्ट्रीय अध्यक्ष क़ारी मोहम्मद उस्मान भी चले गये.आप मौलाना महमूद मदनी गुट के थे.महमूद मदनी अपने गुट के महासचिव हैं.बिहार में मौलाना अरशद मदनी गुट के अध्यक्ष क़ारी मोईन उद्दीन और महासचिव हुस्न अहमद क़ादरी दोनों इंतेक़ाल कर गये.महमूद मदनी गुट से मौलाना नाज़ीम बिहार के महासचिव हैं.
महमूद मदनी और अरशद मदनी चचा-भतीजा हैं.मौलाना असद मदनी के गुज़र जाने के बाद दोनों में सत्ता संघर्ष छिड़ी तो जमीयत दो फाड़ हो गयी.केस-मुक़दमा चला मगर मामला नहीं सुलझा.महमूद मदनी का दावा मौलाना असद मदनी के असल वारिस होने का है तो अरशद मदनी भी मौलाना असद मदनी के भाई होने के साथ-साथ जमीयत को सींचने और सीखने का दावा रहा है.
अपनी दुकानदारी चलाने की ख़ातिर चचा-भतीजा को लड़ाने-बहकाने वाले भी जमीयत के लोग ही रहे हैं.मगर पारिवारिक और आपसी झगड़े में जमीयत ने अपनी मुत्ताहिदा ताक़त,अपना वक़ार खोया है.अब एक के बाद एक शख़्शियतें भी खोती जा रही हैं तो किस बात का झगड़ा?अभी एक होने का वक़्त है.
मौलाना महमूद मदनी और मौलाना अरशद मदनी दोनों क़ौम व मिल्लत के लिए क़ीमती हैं.दोनों को मिल जाने में ही भलाई है.थोड़ा-थोड़ा दोनों अपने इगो को किनारे करें और गले मिलें.कौन जानता है कल को किसको खोना पड़ जाये.उस वक़्त रिश्तों में दूरी का अफसोस न हो.अपनी ज़िंदगी में दोनों हज़रात को चाहिये कि एक मज़बूत जमीयत ,एक मज़बूत क़यादत.सेकंड लाइनर खड़ा कर दें.बेशक,लोग किसी गुट से रहे हों जमीयत के लिए उनके कार्यों को याद किया जायेगा.
इस नफसा-नफसी के आलम में मौलाना महमूद मदनी और मौलाना अरशद मदनी दोनों से हमारी गुज़ारिश है कि क़ारी मोहम्मद उस्मान ,क़ारी मोईन उद्दीन,हुस्न अहमद क़ादरी के इंतेक़ाल का ज़रा भी अफसोस है तो ग़ुस्सा थूक दीजिए,गले मिल लीजिए.यही मरहूम के लिए सच्चा खराज ए अक़ीदत होगा.दोनों अपने-अपने ओहदों पर बने रहें,मौलाना अरशद मदनी अध्यक्ष और मौलाना महमूद मदनी महासचिव, संगठन एक हो.
-सेराज अनवर