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बाबरी मस्जिद के पैरोकार जफरयाब जिलानी को अस्पताल से मिली छुट्‌टी

बाबरी मस्जिद के मामले में पैरोकार रहे आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव एवं वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी को डिस्चार्ज कर दिया गया है. 20 मई को तबीयत खराब होने के बाद उनको लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया था। बताया जा रहा था कि उनके ब्रेन में खून के थक्के जमे हुए पाए गए थे. मेदांता के डॉक्टरों ने सर्जरी कर खून के थक्के को हटाया.

हालांकि उसके दिनों तक उनको वेंटिलेटर पर भी रखा गया. उनकी करोना जांच रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ गई थी. उसके बाद उसका भी इलाज शुरू हुआ.

एक सप्ताह बाद रिपोर्ट नेगेटिव आई. मंगलवार को उन्हें दोनों ही बीमारियों में सही पाए जाने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है.

पैर फिसलने से सर में पहले चोट आई थी

बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले पैर फिसलने की वजह से उनके सर में चोट आई थी. उसके बाद उनको अचाकन ब्रेन हैमरेज हो गया. जफरयाब जिलानी राजनीति में न होने हुए भी पिछले तीन दशक से उप्र और देश के बड़े नामों में शामिल थे.

अयोध्या विवाद में जफरयाब जिलानी लगातार मुस्लिम पक्ष की बात बड़ी मजबूती से रखने के लिए जाने जाते है. इन्होंन संविधानिक तरीके से हमेशा अपनी बात रखी और विवाद को कानूनी तौर पर निपटाने के परोकार रहे.

जफरयाब जिलानी बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक भी रहे हैं. वह बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि विवाद में सुन्नी सेन्ट्रल बोर्ड और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील रहे है.

होईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में वह मुस्लिम पक्ष की पैरवी करते थे. यहां तक की अपने बयानों की वजह से भी वह अक्सर मीडिया और देश प्रदेश की राजनीति में चर्चा की विषय रहते है.

शिक्षा जगत से अच्छा रहा संबंध

लखनऊ के इसके अलावा वह कई शैक्षणिक संस्थानों से भी जुड़े है. इसमें मुमताज डिग्री कॉलेज के ट्रस्ट में भी इनका बड़ा योगदान बताया जाता है. यही वजह से है कि लखनऊ में सुन्नी पक्ष भी सभी बड़ी बैठक अक्सर मुमताज कॉलेज में होती है. अमीनाबाद स्थिति मुमताज मार्केट भी इन्हीं का बताया जाता है. जफरयाब जिलानी समाजवादी पार्टी के सांसद और वरिष्ठ नेता सांसद आजम खान रिश्तेदार हैं.

हालांकि जानकारों का कहना है कि मौजूदा समय दोनों लोगों के संबंध अच्छे नहीं है.