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जो कुछ सीखा वालिद साहब से सीखा

आफताब अहमद

नूंह से विधायक, कैबिनेट मंत्री व फरीदाबाद लोकसभा से सांसद रहे मरहूम चौधरी खुर्शीद अहमद का आज जन्मदिन है, उन्हें मेवात के विकास के लिए हमेशा याद रखा जाएगा. उनकी कुशलता, बुधिमानिता और ईमानदारी के लिए मेवात हमेशा याद करता रहेगा.

एक बेटे के रूप में मैं भाग्यशाली रहा कि मुझे एक पिता के रूप में एक राजनेता के अलावा एक ईमानदार, काबिल, सेल्फ मेड, इलाके के लिए दर्द रखने वाले व्यक्ति मिले जिनसे न केवल राजनीति सीखने को मिली बल्कि ईमानदारी, वफादारी और जबान की बात को निभाने की सीख मिली.

वालिद साहब एक बात हमेशा कहते थे कि आप जीवन में स्पष्ट रहें, आधे इधर आधे उधर नहीं, बल्कि एक तरफ और वो भी सच की तरफ. राजनीति में उन्होंने जो ऊंचा मुकाम हासिल किया उसकी वजह जनता का प्यार तो था ही साथ में उनकी साफ नियत और ईमानदार छवि भी थी, जीवन में शार्ट कट उन्होंने कभी नहीं अपनाए.

राजनीति में उनकी सफलता यूहीं अचानक नहीं थी बल्कि अपने छात्र जीवन में दिल्ली विश्वविध्यलय में प्रधान चुना जाना उनकी प्रतिभा और मेहनत का सबूत था. वे हरियाणा प्रदेश की राजनीति में एक स्तंभ की तरह रहे. एक बार उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का ऑफर भी मिला लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया.

महज 28 साल की उम्र में संयुक्त पंजाब असेंबली के लिए चुने जाने पर उन्होंने अपनी वाक्पटुता और सौम्य वक्तव्य शैली से तत्कालीन मुख्य मंत्री प्रताप सिंह कैरू पर गहरा प्रभाव छोड़ा.

वालिद साहब तालीम के लिए बड़े फिक्र मंद थे मेवात में शिक्षा के आयाम स्थापित करने में उनकी अहम भूमिका रही. सबसे पहले उन्होंने नगीना के बडकली चौक पर अपना निजी कॉलेज खोला जिसे बाद में सरकार को सौंप दिया था.

फिरोजपुर नमक में प्रदेश की पहली जेबीटी खुलवाना चौधरी खुर्शीद अहमद की राजनीति में ऊंचाई को साफ बयान करता है, यही गांव हरियाणा का पहला मॉडल गांव भी बनाया गया. उटावड बहु तकनीकी संस्थान भी वालिद ने बनवाया था.

उन्होने अपने मंत्रित्व काल में शिक्षा, चिक्तिसा जो विकास कार्य उनके लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा. उनकी बेहतर राजनीतिक सोच के चलते आज मेवात में अनेक शिक्षण संस्थान खुले हैं. जिससे मेवात शिक्षा के क्षेत्र में अलग पहचान बना रहा है.

आज उनके द्वारा बनाए गए शिक्षण संस्थानों से मेवात के युवाओं को आगे बढऩे, पढने की राह मिल रही है. आज बेशक वह इस दुनिया में नहीं है, लेकिन वह मेवात की जनता के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे.

मेवात के विकास के लिए वालिद साहब ने एम डी ए का गठन कराया जो मेवात को विकास के नए मकाम तक लेकर गया . बतौर शिक्षा मंत्री जे बी टी संस्थान में उर्दू विषय के लिए अलग से सीटें निर्धारित की ताकि मेवात के युवाओं की भागीदारी और ज्यादा हो सके तथा मेवात का तालीमी पिछड़ापन दूर हो सके .

मेवात में यूं तो ज्यादा उद्योग धंधे नहीं हैं,लेकिन जो हैं वो वालिद साहब ने ही यहां लगवाए थे, रोज़का मेव इंडस्ट्रियल एरिया, हथीन इंडस्ट्रियल एरिया, कुछ जगह और लगवाए थे जिन्हें बाद में उनके विपक्षी नेता ने जीतने के बाद रुकवा दिया था। मेवात की सेहत के लिए उन्होंने मेवात में सभी जगह पीएचसी और सीएचसी केंद्र बनवाए ताकि लोगों को सही और सस्ता इलाज मिल सके, पूरे प्रदेश भर में पीएचसी सीएचसी बनवाए थे. अल आफिया अस्पताल बनवाने में उनकी भूमिका किसी से भी छिपी नहीं है.

किसानों से उन्हें खूब लगाव था, बाढ़ आने के बाद कई बांध मेवात में बनवाए थे, मेवात में सिंचाई के लिए ड्रेन बनवाए थे, पंप हाउस बनवाकर किसानों को उन्होंने मजबूत बनाने की कोशिश की थी.

वालिद साहब की बड़ी बात ये थी कि उन्होंने मेवात के हितों को कभी पीछे नहीं रखा बल्कि इलाके के हितों को आगे रखते थे फिर चाहे सामने कोई हो.

(लेखक हरियाणा कांग्रेस विधायक दल के उप नेता हैं )