बुरी खबर : हरियाणा का मुस्लिम बहुल नूंह कोरोना वैक्सीन लगाने में फिसड्डी, मात्र 8 फीसदी को लगी दोनों डोज
यूनुस अलवी, नूंह ( हरियाणा )
देश की राजधानी दिल्ली से मात्र 50 किलोमीटर दूर हरियाणा के मुस्लिम बहुल जिला नूंह के माथे पर एक और कलंक लगा है. यह बुनियादी ढांचे के हिसाब से विकास में फिसड्डी तो है ही अब कोरोना वैक्सीन के मामले में भी देश के पिछड़े जिलों में शुमार हो गया है.
योजना आयोग अपनी एक रिपोर्ट में नूंह को देश के पिछड़े जिलों में शुमार कर चुका है. कोरोना वैक्सीनेशन के मामले में देश के 50 फिसड्डी जिलों में भी नूंह शुमार है. हरियाणा प्रदेश की सूची में यह जिला नीचे से अव्वल है. वैक्सीन मामले में नूंह जिले को जान-बूझकर प्राथमिकता नहीं दी जा रही है या स्थानीय कारण हंै ? शासन-प्रशासन की ओर से इस बारे में अब तक कोई ठोस सफाई नहीं दी गई है. बावजूद इसके इस मुस्लिम बहुल जिले का हर जागरूक नागरिक यह जानना चाहता है कि कोरोना वैक्सीन मामले में नूंह पीछे कैसे रह गया. इसका जिम्मेदार कौन है और उसके खिलाफ किस स्तर की जिम्मेदारी तय की गई है ? नागरिकों को कोरोना वैक्सीन से महरूम रखने का मतलब है है मौत के मुंह में धकेलना. यह एक गंभीर मसला है !
हर पिछड़ेपन की सूचति में आखिर मेवात का नाम क्यों आता है ? इस बात पर यहां के राजनेता, धार्मिक रहनुमा और समाजिक संगठनों को भी गौर करना चाहिए. जबकि मुस्लिम बहुल कश्मीर में वैक्सीनेशन 100 फीसदी के करीब है. नूंह जिला में पहली डोज लेने वाले 36 और दोनो जोड लेने वाले मात्र 8 फीसदी लोग हैं. देश में सबसे कम वैक्सीनेशन वाले जिले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न केवल चिंता जाहिर कर चुके हैं, बल्कि ऐसे प्रदेश के मुख्यमंत्रियों एवं आला अधिकारियों की बैठक भी ले चुके हैं.
नूंह जिला में करीब 80 फीसदी मुस्लिम आबादी है. जिले में 18 आयु से अधिक के 10 लाख 9532 लोगों को वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज लगनी है जिले में गत बुधवार तक तीन लाख 68 हजार 719 लोगों को पहली तथा 84497 लोगों को दूसरी डोज दी गई. जिले में जहां अभी 6 लाख 40 हजार 813 लोगों को पहली डोज लगनी बाकी है, वहीं जिन लोगों का पहली डोज लगने का समय पूरी हो गया और जिन्होने अभी तक दूसरी डोज नहीं लगवाई उनकी संख्या 64319 है. यानि नूंह जिला में दोनों डोज केवल तीन लाख 4400 लोगों को ही लगी है. जिले में 36 फीसदी पहली और 8 फीसदी दूसरी डोज के साथ नूंह प्रदेश में सबसे नीचे पायदान पर है. गुरूग्राम में 122 फीसदी पहली तथा 78 फीसदी दूसरी डोज के साथ प्रदेश में अव्वल स्थान पर है. मजे की बात है कि गुरूग्राम से नूंह की दूरी कुछ ही किलोमीटर है और एक दशक पहले तक नूंह भी साइबर सिटी गुरूग्राह जिले का ही हिस्सा था.
इस बारे में नूंह जिला के सिविल सर्जन डाक्टर सुरेद्र यादव का कहना है कि अब तक जितने लोगों को पहली और दूसरी कोरोना वैक्सीन की डोज लगी है. उनमें केवल हलका बुखार के अलावा को अन्य लक्ष्ण नहीं मिले है और न ही कोई ज्यादा बीमार हुआ है. फिर भी लोग अफवाह के चलते डोज लेने नहीं आ रहे हैं. उन्होंने कहा कोरोना टीका लगवाने से कोई नुकसान नहीं है, बल्कि इंसान स्वंम और दूसरे को सुरक्षित रख सकता है. यही बात स्वास्थ्य विभाग आम आदमी को क्यों नहीं समझा पा रहा है ? इस सवाल को सिविल सर्जन टाल गए.
मेवात मुस्लिम बहुल इलाका होने के कारण लोग लोकल राजनेता और उलेमा के प्रभाव में रहते हैं. मगर उनकी ओर से वैक्सीन को लेकर अब तक कोई गंभीर पहल नहीं की गई है.हरियाणा विधानसभा में प्रतिक्ष के उपनेता एंव नूंह से कांग्रेस विधायक आफताब अहमद का कहना है कि उन्हांेने अपने कार्यकर्ताओं और उलेमा के साथ कोराना टीका लगवाने को लेकर कई बार मुहिम चलाई. वह खुद परिवार के साथ दोनों टीके लगवा चुके हंै. सभी लोगों को टीका लगवाना चाहिए.
इस बारे में जमीयत उलेमा हिंद की नोर्थ जोन हरियाणा, चंदीगढ़, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष मोलाना याहया करीमी का कहना है कि इस्लाम के आखरी पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब ने बीमारी का इलाज कराने और फैलने वाली बीमारी से बचना बताया है. यानि अगर हम कोरोना से बचाव के टीके लगवाते हैं तो ये मुहम्मद साहब की सुन्नत पर अमल होगा. इसलिए लोगों को जल्द से जल्द दोनांे टीके लगवाने चाहिएं. वह खुद दोनांे टीके लगवा चुके हैं.