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हिंदूवादी संगठनों ने गुरूग्राम में फिर रोका जुमे की नमाज, खट्टर सरकार के विवाद सुलझाने में गंभीरता नहीं दिखाने से मामला दिल्ली पहुंचा

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली /गुरुग्राम ( हरियाणा )

देश की राजधानी दिल्ली से लगते हरियाणा के औद्योगिक शहर गुरुग्राम में जुमे की नमाज को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद अब फैलने लगा है. इस मामले को जहां पाकिस्तान के अखबार अपने हिसाब से प्रकाशित कर हिंदुस्तान को बदनाम करने की साजिश में लग गए हैं, वहीं यह अब दिल्ली में भी गरमा-गरम चर्चा का मुद्दा बन गया है. इस विवाद को सुलझाने में हरियाणा सरकार की पहल न करने का ही नतीजा है कि यह लंबा  खींचा जा रहा है. नमाज में व्यवधान डालने वालों के हौंसले भी अब इतने बुलंद हो गए हैं कि सरकार द्वारा चिन्हित जगह पर भी नमाज नहीं होने दे रहे हैं. हद यह कि ऐसे लोगों पर ठोस कार्रवाई करने की बजाए सरकार ने कहा है कि नए सिरे से नमाज के स्थल तय किए जाएंगे. तब तक पूर्व में निर्धारित स्थलों पर फिल्हाल जुमे की नमाज नहीं होगी.

मजे की बात यह है कि सरकार और नमाज में व्यवधान डालने वालों को पता है कि निरंतर विस्तार लेते हरियाणा के गुरूग्राम शहर में नमाज पढ़ने के लिए चार से अधिक मस्जिदें नहीं हैं. दूसरी तरफ शहर की आबाद शहर के विस्तार के साथ बढ़ रही है. साथ ही गुरुग्राम के कामकाजी शहर होने के कारण यहां प्रतिदिन लोग लाखों की संख्या में नौकरी, कारोबार और रोजगार के लिए दिल्ली और आसपास के शहरों से आते हैं.

उनमें बड़ी संख्या में मुसलमान भी हैं. ऐसे में शहर में मौजूद मस्जिदें शहरवासियों के लिए तो छोटी पड़ ही रही हैं. हर शुक्रवार को जुमे की नमाज को लेकर ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है कि लोग खुले में नमाज पढ़ने को मजबूर हो जाते हैं. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 में गुरूग्राम में नमाज पढ़ने के लिए प्रशासन ने 100 स्थान निर्धारित किए थे. फिर संख्या घटकर 37 कर दी गई. विवाद को बढ़ता देख गत दिनों प्रशासन को एक ज्ञापन देकर दोनों पक्षों ने मस्जिद सहित कुल 18 स्थानों पर नमाज पढ़ने पर सहमति जताई थी. इस शुक्रवार वहां भी नमाज पढ़ने से रोक दिया गया.

दक्षिणपंथी समूहों ने वाहनों को खड़ा कर नमाज स्थल किया जाम
 
दक्षिणपंथी समूहों ने शुक्रवार 10 दिसंबर को वाहनों का हुजूम खड़ा करके नमाज स्थल को इस तरह अवरुद्ध कर दिया कि वहां नमाज नहीं पढ़ी जाए. इसकी वजह बिपिन रावत की मौत पर उन्हें श्रद्धांजलि देना बताई गई.सियासत डाॅट काॅम ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि नमाज बाधित करने की एक और घटना में गुरुग्राम के सेक्टर 37 में सामने आई. स्थानीय लोगों और हिंदू दक्षिणपंथी समूहों ने सेक्टर 37 पुलिस थाने के बाहर की जगह पर कब्जा कर लिया. वहां नमाज अदा करने से रोका गया.
बदमाशों ने अपने वाहन खड़े कर दिए और दावा किया कि वे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत और दुर्घटना में मारे गए अन्य सैन्य अधिकारियों के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए इकट्ठा हुए हैं. रिपोर्ट कहती है कि उस जगह श्रद्धांजलि सभा आयोजित करने के  कोई सबूत नहीं मिले.इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहे हैं, वह कुछ और कहानी कह रहे हैं. वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे भीड़ जुमे की नमाज में बाधा डालने की नियत से एकत्रित हुई है.
भगवा और सफेद कपड़े पहने एक ‘प्रदर्शनकारी‘ अपनी बाहों को लहराते हुए ‘‘एक ही नारा एक ही नाम‘‘ चिल्लाता नजर आ रहा है. इसके चिल्लाने पर भीड़ से आवाज आती है, ‘‘जय श्री राम, जय श्री राम‘‘ .

एक अलग वीडियो में, वही प्रदर्शनकारी ‘‘मुल्ला का ना काजी का‘‘ चिल्लाते हुए संकेत देता है कि भारत मुसलमानों के लिए नहीं है. इस दौरान एक हिंदू धार्मिक गीत के साथ ताली बजाते हुए प्रदर्शनकारी एक अन्य वीडियो में दिखाई देते हैं.
बताते हैं कि पिछले कुछ महीनों में, हिंदुत्व ब्रिगेड ने मुसलमानों को अलग-अलग बहाने से जुमे की नमाज अदा करने से रोका है. 12 नवंबर को एक भीड़ ने यह दावा करते हुए नमाज साइट पर वॉलीबॉल खेलने पहुंच गई कि यह जगह खेल की है. इसके अलावा संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति द्वारा नमाज स्थल पर पूजा आयोजित कर नमाज पढ़ने से रोक चुकी है. इस जगह पूजा के लिए गोबर के उपले फैला दिए गए थे. इस पूजा में दिल्ली दंग के विवादास्पद चेहरे और बीजेपी नेता कपिल मिश्रा भी शामिल हुए थे. अक्टूबर में एक अन्य जगह हिंदूवादी संगठनों ने यह दावा करते हुए नमाज नहीं होने दी कि ‘‘रोहिंग्या शरणार्थी‘‘ नमाज के बहाने अपराध करने इकट्ठा होते हैं.

खट्टर ने सार्वजनिक नमाज स्थल को किया स्थगित

विरोध के बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को सार्वजनिक नमाज को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया.मुख्यमंत्री के हवाले से एक बयान में कहा गया  कि सार्वजनिक प्रार्थना के लिए दिए गए सभी पिछले प्रतिबंधों और आदेशों को रद्द कर दिया गया है.राज्य सरकार अब एक ‘‘सौहार्दपूर्ण समाधान करेगी जो सभी अधिकारों को बनाए रखेगी. कोई अतिक्रमण या शोषण सुनिश्चित नहीं करेगी.‘‘
उन्होंने कहा कि तब तक सार्वजनिक स्थानों पर नमाज अदा नहीं की जाएगी.
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा, ‘‘हमें किसी के अपने धार्मिक स्थलों पर धर्म का पालन करने से कोई समस्या नहीं है, लेकिन खुले स्थानों का उपयोग स्वीकार्य नहीं है.‘‘“कोई कानून-व्यवस्था की स्थिति या उसी के बारे में कोई तनाव नहीं होना चाहिए. हमें पता चला कि समूहों के बीच एक बैठक हुई थी और कुछ स्थानों पर सहमति या आवंटन किया गया था, लेकिन हम तत्काल प्रभाव से सभी को वापस ले लेंगे और जल्द ही सौहार्दपूर्ण समाधान निकालेंगे.

उन्होंने कहा,“हम वक्फ बोर्ड को उनके रिक्त स्थान को अतिक्रमण से मुक्त करने में मदद करेंगे. तब तक लोग अपने कानूनी स्थलों, घरों आदि पर नमाज अदा करें. हम किसी भी अधिकार का उल्लंघन नहीं करेंगे, लेकिन किसी को भी धमकाने की अनुमति नहीं है. ”

फैसला नहीं होने तक  शुक्रवार की नमाज नहीं होगी ?

स्थानीय प्रशासन से लेकर सरकार, सब को पता है कि गुरुग्राम में मुसलमानों की जनसंख्या के हिसाब से मस्जिदें नहीं हैं. मजबूरी में लोगों को खुले में नमाज पढ़ना पड़ता है. ऐसे में सरकार ने यदि अगले शुक्रवार तक नमाज पढ़ने का प्रबंध नहीं किया तो मुस्लिम बिरादरी जुमे की नमाज पढ़ने से वंचित रह जाएगी. मस्जिद में जगह नहीं है और सरकार ने अगले आदेश तक सारे प्रबंध निरस्त कर दिए हैं. ऐसी स्थिति में यदि दो-चार दिनों में दु्रतगति से इसपर निर्णय नहीं हुआ तो इसका मतलब है कि अधिकांश मुसलमानों को शुक्रवार की नमाज से वंचित रहना पड़ेगा.

यह स्थिति तब है जब इस शहर में अफगानिस्तान, गल्फ सहित कई देशों के मुसलमान बड़ी संख्या में रहते हैं. जाहिर है उनके माध्यम से गुरुग्राम, हरियाणा और देश की छवि को धक्का पहुंच सकता है. अरब और अफगानिस्तान हमारे दोस्त देश हैं. जुमे की नमाज सामूहिक रूप से पढ़ी जाती है. इसपर रोक लगे होने से संदेश अच्छा नहीं जाएगा.

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विवाद में सियासत की एंट्री

हरियाणा की खट्टर सरकार द्वारा मामले को सुलझाने में गंभीरता नहीं दिखाने से अब यह सियासी रंग पकड़ने लगा है. इस मामले को लेकर नूंह के कांग्रेस विधायक आफताब अहमद पूरी तरह सक्रिय हैं. उन्हांेने अपने स्तर से जहां इस मामले को प्रदेश के मुख्यमंत्री और डीजीपी तक पहुंचाई हैं, वहीं पिछले दिनों कांग्रेस के दो और विधायकों मोहम्मद इलियास और मम्मन खान इंजीनियर के साथ लेकर प्रदेश के राज्यपाल के मेवात आगमन पर उन्हें एक ज्ञापन भी सौंपा. गुरूग्राम में हर शुक्रवार दिल्ली से यहां कई दलों के लीडर आने लगे हैं. 10 दिसंबर को तो उन नेताओं की मौजूदगी में दिल्ली में एक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया. इस दौरान गुरुग्राम के जुमे की नमाज में व्यवधान से संबंधित जितनी बातें कही गईं, जाहिर है बीजेपी और खट्टर सरकार को नापसंद होगी.

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शहर की प्लानिंग और व्यवस्था पर उठे सवाल

कभी सड़कों पर यातायात जाम और कभी भारी जलभराव के बहाने गुरूग्राव के विकास पर सवाल उठते रहे हैं. जुमा की नमाज को लेकर भी इसके विकास पर सवाल उठने लगा है. शासन-प्रशासन और स्थानीय नेताओं को जब पता है कि दिल्ली से लगता यह शहर विकास के साथ ही तेजी से जनसंख्या विस्तार भी ले रहा है तो ऐसी हालत में उन्होंने मस्जिदों की तादाद बढ़ाने का प्रयास क्यों नहीं किया ? जनसंख्या बढ़ने के साथ मुसलमान भी खासी तादाद में हो गए हैं. ऐसे में सरकार ने शहर का विकास इस तरह क्यों नहीं किया कि यहां आने वाले या रहने वाले मुसलमानों को आजादी और बिना व्यवधान के संविधान के अनुरूप सामूहिक रूप से नमाज पढ़ने में किसी तरह की दिक्कत न आए.

सेक्टरों में जब मंदिर और गुरुद्वारे के लिए जमीन सुरक्षित हो सकते हैं तो फिर मस्जिदों, चर्चों और दूसरे धर्म के मानने वालों के लिए ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं गई ? यहां तक कि वक्फ बोर्ड की जमीन पर अवैध कब्जा होने दिया. वक्फ की जमीन पर मस्जिदें बन सकती थीं. इसके लिए यहां के शासन-प्रशासन और स्थानीय मुसलमानों को प्रेरित क्यों नहीं किया गया ? इसके उलट शहर के कतिपय मुसलमनों ने जब पटेल नगर और शीतला काॅलोनी में अपने पैसे से जमीन खरीद कर सामूहिक रूप से नमाज पढ़ने की कोशिश की तो इतना गहरा विवाद पैदा कर दिया गया कि उन स्थलों पर लोगों को ताला लगाना पड़ा.

प्रशासन की भूमिका भी इसमें संदिग्ध रही. उल्टे मुसलमानों से पूछा गया कि उन्हांेने नमाज पढ़ने के लिए जमीन खरीदने से पहले प्रशासन से इजाजत क्यों नहीं ली ? क्या प्रशासन बता सकता है कि पिछले पांच वर्षों में शहर में कितने मंदिर अनुमति लेकर और नक्शा पास कराकर बनाए गए. ऐयर फोर्स के पास संवदेनशील इलाके में आने वाले कटारिया चैक पर ही एक मंदिर रातों रात खड़ा कर दिया गया और प्रशास के सिर पर आज तक जूं तक नहीं रेंगी. ऐसी कोताहियों का नतीजा है कि आज गुरुग्राम का नमाज विवाद सरकार और समाज के लिए बदनुमा धब्बा और समस्या बन गया है.