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यूपी चुनावीः सेक्युलर पार्टियों का खेल बिगाड़ने को एआईएमआईएम की एक और पैंतरेबाजी, उमैर मदनी को मैदान में उतारा

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, लखनऊ

यूपी चुनाव में मुस्लिम वोट में बिखराव पैदा करने में हर दल लगा है. इसमें असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) भी किसी अन्य दल से पीछे नहीं. अक्सर देखा गया है, जिस चुनाव में बीजेपी की स्थिति डांवाडोल होती है, पार्टी का आधार हो अथवा नहीं ओवैसी वहां कूद पड़ते हैं. बिहार और पश्चिम बंगाल के चुनाव इसके ताजा उदाहरण हैं. अब बारी उत्तर प्रदेश की है. ओवैसी पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप इसलिए भी लग रहे हैं, क्योंकि अभी चुनाव यूपी के अलावा पंजाब, उत्तराखंड, गोवा सहित पांच राज्यों में हंै. मगर बाकी प्रदेशों को ओवैसी ने दरगुजर कर रखा है. वहां न तो इनकी पार्टी का कोई उम्मीदवार खड़ा किया गया और न ही ओवैसी ने किसी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की है.

रही बात इन प्रदेशों में मुसलमानों की तो दो-चार प्रतिशत हर जगह हैं. यूपी में यह जनसंख्या करीब 20 प्रतिशत है. मुसलमान उत्तर प्रदेश के तकरीबन 100 सीटों पर किसी भी दल का खेल बिगाड़ सकते हैं. इससे पहले की वो खेल बिगाड़ें उनके वोटर में बिखराव पैदा करने कोशिशें चल रही हैं.

बहरहाल, यूपी चुनाव में ओवैसी ने सहारनपुर जिले की देवबंद विधानसभा सीट से मौलाना उमैर मदनी को मैदान में उतारा है. इसके बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटों में बिखराव की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ गई है. मौलाना उमैर मदनी देवबंद के प्रमुख मदनी परिवार से संबंध रखते हैं. उनके पिता मौलाना मसूद मदनी उत्तराखंड सरकार में पूर्व मंत्री थे. उनके चाचा मौलाना महमूद मदनी जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष हैं और उनके दादा अरशद मदनी इस्लामिक मदरसा दारुल उलूम देवबंद के प्रिंसिपल हैं. इस परिवार का क्षेत्र में मुसलमानों पर काफी प्रभाव है.

एक स्थानीय पत्रकार तौफीक कुरैशी ने कहा, ‘‘विधानसभा चुनावों में मदनी परिवार के सदस्य के प्रवेश ने पश्चिमी यूपी क्षेत्र में प्रतियोगिता को दिलचस्प बना दिया है. उनका स्थानीय लोगों पर प्रभाव है.‘‘सहारनपुर और आसपास के जिलों में उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करने में मुस्लिम वोट निर्णायक हैं. मुस्लिम बहुल रोहिलखंड क्षेत्र में अपने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए सपा, बसपा और एआईएमआईएम मुस्लिम वोटों के लिए होड़ कर रहे हैं.

एआईएमआईएम ने संभल से मुशीर तरीन, असमोली विधानसभा सीट से शकील अशरफी, नगीना सीट से ललिता कुमार, बरहापुर सीट से मोहिउद्दीन, बिलारी सीट से खालिद जामा, नानपारा सीट से मौलाना लाइक और कुर्सी विधानसभा सीट से हाजी कुमैल अशरफ खान को मैदान में उतारा है.

दिलचस्प बात यह है कि बहुजन समाज पार्टी भी मुस्लिम वोटों के लिए बोली लगा रही है. पार्टी ने पहले चरण में मतदान के लिए जाने वाले निर्वाचन क्षेत्रों में 16 और दूसरे चरण में 23 मुसलमानों को मैदान में उतारा है. दोनों चरण पश्चिमी यूपी में हैं.

पिछले हफ्ते, असदुद्दीन ओवैसी ने 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों के लिए मुसलमानों, अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) और दलितों के समर्थन वाले दलों को शामिल करते हुए एक नया मोर्चा, भागीदारी परिवर्तन मोर्चा शुरू करने की घोषणा की थी.

मोर्चे में बाबू सिंह कुशवाहा के नेतृत्व वाली जन अधिकार पार्टी, वामन मेेश्राम के नेतृत्व में भारत मुक्ति मोर्चा, अनिल सिंह चैहान के नेतृत्व वाली जनता क्रांति पार्टी और राम प्रसाद कश्यप के नेतृत्व वाली भारतीय वंचित समाज पार्टी शामिल हैं.