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यूपी चुनावः गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ का रास्ता रोकने उतरेंगे डा. कफील खान

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,   नई दिल्ली

कथित तौर पर योगी सरकार के उत्पीड़न के शिकार लोग, इस प्रयास में हैं कि किसी तरह उत्तर प्रदेश के चुनाव में उनका रास्ता रोका जा सके. इस उद्देश्य के तहत आजाद पार्टी के चंद्रशेखर आजाद ने गोरखपुर से योगी अदित्यनाथ के विरोध में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. अब इस कड़ी में डॉक्टर कफील खान ने भी कुछ ऐसी ही घोषणा की है. योगी सरकार ने उन्हें नौकरी से पैदल कर रखा है. इसके लिए अलावा उन्हें विभिन्न आरोपों में जेल की लंबे समय तक हवा खानी पड़ी.

बता दें कि बाल रोग विशेषज्ञ डॉ कफील खान, जिनका नाम 2017 बीआरडी मेडिकल कॉलेज त्रासदी में सामने आया था, जिसमें कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी के कारण कई बच्चों की मौत हो गई थी, ने मंगलवार को कहा कि अगर कोई पार्टी उनका समर्थन करे तो वह गोरखपुर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने को तैयार हैं.

खान को पिछले साल 9 नवंबर को सेवा से बर्खास्त किया गया था. उन्होंने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी है.उन्हांेने कहा,“मैं गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ सकता हूं. अगर कोई पार्टी मुझे टिकट देती है तो मैं तैयार हूं.‘यह पूछे जाने पर कि क्या वह किसी पार्टी के संपर्क में हैं या किसी ने संपर्क किया है, उन्होंने कहा, हां, बातचीत जारी है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो मैं चुनाव लड़ूंगा.‘‘

गोरखपुर में 3 मार्च को मतदान

खान ने कहा कि अगस्त 2017 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई त्रासदी में उन्हें बलि का बकरा बनाया गया. इसस घटना में 80 परिवारों के बच्चों की मौत हुई थी.खान ने आरोप लगाया कि गोरखपुर में नहीं होने के बावजूद उनकी 70 वर्षीय मां को पुलिस प्रताड़ित कर रही है. उनसे पूछताछ करने के लिए उनके घर पहुंच रही है.

उन्होंने कहा, “मैं फेसबुक, ट्विटर आदि जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हूं . वहां अपने ठिकाने के बारे में बता रहता हूं. फिलहाल मैं मुंबई में हूं. यहां से मैं अपनी पुस्तक- ‘द गोरखपुर हॉस्पिटल ट्रेजेडी- ए डॉक्टर्स मेमॉयर ऑफ ए डेडली मेडिकल क्राइसिस‘ के प्रचार के लिए हैदराबाद और बैंगलोर जा रहा हूं. इस पुस्तक की 5000 से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं.

उन्होंने कहा, “17 दिसंबर, 2021 को मेरी किताब के विमोचन के बाद पुलिस 20 दिसंबर और फिर 28 दिसंबर और फिर जनवरी में मेरे घर पहुंची. पुलिस का कहना है कि मैं गोरखपुर के राजघाट थाने में हिस्ट्रीशीटर हूं. चुनाव के चलते ऐसे लोगों का सत्यापन चल रहा है.

\अगर उन्हें सत्यापन करना होता, तो एक पुलिसकर्मी मेरे स्थान पर जा सकता था. मेरे पास तस्वीरें हैं जो दिखाती हैं कि कई पुलिसकर्मी मेरे घर पहुंच रहे हैं और मेरे घर के बाहर क्लिक कर रहे हैं जैसे कि उन्हें ‘किसी‘ को दिखाना है कि वे अपना काम कर रहे हैं. ”

बता दें, कफील की मां गोरखपुर के बसंतपुर मोहल्ले में अपने भाई आदिल खान के परिवार के साथ रहती हैं.अपनी किताब के बारे में कफील ने कहा कि यह 10 अगस्त, 2017 की शाम की घटना के बारे में है, जब गोरखपुर में सरकारी बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के नेहरू अस्पताल में तरल ऑक्सीजन खत्म हो गई थी. कथित तौर पर अगले दो दिनों में 80 से अधिक मरीजों में जिसमें 63 बच्चे और 18 वयस्क थे, की जान चली गई थी.

 उन्होंने कहा कि  इस त्रासदी की खबर ने देश का ध्यान खींचा. तब उन्हें संकट को नियंत्रित करने के लिए लगातार काम करने और मरम्मत की सख्त जरूरत वाले स्वास्थ्य प्रणाली की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए ‘ नायक‘‘ कहा गया था.लेकिन कुछ दिनों बाद, भ्रष्टाचार और अन्य गंभीर आरोपों के बीच चिकित्सा लापरवाही के लिए उनके सहित 9 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई. उन्हें जेल में डाल दिया गया.

कफील को जनवरी 2020 में गिरफ्तार किया गया था. आरोप था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिया था. इसके लिए कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत आरोप लगाया गया था और पांच महीने तक जेल में बिताने पड़े थे. इलाहाबाद उच्च न्यायालय उनके खिलाफ एनएसए आरोप हटा दिए थे.