ईरान के साथ नए सिरे से वार्ता शुरू करना चाहता है सऊदी अरब
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
सऊदी विदेश मंत्री ने कहा है कि पिछले दौर की वार्ता में ठोस प्रगति की कमी के बावजूद, सऊदी अरब ईरान के साथ सीधे पांचवें दौर की बातचीत का कार्यक्रम निर्धारित करना चाहता है.अरब न्यूज के मुताबिक, शनिवार को सऊदी विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद ने म्यूनिख सुरक्षा परिषद की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि सऊदी अरब ईरान के साथ बातचीत में दिलचस्पी रखता है.
उन्होंने कहा कि अगर 2015 में ईरान के साथ परमाणु समझौता बहाल हो जाता है, तो इस कदम को क्षेत्रीय चिंताओं को हल करने के लिए एक प्रारंभिक बिंदु माना जाएगा, न कि अंतिम.ईरान के साथ बातचीत में रुचि के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि ईरान को भी मौजूदा मूलभूत मुद्दों को सुलझाने की गंभीर इच्छा दिखानी होगी.‘‘हमें उम्मीद है कि नए तरीके खोजने की गंभीर इच्छा होगी.‘‘
सऊदी विदेश मंत्री ने कहाः ‘‘अगर हम इन बिंदुओं पर ठोस प्रगति देखते हैं, तो सुलह संभव है. हमने अभी तक ऐसा होते नहीं देखा है.‘‘इससे पहले, जर्मन चांसलर ओलाफ शुल्ज ने सम्मेलन में कहा था कि ईरान के परमाणु समझौते के फिर से शुरू होने की संभावना कम हो रही है और यह ईरान के शासकों के निर्णय लेने का समय है.
उन्होंने कहा, ‘‘अभी हमारे पास एक समझौते पर पहुंचने का मौका है जो प्रतिबंधों को उठाने में मदद कर सकता है.‘‘ लेकिन अगर हम जल्द ही सफल नहीं हुए तो बातचीत के विफल होने का खतरा है.‘‘उन्होंने कहा कि ईरानी सरकार के पास एक विकल्प है और यह निर्णय लेने का समय है.
ईरानी विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन ने म्यूनिख सम्मेलन में कहा, ‘‘ईरान जल्द से जल्द एक अच्छा सौदा चाहता है अगर दूसरा पक्ष भी एक राजनीतिक निर्णय लेता है.‘‘उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ कैदियों का आदान-प्रदान एक मानवीय मुद्दा है जिसका परमाणु समझौते से कोई लेना-देना नहीं है, इसलिए इसे तुरंत किया जा सकता है.
ईरान के साथ अमेरिका के नेतृत्व वाली अप्रत्यक्ष वार्ता का नेतृत्व करने वाले रॉबर्ट मैले ने कहा कि जब तक ईरान चार अमेरिकियों को रिहा नहीं कर देता, तब तक परमाणु समझौते को बहाल करना संभव नहीं है.हाल के वर्षों में, ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने दर्जनों ईरानियों को दोहरी नागरिकता के साथ गिरफ्तार किया है. अधिकांश पर जासूसी या राष्ट्रीय सुरक्षा के आरोप लगाए गए हैं.