आरएसएस ने गुजरात प्रदर्शनी से क्यों हटाई मुहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर ?
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, अहमदाबाद
गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित आरएसएस की प्रदर्शनी से आखिरकार पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर हटा दी गई. विवाद बढ़ता देख आरएसएस को तस्वीर हटाना पड़ा. प्रदर्शन में लगाई गईं 200 ‘प्रतिष्ठित व्यक्तियों‘ में मुहम्मद अली जिन्ना की भी तस्वीर थी.
बता दूं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शुक्रवार को अहमदाबाद में तीन दिवसीय वार्षिक बैठक आयोजित की गई. आयोजन स्थल पर ही 200 प्रतिष्ठित लोगों की तस्वीरों की प्रदर्शनी लगाई गई है, उसमें जिन्ना भी थे. उनका परिवार सौराष्ट्र के राजकोट जिले के मोती पनेली गांव से था.
प्रदर्शनी में अजीम प्रेमजी भी
अन्य प्रतिष्ठित लोगों में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के पिता विक्रम साराभाई, परोपकारी अजीम प्रेमजी, क्रिकेटर वीनू मांकड़, साथ ही बॉलीवुड अभिनेता परवीन बाबी, हरिभाई जरीवाला जिन्हें संजीव कुमार और डिंपल कपाड़िया भी हैं जिनकी तस्वीरें प्रदर्शनी में लगाई गई हैं.
आरएसएस का 11 मार्च से 13 मार्च तक अहमदाबाद के पिराना गांव में श्री निष्कलंकी नारायण तीर्थ धाम प्रेरणा पीठ में वार्षिक ‘‘अखिल भारतीय प्रतिनिधि बैठक‘‘ आयोजित किया जा रहा है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा इसमें भाग ले रहे हैं. तीन दिनों तक बंद कमरे में होने वाले कार्यक्रमों में देश भर से संघ के 1,248 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.
आरएसएस की बैठक में गुजरात की झलक
गुजरात की संस्कृति और इतिहास के साथ अतिथि प्रतिनिधियों को परिचित कराने के लिए, आरएसएस के गुजरात प्रांत ने विभिन्न कला रूपों, हस्तशिल्प और कढ़ाई के काम, लोक संस्कृति, प्रदर्शन कला, वन्य जीवन और गुजरात में हुई ऐतिहासिक महत्व की घटनाओं को दर्शाते हुए एक प्रदर्शनी गैलरी लगाई है.
प्रदर्शनी में, गुजरात में अपनी जड़ें रखने वाली 200 प्रतिष्ठित हस्तियों की तस्वीरों को दर्शाने वाला एक विशाल बिलबोर्ड लगाया गया है जिसमें महात्मा गांधी, ब्रिटेन के सांसद दादाभाई नौरोजी, बिजनेस टाइकून धीरूभाई अंबानी, रतन टाटा और अजीम प्रेमजी, सामाजिक उद्यमी वर्गीज कुरियन शामिल हैं. गुजरात विद्यापीठ की चांसलर और सेवा की संस्थापक इला भट्ट, दूरसंचार आविष्कारक सैम पित्रोदा और डांसर मृणालिनी साराभाई की भी तस्वीर प्रदर्शन में शामिल की गई हैं.
जूनागढ़ के नवाब और सरदारसिंह राणा के खिलाफ अर्जी हुकुमत का गठन करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों शामलदास गांधी और पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को भी इसमें रखा गया है.
जिन्ना की तस्वीर के कैप्शन में लिखा है, ‘एक बैरिस्टर जो शुरू में एक कट्टर देशभक्त था, बाद में धर्म के आधार पर भारत के विभाजन के निर्माता.‘
जिन्ना के कारण कई आए विवाद में
उल्लेखनीय है कि 2009 में, गुजरात सरकार ने भाजपा से निष्कासित नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह की ‘‘जिन्ना-भारत, विभाजन, स्वतंत्रता‘‘ नामक पुस्तक पर सरदार वल्लभभाई पटेल को कथित रूप से खराब रोशनी में दिखाने के लिए प्रतिबंधित कर दिया था.
इंडियान एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार,2005 में, उप प्रधानमंत्री के रूप में लालकृष्ण आडवाणी ने कराची में जिन्ना के मकबरे का दौरा किया था और उनकी ‘एक महान व्यक्ति‘ के रूप में प्रशंसा की थी. कहते हैं कि उसके बाद उन्हें भाजपा या भाजपा की सरकार में इसी वजह से कोई बड़ा पद नहीं दिया गया.
परवीन बाबी के लिए कैप्शन में लिखा है, ‘‘जिसने नवाबी नजाकत (शाही विनम्रता) को बड़े पर्दे पर पेश किया‘‘ और सूरत में जन्मे संजीव कुमार के लिए, कैप्शन में लिखा है, ‘‘बेजोड़ फिल्म कलाकार.‘‘
गुजरात से परिचय कराने का प्रयास
प्रदर्शनी के पीछे की अवधारणा के बारे में बताते हुए, तीन दिवसीय आयोजन के समन्वयक शिरीष काशीकर ने कहा, “संघ के प्रतिनिधि जो पूर्वोत्तर, पश्चिम बंगाल या दक्षिणी राज्यों से आते हैं, वे तस्वीरों के माध्यम से गुजरात के इतिहास और संस्कृति से परिचित हो सकते हैं. हमने ऐतिहासिक समय से राज्य के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक पहलुओं को अद्वितीय विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रदर्शित किया है.”
उन्होंने कहा, ‘‘हमने गुमनाम नायकों की कहानियों को उजागर करने की भी कोशिश की है. खासकर गुजरात के भील और आदिवासी समुदायों की, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी, लेकिन हमारी इतिहास की किताबों में उनकी उपेक्षा की गई.‘‘
जिन्ना और अन्य लोगों के बारे में पूछे जाने पर, जो संघ की विचारधारा से जुड़े नहीं हैं, काशीकर ने कहा, “हमने उन लोगों के नाम जोड़े हैं जिन्होंने उस दौरान भारत के लिए योगदान दिया है. यह आरएसएस का कार्यक्रम है, इसका मतलब यह नहीं है कि हम केवल उन्हीं लोगों को शामिल करेंगे जो हमारी विचारधारा से जुड़े हैं.‘‘
आरएसएस की प्रदर्शनी से मुहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर गायब
विवाद बढ़ता देख पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर गुजरात से जड़े 200 ‘प्रतिष्ठित व्यक्तियों‘ की तस्वीरों में से हटा दी गई हैं. पहले इन तस्वीरों में उन्हें भी शामिल किया गया था. प्रदर्शनी आरएसएस की तीन दिवसीय वार्षिक बैठक स्थल पर लगाई गई है.
शुक्रवार से शुरू हुई बैठक से पहले, आरएसएस गुजरात प्रांत ने गुरुवार को गुजरात की संस्कृति और इतिहास को दर्शाने वाली एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था, जिसमें गुजरात के 1,248 प्रतिनिधि शामिल थे. मगर तस्वीरों में जिन्ना को शामिल किए जाने से उठने वाले विरोध के सुर थामने के लिए उसे हटा दिया गया.
एक साल में 5000 से अधिक बढ़ीं आरएसएस की शाखा
दिल्ली भारतीय जनता पार्टी की सरकारों की मजबूत होने के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का भी निरंतर विस्तार हो रहा है.वर्तमान में देश भर में 60,929 शाखाएं चला रही हैं. इन शाखाओं की संख्या में पिछले साल मार्च से अब तक 5,277 की वृद्धि हुई है. मार्च 2021 तक, पूरे भारत में लगभग 55,652 आरएसएस की शाखाएं चल रही थीं.
यह खुलासा आरएसएस की शीर्ष निर्णय लेने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक के उद्घाटन के दिन हुआ. इसका उद्घाटन शुक्रवार को अहमदाबाद में हुआ.आरएसएस के ‘सप्ताहिक मिलन‘ कार्यक्रम (साप्ताहिक बैठकों) में 2,000 से अधिक की वृद्धि हुई है, जो पिछले साल मार्च में 18,553 से मार्च 2022 में 20,681 हो गई.
पश्चिम बंगाल हिंसा पर चिंता
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में वर्ष 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट साझा की गई है. राष्ट्रीय परिदृश्य के बारे में बात करते हुए, आरएसएस की वार्षिक रिपोर्ट में पिछले साल मई में विधानसभा चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर चिंता जताई है. इसमें कहा गया,“यदि समाज में हिंसा, भय, द्वेष और कानून का उल्लंघन व्याप्त हो जाता है, तो न केवल अशांति, अस्थिरता, बल्कि लोकतंत्र, आपसी विश्वास आदि नष्ट हो जाएगा.’’