Culture

स्वतंत्रता आंदोलन में मुसलमानों के योगदान पर रहमान की पुस्तक प्रशंसनीय प्रयास

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

सैयद उबैदुर रहमान देश के स्वतंत्रता आंदोलन में भारतीय मुसलमानों के योगदान को उजागर करने के लिए असाधारण काम कर रहे हैं. उनकी नवीनतम पुस्तक भारतीय मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों का जीवनी विश्वकोश सुर्खियों में है. उन्होंने उलेमा की भूमिका इन इंडियाज फ्रीडम मूवमेंट विद फोकस ऑन सिल्क लेटर मूवमेंट (रेशमी रुमाल तहरीक और मुस्लिम फ्रीडम फाइटसर्ः कंट्रीब्यूशन ऑफ इंडियन मुस्लिम्स इन द फ्रीडम मूवमेंट) सहित तीन बहुत अच्छी किताबें प्रकाशित की हैं.

लेखक ने सरकारी दस्तावेजों, यात्रा वृत्तांतों और आत्मकथाओं के अलावा उर्दू और अंग्रेजी में उपलब्ध मानक शोध कार्यों पर अपना शोध आधारित किया है. लेखक द्वारा किया गया हर दावा ठोस-मजबूत सबूतों और संदर्भों द्वारा समर्थित है.उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के अज्ञात पहलुओं को सामने लाने की पूरी कोशिश की है.

उनकी पुस्तकें किसी भी संदेह से परे साबित करते हुए ठोस अकादमिक साक्ष्य प्रदान करती हैं कि मुसलमानों ने स्वतंत्रता आंदोलन के हर चरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. शुरुआत से लेकर इसकी अंतिम सफलता तक इसका नेतृत्व और समर्थन किया. स्वतंत्रता के पहले युद्ध में जिसे ‘विद्रोह‘ कहा गया है, मुस्लिम समाज के हर वर्ग ने इस उद्देश्य के लिए भारी बलिदान दिया. लेखक ने इनमें से कई बलिदानों का विस्तार से वर्णन किया है जो पाठक के हृदय को झकझोर कर रख देते हैं. अपने प्राणों की आहुति देने वाले कई मुसलमानों में उलेमा भी शामिल हैं. उसी समय किसानों, सरकारी अधिकारियों, नवाबों और दरबारियों में से कई थे. स्वतंत्रता आंदोलन के बाद के चरणों में, मुसलमानों ने यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कि देश को क्रूर औपनिवेशिक शासकों के चंगुल से आवश्यक स्वतंत्रता मिले.

सैयद उबैदुर रहमान द्वारा किया जा रहा कार्य अत्यधिक महत्व का है. इस वर्ष को राष्ट्र की स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती के रूप में मनाया जाता है. दुर्भाग्य से, देश में सांप्रदायिक ताकतें चाहती हैं कि मुसलमानों को राष्ट्रीय मुख्यधारा से अलग कर दिया जाए. इस पृष्ठभूमि में लेखक ने हमारे साझे इतिहास का एक उज्ज्वल अध्याय प्रस्तुत किया है.

अकादमिक हलकों से किताब को लेकर अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और सैयद उबैदुर रहमान के काम को मुख्यधारा का मीडिया जो महत्व दे रहा है, विशेष रूप से उनकी नवीनतम पुस्तक, बायोग्राफिकल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ इंडियन मुस्लिम फ्रीडम फाइटर्स से पता चलता है कि उनके प्रयास फल दे रहे हैं.इन पुस्तकों को हिंदी, उर्दू और अन्य भाषाओं में प्रस्तुत करने की पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है. यह देश भर में आबादी के हर वर्ग के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए.