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कश्मीर फाइल्स: क्या विवेक अग्निहोत्री अपनी फिल्म के जरिए देश का माहौल बिगाड़ना चाहते हैं ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, श्रीनगर

फिल्में आती-जाती रहती हैं. मगर एक ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने देश में हलचल मचा रखी है. इस फिल्म के माध्यम से कश्मीर पंडितों पर होने वाली ज्यादतियों के बारे में दिखाने की बजाए इसके जरिए कुछ लोग देश के मुसलमानों के खिलाफ हवा बनाने की कोशिश में हैं.

देश के जिन सिनेमा घरों में कश्मीर फाइल्स दिखाई जा रही है, वहां से ऐसे दर्जनों वीडियो वाॅयरल हुए हैं जिसमें दर्शकों के बीच जा कर कुछ लोग देश के मुसलमानों एवं बॉलीवुड में काम करने वाले मुस्लिम सितारों के विरुद्ध आपत्तिजनक बातें कहते दिखाई दे रहे हैं. इसमें कोई शक नहीं कि 1990 में कश्मीर के पंडितों के साथ ज्यादतियां हुईं. हालांकि देश में यह कोई इकलौती घटना नहीं है. गोधरा और सिख दंगे इसके और भी उदाहरण हैं.

मगर इनपर बनने वाली फिल्मों में काम करने वाले या इसके निर्माता-निर्देशकों ने कभी ऐसी कोशिश नहीं की जिससे देश का सांप्रदायिक माहौल खराब हो जाए. अफसोस की बात यह है कि आपत्तिजनक वीडियो के विरूद्ध अब तक कश्मीरी पंडितों के हक की लड़ाई लड़ने वालों की ओर से इसकी मजम्मत नहीं की गई है.मानो वो एक तरह से इसका मौन समर्थन कर रहे हैं. इससे उनका ही आंदोलन कमजोर हो रहा है. कुछ लोगों के अनर्गल बयानबाजी से कश्मीरी पंडितों के प्रति सहानुभूति भी कम नहीं होगी.

इन सबसे इतर द कश्मीर फाइल्स के निर्माता-निर्देश विवके अग्निीहोत्र के प्रयासों से ऐसे लग रहा है कि वो अपनी फिल्म के प्रचार से कहीं अधिक एक खास एजेंडा को आगे बढ़ा रहे हैं. जब से सिनेमा घरों में उनकी फिल्म आई है, अलग-अलग प्लेटफार्म पर उनके कई विवादास्पद बयान आ चुके हैं. अब उनके ट्विटर हैंडल से एक वीडियो शेयर किया गया है. उसमें एक मस्जिद में एक मौलाना तकरीर देते सुनाई दे रहे हैं. वह कहते सुनाई देते हैं कि हम अमन पसंद लोग हैं. शांति से रहना चाहते हैं. हमने 800 वर्षों तक हुकूमत की है. तुम 70 सालों में हमारी निशानियां मिटाना चाहते हो. ऐसा करने से पहले तुम खुद मिट जाओगे. मौलाना की यह तकरीर कई लोगों को आपत्तिजनक लग सकती है. खास कर उनका अंतिम वाक्य भड़काउ कहा जा सकता है.

मगर इस वीडियो को अपने ट्विटर हैंडल से साझाकर और वीडियो में कही गई मौलाना की बातों पर खास अंदाज में टिप्पणी कर ऐसा लगता है कि विवके अग्निहोत्री लोगों को भड़काने की मंशा रखते हैं.

विवेक अग्निहोत्री ने जो वीडियो साझा किया है, उसपर लिखा है-
राजौरी के मौलवी साहब का कहना हैः
“यह फिल्म बंद होनी चाहिए, हमने 800 साल तुम पे हुकूमत की तुम 70 साल की हुकूमत में हमारा निशान मिटाना चाहते हो.”

इसपर विशेष टिप्पणी करते हुए अग्निहोत्री कहते हैं-

‘‘दोस्तों, बिलकुल इसी तरह कश्मीर से कश्मीरी हिंदुओं का नाम ओ निशान मिटा दिया गया था.’’

यह कहकर क्या वह आम हिंदुओं को मुसलमानों के खिलाफ उकसा नहीं रहे हैं ? यदि टिप्पणी करनी ही थी तो उन्होंने मौलाना की शांति वाली बात कुछ क्यों नहीं कहा ? और क्या यह सच है कि कश्मीर से हिंदुओं का नाम-ओ-निशान मिट गया है ?

जाहिर सी बात है उनकी मंशा कुछ ईमानदार नहीं है. इस मामले में सरकार को संज्ञान लेना चाहिए. ऐसे समय में जब विदेशी ताकतें बाहर बैठक कर ‘इस्लामोफोबिया’ के नाम पर भारत को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं या तक कि पाकिस्तान में तीन दिन पहले संपन्न हुए मुस्लिम देशों आईओसी के कान्फ्रेंस में पाकिस्तान ने भारतीय मुसलमानों के ‘जेनोसाइट’ के नाम देश की छवि खराब करने की कोशिश की. ऐसे में विवेक अग्निहोत्री के आपत्तिजनक बयान दुश्मन मुल्क को ‘सबूत’ उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे हैं.

क्या विवेक अग्निहोत्री के ऐसे प्रयासों को ‘देशद्रोह’ की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता ? याद रहे हाल में अग्निहोत्री की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ सोशल मीडिया पर तस्वीरें आई थीं. विवेक अग्निहोत्री के ऐसे प्रयासों से उनकी छवि पर भी आंच आएगी. जब कि देश की तीनों शख्सियतें अभी मुसलमानों और बीजेपी, आरएसएस के बीच की दूरियां पाटने में लगे हैं.