‘हलाल‘ मीट विवाद में विरोधियों को लगा झटकाः मुस्लिम कारोबारी बोले-हमेशा की तरह चल रहा है धंध
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, बेंगलुरु
रमजान से ठीक पहले हलाल मीट के विरोध में आंदोलन चलाने वालों को मुंह की खानी पड़ी है. हलाल मीट कारोबारियों ने कहा कि ‘हलाल‘ मांस के बहिष्कार के आह्वान के बावजूद उनके व्यवसाय पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.विक्रेताओं ने कहा कि ग्राहकों के आने-जाने में कोई कमी नहीं होने के कारण व्यवसाय हमेशा की तरह है. खरीदारों में 90 प्रतिशत हिंदू और ईसाई हैं.
शहर के ‘फ्रेजर टाउन‘ बाजार में मीट की दुकानों के आसपास बड़ी संख्या में लोग देखे जा सकते हैं. विक्रेताओं और दुकान मालिकों ने यह भी कहा कि विवाद ने उनके व्यवसाय को प्रभावित नहीं किया है और सुचारू रूप से चल रहा है.
स्थानीय दुकान के मालिक मोहम्मद समरुद्दीन ने कहा कि उनके पास बड़ी संख्या में हिंदू और ईसाई ग्राहक हैं, और ‘हलाल‘ मांस पर विवाद ने अभी तक उनके व्यवसाय को प्रभावित नहीं किया है. उन्हें विश्वास था कि उनके वफादार ग्राहक उनकी दुकान पर आते रहेंगे.उन्होंने कहा,‘‘हम देश की आजादी के बाद से एक ही व्यवसाय चला रहे हैं. अब तक, हमें कभी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा है. लगभग 90 प्रतिशत ग्राहक हिंदू और ईसाई हैं और केवल 10 प्रतिशत मुस्लिम हैं.‘हलाल‘ पर यह प्रचार मेरे व्यवसाय को प्रभावित नहीं करेगा. ”
जैसा कि कर्नाटक भर के मुसलमान रमजान का त्योहार मना रहे हैं, एक अन्य दुकान के मालिक सलीम ने कहा कि ग्राहकों के आने-जाने की संख्या बरकरार है और अब और लोग आ रहे हैं.एक अन्य दुकान के मालिक सलीम ने कहा, ‘‘मेरे सभी नियमित ग्राहक दुकान पर आ रहे हैं. ऐसी कोई समस्या नहीं है. वास्तव में, अधिक ग्राहक चल रहे त्योहारों के साथ आ रहे हैं.‘‘
बजरंग दल और कुछ दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं के साथ ‘हिंदू जन जागृति समिति‘ ने हाल ही में दावा किया कि मुसलमान ‘हलाल‘ मांस के लिए जानवरों को मारने से पहले अपनी आस्था के अनुसार अनुष्ठान करते हैं, जिसे बाद में हिंदुओं द्वारा खाया जाता है.उन्होंने ‘हलाल‘ मांस का बहिष्कार करने के लिए एक अभियान चलाया और लोगों से केवल हिंदू मांस विक्रेताओं से मांस खरीदने का आग्रह किया.
विवाद ‘वर्षाडोदकु‘ उत्सव से पहले आया, जो उगादी के कन्नड़ नव वर्ष के एक दिन बाद मनाया जाता है. जब मांस की बहुत मांग होती है, क्योंकि हिंदुओं सहित राज्य भर के कई समुदाय मांसाहारी दावत का आयोजन करते हैं.इस बीच कई दुकानदारों ने भी अपने साइनबोर्ड को ‘हलाल‘ से बदलकर ‘झटका‘ कर लिया है.
विवाद के बीच हिंदू मांस की दुकानों के आसपास भीड़ भी बढ़ती दिखाई दे रही है.विपक्ष ने ‘हलाल‘ मीट विवाद को लेकर बसवराज बोम्मई सरकार की निंदा करते हुए इसे बीजेपी का चुनावी दुष्प्रचार बताया है.बोम्मई ने पहले कहा कि राज्य सरकार ‘हलाल‘ मांस के मुद्दे पर गौर करेगी क्योंकि अब इस पर ‘गंभीर आपत्ति‘ उठाई गई है.
कुछ दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा ‘हलाल‘ मांस के बहिष्कार के आह्वान के बारे में पूछे जाने पर बोम्मई ने कहा , ‘जहां तक मेरी सरकार का सवाल है, हम दक्षिणपंथी या वामपंथी नहीं हैं. केवल विकास विंग हैं.