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संदर्भ Laal Singh Chaddha : क्या अब कट्टरवादी तय करेंगे?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

आमिर खान का समर्थक नहीं हं और न ही नियमित फिल्में देखने का आदि. मगर पिछले कुछ महीने से लाल सिंह चड्ढा के खिलाफ चल रहे अभियान ने प्रेरित किया कि सिनेमा हाल में जाकर फिल्म देखा जाए. मूवी शानदार बनी है. हाल के दिनों में ऐसी फिल्म देखने को नहीं मिली. आमिर का अभिनय भी जानदार है. आमिर ही क्यों, सभी ने बढ़िया रोल प्ले किया है. फिर वजह क्या है फिल्म के विरोध की ?
फिल्म रीलिज होने से सप्ताहभर पहले इसके बाइकॉट का सोशल मीडिया पर धूंआं उठाया गया. अभी भी यह सब चल रहा है. हालांकि ऐसे लोग केवल सोशल मीडिया पर ही सरगर्मी हैं. देश के लाखों सिनेमा घरों में से दो-चार पर भी विरोध का झंडा लिए खड़े हैं.
इसके बावजूद यह जानने की जिज्ञासा हुई कि ये लोग कौन हैं और इसके पीछे मकसद क्या है ? खोजबीन से पता चला कि दिल्ली में दंगा भड़काने के आरोप जिस शख्स पर मुसलमान लगाते रहे हैं, वह इसके मूल में है. इनदिनों वह एक संप्रदाय विशेष को मुसलमानों के खिलाफ देशभर में घूम-घूमकर भड़काने के काम में लगा है. इस शख्स को मुस्लिम अदाकारों से इस कदर चिढ़ है कि इसके द्वारा संचालित एक वेबसाइट के सोशल मीडिया प्लेट फार्म पर दिलीप कुमार सहित कई मुस्लिम स्टार और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ की पुरानी तस्वीरें साझा कर इन्हें गद्दार साबित करने की कोशिश की है.जबकि सबको पता है कि अमिताभ और नवजोत सिंह सिद्धू सहित भारत के ऐसे कई लोग हैं जो इमरान खान के न केवल संपर्क में रहे हैं. उनकी पार्टी में शरीक होते रहे हैं.

यूट्यूब पर एक वीडियो आज भी मौजूद है जहां नुसरत फतेह अली खान की एक महफिल में अमिताभ बच्चन इमरान खान के साथ जाम टकराते नजर आतेे हैं. जाहिर जब भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा समय जैसी अदावत नहीं थी और न ही तब इमरान खान
विरोधी देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे. मगर चूंकि दिल्ली दंगे के आरोपी को मुसलमानांे के खिलाफ दुष्प्रचार करना है, इसलिए उसने जान-बूझकर इमरान और मुस्लिम कलाकारों वाली तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं.


हैरत की बात है कि इन नफरतियों को इस देश में रोकने, टोकने वाला कोई नहीं. आमिर की जिस पुरानी फिल्म का हवा देकर लाल सिंह चड्ढा का विरोध किया जा रहा है, वह करीब आठ-दस साल पुरानी है. उसके बाद आमिर खान ने कई फिल्में बनाईं. उनमंे एक दंगल भी है. तब किसी ने फिल्म को लेकर विवाद नहीं
खड़ा किया. न ही तब विरोध जताया गया.
दरअसल, अब विरोध इस लिए किया जा रहा है कि बॉलीवुड के एक स्टार को तबाह करने की साजिश है.
ऐसे ही कुछ लोग बाजार के मिजाज को तय करने के लिए मुस्लिम व्यापारी और खरीदारों को लेकर विरोधी अभियान चलाते रहे हैं. मगर उन्हंे शायद पता नहीं कि ऐसी बेहूदगी के कारण हाल में भारत की विदेशों में किरकिरी हो चुकी है.इसकी वजह से एक मुस्लिम देश के कुछ कट्टरवादियांे ने भारतीय उत्पादों के विरोध मंे अभियान छेड़ दिया था. वह तो समय रहते देश के नीतिकारों से स्थिति संभाल ली और हालात बिगड़ने नहीं दिया.


इसके उलट लाल सिंह चड्ढा को प्रयोगशाल मानकर कुछ लोग फिर तजुर्बा करने मंे लगे हैं. हालाकि कौआ के चिल्लाने से जल्दी सुबह नहीं होती.
देश की सरकार और आम देशवासी इतनी समझदार हंै कि ऐसे लोगों की मंशा कभी कामयाब नहीं होने देंगे.
मगर यह अहम सवाल अपनी जगह कायम है कि अगर समय रहते ऐसे निरंकुश लोगों को नहीं रोका गया तो ये देश की शांति के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं ? एक सच्चाई यह भी है कि ऐसे नफरती देश में मुट्ठीभर भी नहीं है. आम जनता बेहद समझदार है. आमिर ने यदि बुरी फिल्म बनाई तो नहीं देखेंगे और यदि अच्छी बनाई है तो जरूर देंखेगे. बावजूद इसके सरकार को निरंकुश लोगों को सबक सिखाना तो बनता ही है. वैसे पाठकांे को बता दूं लाल सिंह चड्ढा देश-विदेश में अच्छा कर रही है. पहले दिन की कमाई करीब 12 करोड़ रूपये की है. चूंकि आने वाले दिन छुट्टियों का है, इसलिए कमाई में भारी इजाफा का अनुमान है.